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Monday, February 26, 2024

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिंदी भाषा के विकास में विदेशियों और हिंदीतर भाषियों का योगदान’ का आयोजन का दूसरा दिन

दिनांक 20 फरवरी 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के द्वारा दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिंदी भाषा के विकास में विदेशियों और हिंदीतर भाषियों का योगदान’ के दूसरे दिन तीन सत्रों का आयोजन किया गया। 

दिनांक 20 फरवरी 2024 को अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तृतीय सत्र - शोध पत्र वाचन की अध्यक्षता प्रो॰ पवन अग्रवाल, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ने की। सान्निध्य प्रो॰ वी॰ रा॰ जगन्नाथन, पूर्व निदेशक भाषा, इग्नू, नई दिल्ली, प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, आधुनिक भारतीय भाषा विभाग का रहा। संचालन डॉ॰ गजेन्द्र सिंह, सहायक आचार्य, राजकीय महाविद्यालय, लक्सर तथा डॉ॰ राजेश कुमार, सहायक आचार्य हिंदी, राजकीय महाविद्यालय बीबीनगर, बुलन्दशहर ने किया।

प्रो॰ वी॰ रा॰ जगन्नाथन ने शोधार्थियों को कुछ आवश्यक दिशा निर्देश दिए एवं उन्हे शोध पत्र वाचन कुछ आवश्यक बाते भी बताई।

शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले शोधार्थी - .डॉ॰ निर्देश चौधरी, सहायक आचार्यए डॉ॰ प्रीति, सहायक आचार्यए कु० इन्दु रानीए शोधार्थीए सपना वर्मा,  शोधार्थीए मीरा विश्वकर्मा, शोधार्थी, अकिता आदर्श, शोधार्थीए मीना देवी, शोधार्थीए डेजी कुमारी, शोधार्थीए नेहा, शोधार्थीए अमित कुमार, शोधार्थीए सीमा अग्रवालए मोनिकाए भानुप्रताप सिंह आदि ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ पवन अग्रवाल ने कहा कि हिंदी की डेढ़ हज़ार वर्षों की यात्रा में शब्दावलियाँ समय-समय पर जुड़ती चली गई। हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा से निकले शब्द भाषा की विकास यात्रा में भूमिका निभाती है । भारत विश्व गुरु रहा है यहाँ के विचार आकर्षण का केंद्र रहे हैं। हमारे दर्शन एवं साहित्य ने सभी को प्रभावित एवं आकर्षित किया है। राम कृष्ण हमारे प्रतीक है। जो सभी को जोड़ते हैं। हिंदी के भाषा के विकास में बाजारवाद का भी योगदान है। ज्ञान की अभिव्यक्ति नई होती है। लोक साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता है।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के चतुर्थ सत्र - मीडिया, सोशल मीडिया एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता सत्र की अध्यक्षता प्रो॰ गोविन्द सिंह, संकायाध्यक्ष अकादमिक, आई॰आई॰एम॰टी॰, नई दिल्ली ने की। विशिष्ट अतिथि प्रो॰ सुभाष थलेडी, अध्यक्ष पत्रकारिता विभाग, सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ, श्री जवाहर कर्नावट, भोपाल, प्रो॰ प्रशांत कुमार, अध्यक्ष पत्रकारिता विभाग रहे। संचालन डॉ॰ विद्यासागर सिंह, सहायक आचार्य ने किया।

सत्र के प्रारम्भ में डॉ॰ विवेक सिंह, सह आचार्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, आई॰आई॰एम॰टी॰ विश्वविद्यालय, मेरठ की पुस्तक ‘भूमण्डलीय समय और हिंदी पत्रकारिता’ का लोकापर्ण भी हुआ।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ गोविन्द्र सिंह ने कहा कि भारत से बडी संख्या में लोग बाहर गये। तकनीकी दुनिया से जुड़ने के लिए मीडिया जिस तरह से बदल रहा है उससे हिंदी क्या रूप ले रही है उनका ही अध्ययन करना है। शब्द और नाद को ब्रहम माना गया है। सस्कृत को मृत भाषा मान लिया गया हैए जो गलत सोच है। संस्कृत प्रत्येक घर में पूजा.पाठ में प्रयुक्त होती है। आज हिंदी फल फूल रही है। हमारे देश में हिंदी को मीडिया मे हित स्वरूप में परोसा जा रहा है। आज भाषा का स्वरूप बदल रहा है। पहले अभिजात्य वर्ग तक अखबार जाता था। परन्तु आज जनसामान्य तक अख़बार की पहुँच हो गईं है। आज भाषा की दीवार टूट गई है। आज मीडिया में विकृत भाषा प्रयोग हो रही है। आज मीडिया की भाषा में अंग्रेजी और हिंदी के शब्दों का काफी प्रयोग किया जा रहा है।आज साहित्यिक ब्लॉग की शुरुआत हो रही है। ब्लॉग आने से भाषा को मीडिया में नया स्थान मिला है।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ सुभाष थलेडी ने कहा कि मीडिया का जिस प्रकार विकास हुआ वह आज देखने लायक है। आज भारत एक ऐसा हब बन गया है, जहाँ 1000 से भी ज्यादा चैनल है। मीडिया के क्षेत्र में क्रांति हुई। हमारे देश के लिए नया ही परन्तु विश्व में पिछले 10 साल पहले कम्पयूटर चलाना कठिन था। परन्तु आज वह बहुत सरल हो गया है। आज सोशल मीडिया के बहुत प्लेटफार्म बन गये हैं। आज हम हिंदी में आराम से टाइप कर सकते हैं। आज सोशल मीडिया में मार्केटिंग घुस गईं है । आज विज्ञापन सोशल मीडिया के जरिए जारी हो रहे हैं। हिंदी आज विश्व में तीसरे स्थान पर है संभावना है वह प्रथम स्थान पर आ जाएगी। समय के साथ तकनीकी बदलनी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ प्रशांत कुमान ने कहा कि सामुदायिक रेडियों का आरभ चौ०चरण सिंह विश्वविद्यालय हिंदी और पत्रकारिता का समन्वय प्रो० लोहनी सर का सहयोग से हुआ है। कृत्रिम बुद्धि पर संगोष्ठी कराई गई देश विदेश से लोग जुडे हैं। यह तकनीकी विकास ही है। कम्प्यूटर जब भारत में आया तब लोगों में भ्रान्तियाँ हुई। सोशल मीडिया , ।प् का ही प्रभाव है। 

विशिष्ट अतिथि श्री जवाहर कर्नावट ने कहा कि विदेश की हिन्दी पत्रकारिता विदेश का सन्दर्भ. मॉरीशस 1903-04 में समाचार पत्र में चार भाषाओं का प्रयोग हिंदी पत्रकारिता में इतिहास के तथ्य, दक्षिण अफ्रीका में काला कानून, सत्याग्रह, दक्षिण अफ्रीका के हिंदी स्थापित हुई हिन्द वाणी, गदर, अखबार कई भाषाओं में निकाला गया। गदर पार्टी के समर्थक पंजाबी, जापान में 1980 के ज्वालामुखी पत्रिका निकाली पर उनमे से कोई भी हिन्दुस्तानी नहीं। सर्वोदय पत्रिका जापानी भाषा में। जिन ब्रिटेन शासकों ने हम पर शासन किया वहाँ हिंदी फल फूल रही है। ब्रिटेन में वे अखबार मिलते हैं, जो कहीं अन्य स्थानों पर नहीं मिल रहे थे। हाथ से लिखकर हिंदी पत्रिका ब्रिटेन में निकाली गई थी। आज मीडिया या ऑनलाईन पत्रिकाओं के माध्यम ऐसे हिंदी का प्रभाव पूरे विश्व में फैल रही है। भारतदर्शन पत्रिका न्यूजीलैंड से निकाली जाती है, सेतु पत्रिका अमेरिका से निकाली गई दक्षिण अफ्रीका से धर्मवीर पत्रिका निकाली गई।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की संरक्षक मा॰ कुलपति प्रो॰ संगीता शुक्ला उपस्थित रही। सत्र की अध्यक्षता प्रो॰ संजीव कुमार शर्मा, संकायाध्यक्ष कला ने की। मुख्य अतिथि डॉ॰ सोमेन्द्र तोमर, राज्य मंत्री, ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ रहे। विशिष्ट अतिथि प्रो॰ वी॰ रा॰ जगन्नाथन, पूर्व निदेशक भाषा, इग्नू, नई दिल्ली, प्रो तंकमणि अम्मा, पूर्व अध्यक्ष हिंदी विभाग, केरल विश्वविद्यालय, तिरूवंतपुरम, प्रो॰ अरूण होता, अध्यक्ष हिंदी विभाग, पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय, कोलकाता, डॉ॰ मृदुल कीर्ति, वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार, आस्टेªलिया रहे। सान्निध्य प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, आधुनिक भारतीय भाषा विभाग का रहा। 

संगोष्ठी के सत्रों की आख्या डॉ॰ आरती राणा, सहायक आचार्य ने की।

 संचालन डॉ॰ अंजू, सहायक आचार्य ने किया।

समापन सत्र के प्रारंभ में प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी एंव आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने कार्यक्रम में उपस्थिति सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के विकास में विदेशियों और हिंदीतर भाषीयों के योगदान की चर्चा भविष्य में हिंदी के विकास का आधार बनेगी, क्योंकि विश्व भाषा के रूप में हिंदी देश विदेश में अपनी व्यापक जगह बना रही है। शासन स्तर पर माननीय प्रधानमंत्री मोदी हिंदी को आगे ले के जाने के लिए प्रयत्नशील हैं। विश्व स्तर पर भारत और भारतीय भाषाएं चर्चा मंे हैं। वर्तमान समय में तकनीकी से जुड़ कर हिंदी इंटरनेट पर भी अपनी जगह बना रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति लाई है। हिंदी इससे जुड़ कर विश्व के कोने-कोने तक अपनी पहुंच रही है। 

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की संरक्षक प्रो॰ संगीता शुक्ला, माननीय कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने कहा कि विदेशी विद्यार्थियों के विश्वविद्यालय में आगमन और हिंदी बोलने और भारतीय कार्यक्रम प्रस्तुत करने पर अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी भाषाएं महत्वपूर्ण हैं हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। वैश्वीकरण होने के बाद भारतीय संस्कृति फल फूल रही है। उन्होंने हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग को इस आयोजन में अनेक देशों के विद्यार्थियों एवं विषय विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए बधाई दी और आयोजन की सफलता के लिए सभी विषय विशेषज्ञों का आभार व्यक्त किया। 

समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि हम अपनी मातृ भाषा के साथ जो व्यवहार करते हैं, विशेषतः हिंदी के साथ, उसमंे हिंदीतर भाषियों का योगदान है। हिंदी भाषी क्षेत्र के लोग इस बात पर विचार करें कि हम हिंदी के साथ अन्य भाषाओं का भी सम्मान करना चाहिए। भारत की सभी भाषाएं संस्कृत से निकली हैं। सरलीकरण के नाम पर हमने हिंदी के साथ दुर्व्यवहार किया है। उसमें अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, के शब्द अनायास आये हैं। किसी भाषा से विरोध नहीं है। भारत की भाषाओं में छेडछाड नहीं हुई।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ॰ सोमेन्द्र तोमर ने कहा कि हमारे देश का स्थान विश्व गुरू के रूप में था। मोदी जी के नेतृत्व में हम पुनः विश्वगुरू बनने की ओर अग्रसर हैं। वसुधैव कुटुम्बकम के संस्कार केवल भारत में ही है।  जब कोई संस्कृति संरक्षण की बात होती है तो लोग भारत की ओर देखते हैं। आज हमारे देश का गौरव पुनः लौट रहा है। आज विश्व में बड़े सम्मान के साथ हिन्दुस्तान का नाम लिया जाता है। आज पूरे विश्व में भारतीयों को सम्मान दिया जाता है। आज सभी बड़ी प्रतियोगिताओं को हिंदी में आयोजित कराया जाने लगा है। ये मोदी जी की देन है। पहले उ॰ प्र॰ को लोग हीन दृष्टि से देखते थे आज सबसे बड़ा निवेश उ॰ प्र॰ में हुआ है। आज युवा पीढ़ी नया करने का सोचती है वह कार्य आगे बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि आज विशेष दिन है आज केन्द्र सरकार द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ को रू॰ 100 करोड़ की अनुदानित धनराशि स्वीकृत हुई है। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति प्रो॰ संगीता शुक्ला जी को बधाई भी दी।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ वी॰ रा॰ जगन्नाथन ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की भावना है। अनेकता में, एकता भारत की विशेषता है। साथ ही सहिष्णुता की भावना भी। भारत में नारी शक्ति की पूजा होती है। हमें इसका भी सम्मान करना चाहिए। कोई भी भाषा दुनिया में खत्म नहीं होनी चाहिए। सभी भाषाएं मिलकर विकास करें। 

विशिष्ट अतिथि प्रो तंकमणि अम्मा ने कहा कि जब से हिंदी दक्षिण में आई तो गांधी, हिंदी और खादी ये तीनों केरल में एक साथ लेकर आई। केरल सम्पूर्ण साक्षर प्रदेश है। नारी सशक्तिकरण में भी केरल आगे है। हम सबको एक होकर रहना है। हिंदी हमे जोड़ने वाली भाषा है। तोडने वाली भाषा नहीं है। पहले संस्कृत भाषा सबको जोडने का प्रयास कर रही थी, वही प्रयास हिंदी भाषा को करना चाहिए। 

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ अरूण होता ने कहा कि सवाल केवल भाषा का ही नहीं हेाता। अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस का स्वयं का विशेष महत्व है। हिंदी का भी मातृ भाषा के रूप में विशेष महत्व है। अगर किसी भी भाषा का साहित्य आगे बढ़ता है तो हिंदी भाषा का ही विकास होता है। हिंदी सभी को साथ लेकर चलती है।  

विशिष्ट अतिथि डॉ॰ मृदुल कीर्ति ने कहा कि सारी भाषाओं को गहराई से देखा जाए तो संस्कृत से ही निकली है। संस्कृत से हिंदी, हिंदी के पक्ष में आगे ले जाने में सहयोग करेगी।

कार्यक्रम में प्रो॰ वाई विमला, प्रो॰ आराधना, डॉ॰ उषा किरण, डॉ॰ कविश्री, डॉ॰ रेखा चौधरी, डॉ॰ सुधा रानी सिंह, डॉ॰ स्वर्णलता कर्दम, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, डॉ॰ विवके सिंह, डॉ॰ योगेन्द्र सिंह, डॉ॰ अमित कुमार, डॉ॰ मोहिनी कुमार, पूजा, विनय, पूजा यादव, अरशदा रिजवी, रेखा, सचिन, उपेन्द्र, आयुषी, बॉबी, प्रतिक्षा, एकता, नेहा ठाकुर, मोनिका, विक्रांत, राजकुमार, राखी, गरिमा, प्रिंसी, शोर्य, कीर्ति मिश्रा, डॉ॰ ललित कुमार सारस्वत आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।










































































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