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Wednesday, September 25, 2024

चीन यात्रा के अनुभव

 आज दिनांक 25 सितंबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने अपनी चीन यात्रा के संदर्भ में अपने अनुभव विभाग के शिक्षकों, विद्यार्थियों शोधार्थियों के साथ साझा किये. यह अनुभव अत्यंत महत्वपूर्ण रहे क्योंकि इससे दो देशों के भी साहित्यिक और संस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ मानवता का सौहार्दपूर्ण माहौल नई पीढ़ी के लिए बनता है। हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने  युन्नान प्रांत के खुनमिंग में आयोजित द थर्ड खुनमिंग अर्बन पोएट्री आर्ट फेस्टिवल (20-21 सितंबर 2024) में हिस्सा लिया। प्रोफ़ेसर लोहनी के मुताबिक़ साहित्य अक्षम के लिए शक्ति देने का काम करता है, वह तमाम लोगों के लिए प्रेरणा, मार्गदर्शन का काम करता है। इस संगोष्ठी में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर आए। वे कहते हैं कि हम क्षमता की बात क्यों करें? आध्यात्मिक विषयों, राजाओं पर लिखा साहित्य क्या प्रेरणा देता है? यह अहम सवाल है। इस आयोजन में चीनी और भारतीय साहित्य पर चर्चा हुई। प्रोo लोहनी ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां आम आदमी की साहित्यिक कृतियों के प्रति समझ विकसित करने में सहायक होती हैं। यह फेस्टिवल वाक़ई में बहुत प्रेरक कहा जा सकता है। इस आयोजन में भारत के साथ-साथ वियतनाम, थाइलैंड, मलेशिया और बांग्लादेश के साहित्यकारों ने भागीदारी की। इस कार्यक्रम में चीन के वरिष्ठ कवि और साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

चीन और भारत की संस्कृति में काफ़ी समानता है, यह कहने में कोई दोराय नहीं है। दोनों देश इस क्षेत्र में एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दोनों देशों के बीच लगातार सांस्कृतिक आदान-प्रदान होते रहना चाहिए। प्रोफ़ेसर लोहनी पूर्व में चीन में अध्यापन का कार्य कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने चीन को क़रीब से जाना। चीन में रहते हुए उन्होंने कई शहरों में भ्रमण किया। चीन में हो रहे विकास और सांस्कृतिक जागरूकता प्रभावित करने वाली है। चीन और भारत की संस्कृति में काफ़ी समानता है। दोनों देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं लेकिन इसके लिए दोनों पड़ोसियों के बीच अधिक से अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आवश्यकता है। भारत और चीन न केवल पड़ोसी देश हैं बल्कि प्राचीन सभ्यता वाले राष्ट्र हैं, जिनके बीच सदियों से अच्छे संबंध क़ायम रहे हैं। चीन के विकास की गति से भारत को प्रेरणा लेनी चाहिए। वर्तमान में भारत औद्योगिक विकास के क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है।लेकिन भारत को चीन से निर्माण के क्षेत्र में सीखने की ज़रूरत है।

इस अवसर पर डॉक्टर केशवदेव शर्मा सेवानिवृत्त, पलवल हरियाणा ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और उन्हें निरंतर प्रगति के लिए अग्रसर रहने का संदेश दिया । उन्होंने अपनी पुस्तक रचनाकार और रचना धर्म चिंतन दृष्टि भी विभाग को भेंट स्वरूप प्रदान की। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।


























 


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