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Thursday, October 3, 2024

वैश्विक जननायक महात्मा गांधी एक अक्षुण व्यक्तित्व विषय पर ऑनलाइन वार्ता का आयोजन

 कल दिनांक 2 अक्टूबर 2024 को गाँधी जयंती के अवसर पर राजभाषा समर्थन समिति मेरठ, प्रवासी संसार एवं पुरातन छात्र परिषद, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में वैश्विक जननायक महात्मा गांधी एक अक्षुण व्यक्तित्व विषय पर ऑनलाइन वार्ता आयोजित की गई।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी, वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग रहे। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता श्री अरविंद मोहन, वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक श्री राकेश पांडेय, संपादक प्रवासी संसार एवं लेखक, डॉ विवेक सिंह, सह आचार्य एवं कवि आईआईएमटी विश्वविद्यालय मेरठ प्रोफेसर रविंद्र राणा, पूर्व आचार्य एवं पत्रकार रहे।

प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि

यदि सत्य एवं नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि मानना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक हैं। यदि अपनी बात पर अटल रहना एवं अपने कार्य को पूरा करना आधुनिकता का परिचायक है तो गांधीजी आधुनिक थे। यदि अपने को और अपने आस-पास की जगह को साफ-सुथरा रखना आधुनिकता का प्रतीक है तो गांधीजी पक्के तौर पर आधुनिक थे। यदि स्वाद के बजाय दूसरों की भलाई के लिए अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खाना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे। यदि शारीरिक श्रम की महत्ता को स्वीकारना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे। यदि सहिष्णुता और बेहतर समझदारी आधुनिकता है तो गांधीजी को अवश्य ही आधुनिक समझा जाना चाहिए। यदि अपने से मतभेद रखने वाले अथवा अपने विरोधियों के साथ भी बिना मन-मुटाव के बात करना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे। यदि बिना पद, सत्ता अथवा दौलत से बेपरवाह रहकर सार्वभौमिक शिष्टाचार निभाना आधुनिकता है तो गांधीजी अवश्य ही आधुनिक थे। यदि लोकतांत्रिक जीवनशैली आधुनिकता है तो गांधीजी इस कसौटी पर खरे उतरते थे। यदि निचले तथा एकदम गरीब तबकों से एकाकार होना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे। यदि गरीब, जरूरतमंद, दलितों, भाग्यहीनों, दरिद्रनारायण के हक में लगातार कार्य करना आधुनिकता है तो गांधीजी सचमुच आधुनिक थे। यदि मानवीय उत्तेजना के ज्वार के बीच भी निस्मृह रहना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे। इन सबके उपर यदि किसी पवित्र कार्य के लिए प्राणोत्सर्ग करना आधुनिकता है तो गांधीजी आधुनिक थे।

श्री अरविंद मोहन ने कहा की गांधी जी देश की आजादी के बाद की चुनौतियों को लेकर भी सजग थे। अन्याय से लड़ाई को वह सबसे ऊपर मानते थे। अहिंसा उनके लिए सबसे बड़ा धर्म था। अरविंद मोहन ने कहा कि गांधी जी ने महिलाओं को आंदोलन में न केवल जोड़ा बल्कि उनकी एक अलग पीढ़ी तैयार की जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी। उन्होंने कहा कि गांधी ने  आजादी के आंदोलन में सभी समुदायों, धर्मो, जातियों को जोड़ने के लिए उनकी विशिष्ट नीति को उद्धृत किया। अरविंद मोहन ने गांधी जी की आंदोलन नीति को दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक बताया। जिससे कि विश्व भर में लोकतंत्रात्मक  आंदोलनों की नींव पड़ी उन्होंने कहा कि गांधी नीति आज की समय की जरूरत है।

 श्री राकेश पांडेय ने कहा कि गांधी जी अंग्रेजी भाषा में राजकाज के विरोधी थे और हिंदी और देवनागरी के समर्थक थे। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे। संविधान सभा में यदि गांधी जी होते तो हिंदी भारत की पूर्णता राजभाषा होती। राकेश पांडे ने बताया कि किस तरह भाषाओं को लेकर गांधी ने भारत को जागृत किया और आजादी से पूर्व ही हिंदी और हिंदुस्तानी के समर्थक बनकर उभरते हैं और आजादी के आंदोलन के दौरान ही घोषित कर देते हैं कि भविष्य की भाषा हिंदी होगी। 

सभी अतिथियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर विवेक कुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर रविंद्र राणा ने किया।

इस अवसर पर प्रो आनंद कुमार, डॉक्टर अंजु, डॉक्टर प्रवीण कटारिया, डॉक्टर यज्ञेश कुमार, मोहिनी कुमार, विनय कुमार, अंकिता पूजा यादव, रेखा सोम, सचिन कुमार, उपेंद्र कुमार आदि शामिल रहे।







Wednesday, September 25, 2024

चीन यात्रा के अनुभव

 आज दिनांक 25 सितंबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने अपनी चीन यात्रा के संदर्भ में अपने अनुभव विभाग के शिक्षकों, विद्यार्थियों शोधार्थियों के साथ साझा किये. यह अनुभव अत्यंत महत्वपूर्ण रहे क्योंकि इससे दो देशों के भी साहित्यिक और संस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ मानवता का सौहार्दपूर्ण माहौल नई पीढ़ी के लिए बनता है। हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने  युन्नान प्रांत के खुनमिंग में आयोजित द थर्ड खुनमिंग अर्बन पोएट्री आर्ट फेस्टिवल (20-21 सितंबर 2024) में हिस्सा लिया। प्रोफ़ेसर लोहनी के मुताबिक़ साहित्य अक्षम के लिए शक्ति देने का काम करता है, वह तमाम लोगों के लिए प्रेरणा, मार्गदर्शन का काम करता है। इस संगोष्ठी में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर आए। वे कहते हैं कि हम क्षमता की बात क्यों करें? आध्यात्मिक विषयों, राजाओं पर लिखा साहित्य क्या प्रेरणा देता है? यह अहम सवाल है। इस आयोजन में चीनी और भारतीय साहित्य पर चर्चा हुई। प्रोo लोहनी ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां आम आदमी की साहित्यिक कृतियों के प्रति समझ विकसित करने में सहायक होती हैं। यह फेस्टिवल वाक़ई में बहुत प्रेरक कहा जा सकता है। इस आयोजन में भारत के साथ-साथ वियतनाम, थाइलैंड, मलेशिया और बांग्लादेश के साहित्यकारों ने भागीदारी की। इस कार्यक्रम में चीन के वरिष्ठ कवि और साहित्यकारों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

चीन और भारत की संस्कृति में काफ़ी समानता है, यह कहने में कोई दोराय नहीं है। दोनों देश इस क्षेत्र में एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दोनों देशों के बीच लगातार सांस्कृतिक आदान-प्रदान होते रहना चाहिए। प्रोफ़ेसर लोहनी पूर्व में चीन में अध्यापन का कार्य कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने चीन को क़रीब से जाना। चीन में रहते हुए उन्होंने कई शहरों में भ्रमण किया। चीन में हो रहे विकास और सांस्कृतिक जागरूकता प्रभावित करने वाली है। चीन और भारत की संस्कृति में काफ़ी समानता है। दोनों देश एक-दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं लेकिन इसके लिए दोनों पड़ोसियों के बीच अधिक से अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आवश्यकता है। भारत और चीन न केवल पड़ोसी देश हैं बल्कि प्राचीन सभ्यता वाले राष्ट्र हैं, जिनके बीच सदियों से अच्छे संबंध क़ायम रहे हैं। चीन के विकास की गति से भारत को प्रेरणा लेनी चाहिए। वर्तमान में भारत औद्योगिक विकास के क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा है।लेकिन भारत को चीन से निर्माण के क्षेत्र में सीखने की ज़रूरत है।

इस अवसर पर डॉक्टर केशवदेव शर्मा सेवानिवृत्त, पलवल हरियाणा ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और उन्हें निरंतर प्रगति के लिए अग्रसर रहने का संदेश दिया । उन्होंने अपनी पुस्तक रचनाकार और रचना धर्म चिंतन दृष्टि भी विभाग को भेंट स्वरूप प्रदान की। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।


























 


Saturday, September 21, 2024

डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार

 डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की एम.ए. सत्र 23- 24 में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया साथ ही शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर के बी.ए. की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार रु10 हजार और द्वितीय पुरस्कार रु5000 प्रदान किए गए। एम.ए. हिंदी से गरिमा सिंह ने प्रथम पुरस्कार और कीर्ति मिश्रा ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया और शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर से कुमारी वंदना ने प्रथम पुरस्कार और काजल त्यागी ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया।










राजभाषा हिंदी : तकनीक और अनुवाद विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

 आज दिनांक 14 सितंबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिंदी : तकनीक और अनुवाद विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा,  अध्यक्ष कला संकाय, मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुमुद शर्मा, उपाध्यक्ष साहित्य अकादमी दिल्ली, विशिष्ट अतिथि श्री राजेंद्र सिंह, सूचना आयुक्त उत्तर प्रदेश, विशिष्ट अतिथि डॉ अमरनाथ अमर, पूर्व कार्यक्रम निर्माता निर्देशक दूरदर्शन और कार्यक्रम समन्वयक विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी और कार्यक्रम सचिव सहायक आचार्य डॉक्टर प्रवीण कटारिया रहे।

 इस अवसर पर पूर्व दिवस में आयोजित निबंध लेखन और आशु भाषण प्रतियोगिता में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया साथ ही डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की एम.ए. सत्र 23- 24 में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया साथ ही शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर के बी.ए. की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर्ता प्रथम दो विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार  डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार  डॉक्टर महिपाल वर्मा पुरस्कार रु 10 हजार और द्वितीय पुरस्कार रु5000 प्रदान किए गए। एम.ए. हिंदी से गरिमा सिंह ने प्रथम पुरस्कार और कीर्ति मिश्रा ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया और शांति देवी राजकीय संगठक महाविद्यालय जेवर से कुमारी वंदना ने प्रथम पुरस्कार और काजल त्यागी ने द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा अपनी संस्कृति, आचरण और व्यवहार को लेकर चलती है। सरलता के नाम पर किसी भाषा की संस्कृति से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है। मातृभाषा के नाम पर हिंदी के साथ स्वच्छंदता पूर्ण व्यवहार करते हैं। हमें हिंदी की शुद्धता के प्रति सचेत होना चाहिए। प्राचीन भारत में भाषाओं का संघर्ष नहीं रहा। यूरोप की संकल्पना भाषाई संघर्ष पर आधारित है किंतु भारत की नहीं। सामान्य जीवन में हमें अपने हस्ताक्षर हिंदी में ही करने चाहिए, इससे हमारी पहचान निर्धारित होती है और हिंदी को मातृभाषा के रूप में गौरव मिलता है।

 कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि भाषा की कोठरियां नहीं हुआ करती। आजादी से पहले सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी को एकमत से अपनाया लेकिन राजभाषा बनते समय यह मुद्दा विरोध का मुद्दा बना और भाषा के राजभाषा, संपर्क भाषा, राष्ट्रभाषा आदि कई रूप बने और इसी विरोध का नतीजा यह रहा की 15 साल का हिंदी प्रशिक्षण समय हिंदी को दिया गया। वही हिंदी के लिए सबसे बड़ी अड़चन बना। बाद में हिंदी  भाषी भी हिंदी को पहचान ना सके। हिंदी की शक्ति और सामर्थ्य से मीडिया दौड़ा है। तकनीक के आने से हिंदी में रोजगार के नए क्षेत्र सृजित हुए हैं। हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाएं भी तकनीक के साथ लगातार विकास कर रही हैं। फिल्में भी इस क्षेत्र में नए विकल्पों को सृजित कर रही है। विकसित भारत का आधार भारतीय भाषाएं ही बनेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी रोजगार के नए क्षेत्र का सृजन करती हैं। नया भारत भारतीय भाषाओं की गरिमा को लौटा रहा है। भारतीय भाषाओं के साथ ही विकसित भारत की संकल्पना साकार होगी।

 मुख्य अतिथि श्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास का मुख्य आधार भाषा रही हैं। भारत में सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी बोलने वालों की है। किसी भी भाषा का विकास उसमें रोजगार की संभावनाओं से जुड़ा होता है और हिंदी में इसकी पर्याप्त संभावनाएं हैं।

मुख्य अतिथि डॉ अमरनाथ अमर ने कहा कि हिंदी के कई रूप हैं, साहित्य पठन-पाठन, मीडिया और व्यवहार में हिंदी अनेक रूपों में प्रयोग की जाती है। हिंदी शब्दकोश में विविधता है अनेक बोली और भाषाओं और विदेशी भाषाओं के शब्दों को हिंदी ने ग्रहण किया है। अनुवाद भाषा के प्रचार प्रसार का मुख्य माध्यम है। आकाशवाणी और दूरदर्शन में भी अनुवाद के पद है। दूरदर्शन में क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं।

 कार्यक्रम समन्वयक और  विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और लिपि पर महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी में लगातार अनुवाद कार्य हो रहे हैं। रोजगार के क्षेत्र में भी अनुवाद ने नए क्षेत्र से हिंदी भाषा को परिचित कराया है। तकनीक के साथ जुड़कर हिंदी समसामयिक संदर्भों से जुड़ती है। हिंदी में लगातार नए शब्दकोश और सॉफ्टवेयर निर्माण के कार्य हो रहे हैं। इंटरनेट ने भी ट्रांसलेशन के द्वारा हिंदी में काम करना सुगम बनाया है। भारत सरकार भी तकनीक और हिंदी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। अनुवादिनी आदि सॉफ्टवेयर ने भारतीय भाषाओं में अनुवाद को सरल बनाया है। वैश्विक स्तर पर हिंदी में लगातार नए कार्य हो रहे हैं और हिंदी का भविष्य उज्जवल है।

कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ प्रवीण कटारिया ने किया और सभी अतिथियों का वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉक्टर अंजू ने किया।

 निबंध लेखन और आशु भाषण प्रतियोगिताओं में आशु भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान श्री संदीप मिश्रा, पादन प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग, द्वितीय स्थान प्रियंका वर्मा, एमए भूगोल विभाग, तृतीय स्थान सुश्री पलक रावल बी. ए. एलएलबी विधि विभाग, सांत्वना पुरस्कार शुभम शर्मा एमएससी वनस्पति विज्ञान एवं रजत कोहली पीएचडी राजनीति विज्ञान विभाग ने प्राप्त किया।

निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सृष्टि मलिक एम. ए. प्रथम वर्ष संस्कृत विभाग, द्वितिय स्थान निक्की रानी बीएससी ऑनर्स कंप्यूटर साइंस विभाग, प्रिंसी चौहान एम. ए. हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, सांत्वना पुरस्कार आयुषी त्यागी एम.ए. हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग एवं लवि त्यागी बीएससी ऑनर्स रसायन विज्ञान विभाग ने प्राप्त किया। प्रथम पुरस्कार के रूप में सभी प्रतियोगियों को रु1000 द्वितीय पुरस्कार के रूप में रु750 तृतीय पुरस्कार के रूप में रु500 और सांत्वना पुरस्कार में रु250 नगद धनराशि प्रदान की गई।

हिंदी दिवस के अवसर पर प्रो. के.के शर्मा,  प्रोफेसर रविंद्र प्रताप राणा, प्रोफेसर विघ्नेश कुमार, डॉ अनुज अग्रवाल, डॉ आरती राणा, डॉ यज्ञेश कुमार, डॉ विद्यासागर सिंह, डॉ निर्देश, डॉ सुमित, विनय कुमार, पूजा यादव, पवन गोस्वामी, सचिन कुमार, रेखा सोम, विशाल, नेहा, प्रतीक्षा, प्रिंस, नेहा ठाकुर, एकता चौधरी, रिया सिंह, शौर्य सिंह, अक्षय मुकुट आदि उपस्थित रहे।






































































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