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Wednesday, January 22, 2025

UGC- NET, JRF उत्तीर्ण विद्यार्थी

 




प्री. पीएच.डी. कक्षाओं का शुभारंभ

दिनांक 15 जनवरी 2025 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में प्री पीएचडी कक्षाओं का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार श्री तेजेंद्र शर्मा रहे। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा, संकायाध्यक्ष कला, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ रहे। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग रहे।

  प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालय में शामिल है। नेक ए प्लस प्लस की मान्यता के साथ यह विश्वविद्यालय श्रेष्ठ शिक्षा, संस्कार और जीवन में सफलता को प्राप्त करने के लिए छात्रों को प्रेरित करता है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई दी और शुभकामनाएं प्रेषित की।

श्री तेजेन्द्र शर्मा के कहा कि आधुनिक हिंदी साहित्य का मूल स्वर प्रवासी है, यह प्रवास चाहे देश के अंदर हो या देश के बाहर। उन्होंने कहा कि सच्ची कहानी वह है जिसमें आपको लगना चाहिए कि ऐसा हो सकता है या ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रवासी हिंदी साहित्य ब्रिटिश समाज को अपनाकर लिखा जा रहा है। जिससे ब्रिटिश हिंदी साहित्य वहां के समाज को प्रतिबिम्बित कर पा रहा है।

प्रोo नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि प्रवासी साहित्य को भारत में पाठ्यक्रम के रूप में संचालित करने का श्रेय हिंदी और आधुनिक भारतीय भाषा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय को जाता है। प्रवासी साहित्य के पाठ्यक्रम  निर्धारण में तेजेंद्र शर्मा की महती भूमिका रही है। देश विदेश में हिंदी के अध्ययन अध्यापन के दौरान विदेश में हिंदी की स्थिति बेहतर है। प्रवासी साहित्य के द्वारा देश-विदेश में हिंदी का प्रचार प्रसार हुआ है और हिंदी साहित्य समृद्ध हुआ है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य केवल एक डिग्री प्राप्त करना नहीं होता बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का वहन करना भी सीखना होता है। उच्च शिक्षित लोग समाज को एक दिशा देते हैं। प्री पीएचडी की कक्षाएं न केवल आपको उच्च शिक्षा में पारंगत करेगी बल्कि एक बेहतर मनुष्य इस समाज को भी देगी यही हमारा प्रयास रहेगा। प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने प्री पीएचडी के सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम का संचालन डॉo अंजू ने किया।

इस अवसर पर डॉ प्रवीण कटारिया, डॉक्टर यज्ञेश कुमार, डॉ आरती राणा, डॉ विद्यासागर, विनय कुमार, पूजा यादव, सचिन कुमार, रेखा सोम और प्री पीएचडी के विद्यार्थी शामिल रहे।






'विदेशों में हिंदी' विषय पर परिचर्चा का आयोजन

 दिनांक 9 जनवरी 2025 को विश्व हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में 'विदेशों में हिंदी' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता विभाग के अध्यक्ष और वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भाषाएँ अब देश की सीमाओं से बाहर जा रही है। लिपियों की बाध्यता भी भाषाओं में अब नहीं मानी जा रही और एक भाषा को दूसरी भाषा की लिपि में लिखा जा रहा है। भारत में अपनी मातृभाषा को तकनीकी और व्यावहारिक स्तर पर उस रूप में नहीं अपनाया जा रहा जिस रूप में उसे अपनाया जाना चाहिए। इसके फलस्वरूप हमारी नवीन पीढ़ी को पढ़ने और पढ़ने में ज्यादा प्रयास करने पड़ रहे हैं। सिनेमा और सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी का प्रचार प्रसार विश्व स्तर पर हो रहा है। विश्व हिंदी दिवस के रूप में शासन और जनता दोनों स्तर पर हिंदी को वैश्विक रूप में देखने समझने के लिए एक मंच प्रदान करता है। हिंदी को दैनिक दिनचर्या की भाषा से आगे ले जाकर रोजगार की भाषा बनाने के प्रयत्न होने चाहिए। वास्तव में तभी विश्व हिंदी दिवस की प्रासंगिकता है। अपना देश अपनी भाषा का सूत्र ही हमें भाषाई स्तर पर मजबूत बना सकता है।

राष्ट्रपति भवन के पूर्व हिंदी विशेषाधिकारी डॉ राकेश बी. दुबे ने कहा की वैश्विक स्तर पर हिंदी में बहुत महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। लेकिन बहुत सारे साहित्यकार ऐसे हैं जिन्होंने विश्व स्तर पर हिंदी में रचनात्मक स्तर पर बड़ा योगदान दिया है किंतु उनके साहित्य पर शोध कार्य बहुत कम हुआ है। हिंदी में नए शोध विषय शामिल होने चाहिए और उन साहित्यकारों को जगह मिलनी चाहिए जो अब तक प्रकाश में नहीं आए हैं।

  इस अवसर पर डॉक्टर प्रवीण कटारिया डॉक्टर विद्यासागर सिंह, डॉ यज्ञेश कुमार, पूजा यादव, रेखा सोम ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

 कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अंजू ने किया।

 इस अवसर पर डॉक्टर आरती राणा, सचिन कुमार, पुष्पेंद्र कुमार आकांक्षा सक्सेना उषा, ललिता आदि शोधार्थी विद्यार्थी शामिल रहे।






भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस समारोह के अवसर पर आयोजित भाषण एवं एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता

 साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद् एवं  हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग,  

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस समारोह के अवसर पर आयोजित

 भाषण एवं एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता

दिनांक 20 दिसंबर 2024 को साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद एवं हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के संयुक्त तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस के अवसर पर भाषण प्रतियोगिता एवं एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन के अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी, विभाग अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, समन्वयक, प्रोफेसर के के शर्मा, साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद, संयोजक भाषण प्रतियोगिता डॉक्टर आरती राणा सहसंयोजक डॉक्टर यज्ञेश कुमार, एकल काव्य पाठ के संयोजक डॉक्टर अंजु एवं सहसंयोजक डॉक्टर प्रवीण कटारिया रहे।

  प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से विद्यार्थियों ने भाषण एवं एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता में प्रतिभागिता की। निर्णायक मंडल में भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक प्रोफेसर कविता त्यागी, मेरठ कॉलेज मेरठ, प्रोफेसर ललिता यादव, एन0 ए0 एस0 कॉलेज मेरठ, डॉ0 विजेता गौतम, अंग्रेजी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ रहे।

  एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता में निर्णायक डॉ राजेश कुमार राजकीय डिग्री कॉलेज, बीबी नगर, डॉ अलका वशिष्ठ, उर्दू विभाग, डॉ॰ ओमपाल शास्त्री, संस्कृत विभाग रहे।

  कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि माननीय अटल बिहारी वाजपेयी हमारे समाज और राजनीति के बड़े व्यक्तित्व हैं उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों और राजनीतिक प्रयासों से भारतीय समाज को विकासशील और राजनीति को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रयास सराहनीय हैं। माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी विदेश नीति के द्वारा भारतीय राजनीति को विश्व स्तर पर स्थापित किया। माननीय अटल बिहारी वाजपेयी देश के ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने विश्व स्तर पर शांति स्थापना हेतु अद्भुत प्रयास किये। हमारे देश की ऐसी महान विभूतियों के कार्यों और उनके सामाजिक उपादेयता को ध्यान में रखकर ऐसे कार्यक्रम युवाओं को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि अटल जी ने हिंदी भाषा को गरिमा प्रदान की। अटल जी को राजनेता, कवित्व और वक्ता के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

 डॉ॰ के॰ के॰ शर्मा ने कहा कि  भारत पाकिस्तान संबंधों को सामान्य करने के उनके प्रयास सराहनीय हैं। राजनीतिक रूप में उनकी छवि एक ईमानदार और कर्मठ राजनेता की रही है। उन्होंने कहा कि जो महापुरूष होते हैं उनसे प्रेरणा मिलती है कि हम जीवन में अपने निर्णयों पर अटल रहें। अटल जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। ‘जहाँ न पहुंचे रवि तहाँ पहुंचे कवि’ कवि कल्पना के माध्यम से कवि कहीं भी पहुंच जाता है। अटल जी हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत रहें हैं। 

प्रो॰ आर॰ के॰ शर्मा ने कहा कि 21 वीं सदी सहयोग, संयोजन एवं स्किल का समय है। अगर आप मानव मात्र से प्रेम नहीं करते तो व्यर्थ है संप्रेषण बहुत अनिवार्य है। 

प्रो॰ कविता त्यागी ने कहा कि भाषण देना बच्चे के व्यक्तित्व को भी निखारता है। अटल जी मस्तिष्क से राजनेता थे दिल से कवि थे। ‘मंजिल मिल जाएगी यू ही भटकते-भटकते गुमराह वे हैं जो घर से निकलते नहीं’

प्रो॰ ललिता यादव ने प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया।

डॉ॰ विजेता गौतम ने कहा कि वाजपेयी जी महत्वपूर्ण राजनेता के साथ-साथ विश्व नेता थे। वो राजनीतिक शुचिता के समर्थक थे। 

डॉ॰ राजेश कुमार, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, राजकीय महाविद्यालय, बी॰बी॰, नगर, बुलंदशहर ने कहा कि ‘कविता करना आसान नहीं जो लोहा कांट रहे कागज के तलवारों से’ उन्होंने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं संप्रेषित की।

डॉ॰ ओमपाल शास्त्री ने कहा कि मंच पर आने के लिए विचारों का एकत्रीकरण जरूरी है। मूल स्वर से व्यंजन फिर शब्द फिर विचार बनते हैं। शब्द भंडार से ही शब्द संयोजन संभव है। अतः आप सभी शब्द भण्डार को बढ़ाएं। महाजनों येन गतः स पन्थाः’ बड़ों का अनुसरण करके ही हम जीवन को आगे बढ़ा सकते हैं। 

डॉ॰ अलका वशिष्ठ ने कहा कि अटल जी अमर हैं। बच्चों ने प्रतियोगिता में अच्छा प्रयास किया। बोलने से व्यक्तित्व का विकास होता है। कविता पाठ करना आसान नही है। इसलिए स्वयं को संतुलित बनाएं रखें और जो नहीं भाग लिए हैं वे आगे कोशिश करें। उच्चारण के स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


भाषण प्रतियोगिता के प्रतिभागियों के नाम - प्रियंका वर्मा, आर्यन वत्स, श्रेया वशिष्ठ, प्रशांत पंवार, संजना, अंकित कुमार गौतम, मो॰ नदीम, साधना बालियान, साक्षी, ख्याति भारद्वाज, शिवानी धामा, तसनीफ जेहरा, शुभम शर्मा, नेहा ठाकुर, आयुषी तोमर, इत्यादि विद्यार्थियों ने भाषण प्रतियोगिता में सहमात्र किया।

भाषण प्रतियोगिता का परिणाम -

प्रथम पुरस्कार - शिवानी धामा, इतिहास विभाग

द्वितीय पुरस्कार - तसनीफ जेहरा, वाणिज्य विभाग

तृतीय पुरस्कार - प्रियंका वर्मा, भूगोल विभाग

सांत्वना पुरस्कार - शुभम शर्मा, वनस्पति विज्ञान विभाग

एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता के प्रतिभागियों का नाम - मो॰ ताहिर, पूर्णिमा, रूद्रेश कुमार उपाध्याय, प्रशांत कुमार, रिचा सिंह, उज़्मा, साक्षी आर्य, सार्थक गर्ग, मो॰ आजम, खुशी गोस्वामी, ख्याति भारद्वाज, पूजा यादव, राशि विरमानी, राजश्री गोयल, कशिश गालियान, शुभम शर्मा, संदीप मिश्रा, आदि विद्यार्थियो ने प्रतिभाग किया।

एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता

प्रथम पुरस्कार - संदीप मिश्रा, अनुवांशिकी विभाग

द्वितीय पुरस्कार - पूजा यादव, हिंदी विभाग

तृतीय पुरस्कार - रिया सिंह, हिंदी विभाग

सांत्वना पुरस्कार - उज़्मा चौधरी, गृह विज्ञान विभाग  

कार्यक्रम से पूर्व हिदी साहित्यकार कुटीर में प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, प्रो॰ के॰ के॰ शर्मा, प्रो॰ कविता त्यागी तथा हिंदी विभाग के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा साहित्यकारों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। 

कार्यक्रम में भाषण प्रतियोगिता का संचालन डॉ॰ यज्ञेश कुमार ने किया तथा एकल काव्य पाठ का संचालन डॉ॰ प्रवीण कटारिया ने किया।  डॉ॰ अंजू ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा , डॉ  विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, सचिन कुमार, रेखा सोम, प्रतीक्षा, नेहा रानी, विक्रांत, साजिद सैफी, सपना, सुहानी राणा, आयुषी, नेहा ठाकुर आदि उपस्थित रहे।




















भाषा प्रौद्योगिकी के तकनीकी पक्ष पर विशेषज्ञ प्रोफेसर धनजी प्रसाद का व्याख्यान आयोजित

 दिनांक 17 दिसंबर दिन मंगलवार को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में भाषा प्रौद्योगिकी के तकनीकी पक्ष पर  विशेषज्ञ प्रोफेसर धनजी प्रसाद का व्याख्यान आयोजित किया गया।  प्रो प्रसाद केंद्रीय हिंदी संस्थान  दिल्ली केंद्र पर भाषा विभाग में आचार्य पद पर कार्यरत हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के विभागों के छात्र और छात्राएं जिन्होंने एक विषय के रूप में भाषा प्रौद्योगिकी का चयन किया है व्याख्यान से लाभान्वित हुए।प्रो प्रसाद ने भाषा प्रौद्योगिकी के विभिन्न तकनीकी एवं अनुप्रयोगिक पहलुओं पर लंबा व्याख्यान दिया। यूनिकोड कनवर्टर से लेकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक व्याख्यान के महत्वपूर्ण विषय हैं।  विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने भाषा प्रौद्योगिकी के तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डाला। वैश्विक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रोफेसर लोहनी ने कहा कि हिंदी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए हिंदी भाषा की तकनीकी पहलू पर ध्यान देना होगा। भाषा प्रयोगशाला के संयोजक  डॉ  विद्यासागर सिंह ने प्रोफेसर प्रसाद का परिचय कराते हुए उनके महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डाला। आज का व्याख्यान सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पहलू पर केंद्रित रहा। प्रोफेसर प्रसाद ने विद्यार्थियों को तकनीकी के बुनियादी पहलुओं से कराया। इसी बीच हिंदी विभाग के शिक्षकों को भी भाषा प्रौद्योगिकी के तकनीकी पक्ष से रूबरू होने का अवसर प्राप्त हुआ। विभिन्न विभागों यथा इतिहास, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, ललित कला, भूगोल, संस्कृत आदि विभाग के विद्यार्थी व्याख्यान से लाभान्वित हुए। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों के अलावा शिक्षक डॉ प्रवीण कटारिया डॉ यज्ञेश कुमार, डॉ अंजू एवं डॉक्टर आरती राणा उपस्थित रहे। विभाग के शोधार्थियों मे विनय, पूजा एवं रेखा तथा विद्यार्थियों में आयुषी तोमर एवं निशा उपस्थित रहे।










'भारतीय भाषाएं और लिपियां' विषय पर प्रो0 सुनील कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा विशेष व्याख्यान का आयोजन

 आज दिनांक 13 दिसंबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ द्वारा भारतीय भाषा दिवस 2024 के क्रम में 'भारतीय भाषाएं और लिपियां' विषय पर प्रो0 सुनील कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया.

प्रो0 सुनील कुलकर्णी ने कहा कि भारत भाषा विविधता का देश है यहां कोस कोस पर भाषा बदलता है किंतु इस अनेकता में भी एकता है यही भारतीय संस्कृति की पहचान है। अपनी मातृभाषाओं के उत्थान और विकास के लिए और प्रयास किए जाने शेष हैं। राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की भांति एक राष्ट्रभाषा भी होनी चाहिए। हिंदी विश्व भाषा है। व्यापार की भाषा है। साहित्य की भाषा है किंतु राष्ट्रभाषा होने के लिए अपने ही देश में संघर्ष कर रही है। भारत में लिपियों का इतिहास बहुत प्राचीन है जो भारतीय सभ्यता के विकास का परिसूचक है किंतु लिपियों में एक ही लिपि के भीतर विभिन्न भेद भी भाषाई अन्तरविरोध को दर्शाते हैं। मराठी और हिंदी भाषा में एक लिपि होते हुए भी रचनात्मक रूप में कई भेद हैं। अपनी भाषाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हमें और अधिक प्रयत्न करने होंगे और अपनी भाषाओं को तकनीक और रोजगार से जोड़ना होगा।

कार्यक्रम का संयोजन विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने किया।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ अंजू ने किया।

इस अवसर पर डॉक्टर प्रवीण कटारिया, डॉ आरती राणा, डॉक्टर यज्ञेश कुमार, डॉ विद्यासागर, रेखा सोम, पूजा यादव, विनय कुमार, विक्रांत उपस्थित रहे।




Tuesday, January 21, 2025

भारतीय भाषा दिवस 2024 के अवसर पर 'भारतीय भाषाएं और लिपियां' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

दिनांक 11 दिसंबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ द्वारा भारतीय भाषा दिवस 2024 के अवसर पर 'भारतीय भाषाएं और लिपियां' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी, माननीय कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर वी. रा. जगन्नाथन पूर्व निदेशक, भाषा संकाय इग्नू नई दिल्ली, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा प्रोफेसर के. के. सिंह, माननीय कुलपति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय, माननीय कुलपति, शिक्षक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय कोलकाता, प्रो सुनील कुलकर्णी , निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी अध्यक्ष, उर्दू विभाग, प्रोफेसर वाचस्पति मिश्र, समन्वयक, संस्कृत विभाग और प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय रहे। 

प्रोफेसर सोमा बंदोपाध्याय ने कहा कि भारतीय भाषाओं में विविधता है। मातृभाषा हमारे भाव की भाषा है। वर्तमान पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में अपनी भाषाओं से दूर हो रही है इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम नवीन पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ें। अपनी मातृभाषा का सुर सबसे मीठा होता है। भारतीय भाषाओं का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। लुप्त होती भाषा भी चिंता का विषय है। अपनी भाषा से दूर होने का अर्थ है अपनी जड़ों से कट जाना। प्रत्येक भाषा लिपि भारतीय विविधता और समृद्धि को दर्शाती है।

 प्रोफेसर वी. रा. जगन्नाथन ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी पाठ्यक्रम में एकरूपता होनी चाहिए. भारत में तीन आर्य भाषाएँ हैं हिंदी, उर्दू और बंगाली। हमें अपनी शक्ति को पहचानना चाहिए। हम अपने ही देश की क्षेत्रीय भाषाओं को दृढ़ नहीं कर पा रहे हैं। भारत के बहुभाषी समाज को आदर की दृष्टि से देखना चाहिए। हिंदी भारत को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर सकती है। हिंदी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन के रूप में है। भारतीय भाषाओं का नेतृत्व करने के लिए हिंदी को भी संशोधन की सामर्थ रखनी चाहिए। भारतीय भाषाओं के विकास के लिए यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय भेदभाव को भूलकर भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को भी अपने कदम और मजबूती से रखना चाहिए। 

प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि भारत में भाषाई विविधताओं के साथ-साथ लिपियां की विशेषताओं का भी बड़ा क्षेत्र है। लिपियों के क्षेत्र में विचार विमर्श किया जाना चाहिए। दक्षिण भारतीय लिपियों को समझने से कई दक्षिण भारतीय भाषाओं में पुनः शोध कार्य की पर्याप्त संभावनाएं हैं। आर्य परिवार की भाषा और द्रविड़ परिवार की भाषाओं में कई वर्ण और चिन्ह एक समान है। सभी भारतीय भाषाएं मित्र भाषाएं हैं। भारतीयों का अंग्रेजीकरण होने से ही भारतीय भाषाएं कमजोर हुई है। देवनागरी लिपि में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की रचनाओं को लाना चाहिए। हिंदी क्षेत्र के केंद्र में रहकर हमारा दायित्व है कि हम भारत की अन्य भाषाओं पर चर्चा करें। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारत सरकार के भी कोशिश है कि भारत की तमाम भाषाओं पर अध्ययन अध्यापन और शोध को आगे बढ़ाया जाए।

 प्रोफेसर के. के. सिंह ने कहा की भारतीय भाषाओं के संदर्भ में अंग्रेजी का वर्चस्व आज चिंता का विषय है. हम किसी भी स्तर पर अंग्रेजी वर्चस्व को कम नहीं कर पा रहे हैं. लार्ड मैकाले की दी हुई शिक्षा व्यवस्था से हम आज भी उबर नहीं पाए हैं हमें हिंदी के बुनियादी ज्ञान के स्तर को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि नवीन पीढ़ी भारतीय संस्कृति और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकें।

प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि कोई भी देश अपनी तरक्की के लिए भाषाई तरक्की पर आश्रित होता है। हिंदी का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। प्रेमचंद ने भी अपने साहित्य लेखन की शुरुआत हिंदी से ही की। भारत में भाषाओं का मिश्रण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व के लिए हिंदी को महत्व देना होगा लेकिन अपने देश में हमें अपनी क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियां को महत्व देना होगा। उर्दू तहजीब की भाषा है। भावों की अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही हो सकती है। भारत भाषाई विविधताओं में एकता का प्रतिनिधित्व हिंदी भाषा करती है।

 प्रोफेसर वाचस्पति मिश्र ने कहा कि आर्थिक विकास भी भाषाई विकास पर आधारित है। भारतीय भाषा दिवस हमें हमारी भाषाओं को उन्नत करने के संकल्प की याद दिलाता है। विज्ञान में हम अपनी भाषाओं में अनुसंधान नहीं कर पा रहे हैं। भारत को विश्व गुरु बनने के लिए अपनी भाषाओं को तकनीक से जोड़ना होगा।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आरती राणा ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अंजू ने किया  किया। 

इस अवसर पर प्रोफेसर संजय कुमार, डॉक्टर आसिफ अली, डॉ शादाब अलीम, डॉ अलका वशिष्ठ, डॉ नरेंद्र तेवतिया, डॉक्टर ओमपाल शास्त्री, डॉक्टर प्रवीण कटारिया, डॉक्टर यज्ञेश कुमार, डॉ विद्यासागर, शोधार्थियों में पूजा यादव, विनय कुमार, रेखा सोम, विभाग के विद्यार्थियों में आयुषी, नेहा, रिया,एकता, विक्रांत, शौर्य, मोनिका, राजकुमार, आयुषी, सोनम, निशा, मोहम्मद साजिद उपस्थित रहे।











नव आगत विद्यार्थियों के लिए स्वागत समारोह का आयोजन

 दिनांक 14 अक्टूबर 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में नव आगत विद्यार्थियों के स्वागत के लिए स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता  विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए समय का महत्व अत्यधिक होता है, हमें समय के महत्व को समझना चाहिए और आपसी सोहार्द और प्रेम को बनाये रखना चाहिए तभी विकास होगा। नवागत विद्यार्थियों को उन्होंने शुभकामनाएं दी। विभाग के शिक्षक डॉ अंजू ,डॉक्टर आरती राणा, डॉक्टर प्रवीण कटारिया और डॉक्टर यज्ञेश कुमार ने विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए। 

कार्यक्रम में मिस्टर फ्रेशर बीo ए o ऑनर्स प्रथम वर्ष के साजिद और मिस फ्रेशर एमo ए o  प्रथम वर्ष की छात्रा वर्षा रहे।

कार्यक्रम का संचालन एमo एo द्वितिय वर्ष की छात्रा नेहा,रिया और विक्रांत ने किया।

इस अवसर पर पीएचoडीo से विनय कुमार, एमo ए o द्वितीय वर्ष से नेहा  ठाकुर,शौर्य आयुषी,प्रियंका, प्रिंसी, राजकुमार, विक्रांत, रिया, मोनिका, एमo ए o प्रथम वर्ष से अर्चित, आर्यन, आयुषी, सोनिया बी o ए o ओनर्स से सपना, सुहानी आदि उपस्थित रहे।








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