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Thursday, October 1, 2015

हिंदी दिवस समारोह के दूसरे दिन 'जनसंचार माध्यम और हिंदी' विषय पर संगोष्टी और माननीय कुलपति द्वारा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया ।

हिन्दी अधिक से अधिक स्वीकार्य हो, इसके लिए जरूरी है कि स्वयं में योग्यता का स्तर ऐसेबढ़ाए कि दूसरे भी हिन्दी को अपनाएं। यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के हिंदीविभाग में आयोजित ‘जनसंचार माध्यम और हिन्दी’ नामक संगोष्ठी में प्रो॰ एन॰के॰ तनेजा, मा॰कुलपति जी ने अध्यक्षता करते हुए कही। उन देशों ने सर्वाधिक विकास किया, जहाँ जनशक्तिसृजनशील है और जिनकी प्रारम्भिक शिक्षा व्यवस्था मातृभाषा में हुई है। प्रो॰ तनेजा ने कहा किशोध वृत्ति तब विकसित होती है, जब शोध में किसी प्रकार की हीनता न हो। विभिन्नअनुशासनों में विद्यार्थी अंग्रेजी सीखने के बोझ से दबा रहता है। उन्होंने आगे कहा कि वहीभाषाएं जीवित रही हैं जिनके पालनकर्ता अधिक समृद्धशाली एवं बुद्धिशील होते हैं।

विशिष्ट अतिथि पूर्व निदेशक, आकाशवाणी, दिल्ली के डाॅ॰ लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने हिन्दी दिवस समारोह कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि वर्तमान दौर विसंगतियों से अटा पड़ा है। शास्त्रीय चीजेंपरिधि से बाहर हो गई हैं और जीर्ण-शीर्ण चीजें परिधि के अन्दर हैं। विश्व में हिन्दी को लेकर कोईहीन भावना नही है। हीन भावना हमारे अन्दर है। उन्होंने कहा कि भाषा का चमत्कार यह होता हैकि अंग्रेजी अपनाने के साथ ही इंग्लैंड पूरे विश्व पर शासन कर सका।

दूरदर्शन, दिल्ली द्वारा प्रसारित ‘मेरी बात’ कार्यक्रम के निर्देशक एवं हिन्दी दिवस समारोहकार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ अमर नाथ अमर ने कहा कि समाज मे आ रहे बदलावों से हिन्दीभाषा भी बदली है। उन्होंने 14 सितम्बर हिन्दी दिवस, 15 सितम्बर दूरदर्शन स्थापना दिवस और23 सितम्बर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जयंती को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दी भाषाके विकास में इन तिथियों का विशेष योगदान है। परम्परा संस्कृति और भाषा के तमाम पक्षों कोजीवन में सहज और सरल तरीके से रखा जाए तो हिन्दी को समृद्ध बनाने के लिए इसकामिलाजुला रूप विकसित करना अनिवार्य है। राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाने के पीछे इसकामहत्वपूर्ण उद्देश्य अधिक से अधिक विस्तारित होते हैं साथ ही विश्व की संस्कृति और अपनीविरासत को संभालना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने दूरदर्शन के धेय वाक्य ‘सत्यम्, शिवम्,सुन्दरम्’ को हिन्दी भाषा से जोड़ते हुए कहा कि ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’।वैश्विक स्तर पर लोग हिन्दी सीख रहे हैं, क्योंकि हिन्दी रोजगार की भाषा है। भाषाई शुद्धता केसाथ-साथ बाजार की मांग पर भी ध्यान देना जरूरी है लेकिन हिन्दी भाषा की शुद्धता की कीमतपर नहीं। बाजार की भाषा अलग होती है लेकिन आकाशवाणी आज भी भाषा के साथ कोईसमझौता नहीं करता और दूरदर्शन भी भाषाई शुद्धता से कोई समझौता नहीं करता है।

डाॅ॰ नरेन्द्र मिश्र ने यह चिंता प्रकट की कि गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआतहोने से हिन्दी का स्वरूप कैसा हो सकता है, यह जानने योग्य बात है। डाॅ॰ मिश्र ने कहा किआजादी से पहले और आजादी के बाद भी भाषा में व्यापक बदलाव देखने को मिलता है। 1975 केबाद पत्रकारिता एवं दूरदर्शन की भाषा में अंग्रेजी का पुट शुरू हुआ। उसके बाद उदारीकरण का दौरशुरू हुआ है और हिन्दी भाषा एक प्रकार से बाजार से संचालित होने लगी।

विश्वविद्यालय के कला संकाय के अध्यक्ष प्रो॰ योगेन्द्र सिंह ने कहा कि हिन्दी विभाग विश्व भरमें हिन्दी भाषा का परचम लहरा रहा है। हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने 2002 में विभाग की स्थापना से लेकर अब तककी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नेट/जे॰आर॰एफ॰ से लेकर विभिन्न प्रतियोगीपरीक्षाओं पर विभाग के छात्रों ने उत्कृर्ष प्रदर्शन किया है। हिन्दी दिवस समारोह के प्रथम दिन आयोजित स्वरचित कविता प्रतियोगिता एवं आशु भाषणप्रतियोगिता में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को माननीय कुलपति जी द्वारा पुरस्कारप्रदान किये गये।

स्वरचित कविता प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थी -
प्रथम पुरस्कार - ललित कुमार, (एम॰ फिल्)
द्वितीय पुरस्कार - विनीता (एम॰ए॰ प्रथम वर्ष)
तृतीय पुरस्कार - वर्षा (एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष)
सांतवना पुरस्कार - मोनिका रानी (एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष)
सांतवना पुरस्कार - कीर्ति मलिक (एम॰ए॰ प्रथम वर्ष)

आशुभाषण प्रतियोगिता में पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थी -
प्रथम पुरस्कार - स्वाति (एम॰ए॰ प्रथम वर्ष)
द्वितीय पुरस्कार - ज्योति (एम॰ फिल)
तृतीय पुरस्कार - वसीम (एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष)
सांतवना पुरस्कार - विनित कुमार (एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष)
सांतवना पुरस्कार - दीपक तिवारी (एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष)
कार्यक्रम का संचालन डाॅ॰ रविन्द्र प्रताप राणा ने किया।

इस अवसर पर शिक्षा संकाय के अध्यक्ष प्रो॰ पी॰के॰ मिश्र, कृर्षि संकाय के अध्यक्षप्रो॰ पी॰ के॰ शर्मा, डाॅ॰ आलोक कुमार, कवि किशन स्वरूप, डाॅ॰ अरूणा दुबलिश, डाॅ॰ प्रवीणकटारिया, डाॅ॰ अंजू, डाॅ॰ विवेक सिंह, डाॅ॰ अमित कुमार, डाॅ॰ विद्या सागर सिंह, आरती राणा,अलूपी राणा, योगेन्द्र सिंह, मोना यादव, कु॰ दीपा रानी आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।














































Wednesday, September 30, 2015

हिंदी विभाग में आशुभाषण प्रतियोगिता एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के हिंदी विभाग के अन्तर्गत आशुभाषण प्रतियोगिता एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन 29 सितम्बर 2015 को किया गया। आशुभाषण प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में एम॰ए॰ प्रथम वर्ष की स्वाति, कपिल गौतम, अजय एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष से दीपक, वसीम, मोहित, विनित तथा एम॰ फिल से ज्योति एवं ललित प्रमुख हैं। स्वरचित कविता प्रतियोगिता में 17 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिनमें एम॰ए॰ प्रथम वर्ष से पारूल, स्वाति, अंजली त्यागी, अंजली कुमारी, विनिता, कपिल गौतम, कीर्ति मलिक एवं अजय कुमार आदि प्रमुख हैं। एम॰ए॰ द्वितीय वर्ष से स्वरचित कविता प्रतियोगिता में मोनिका, वर्षा, सरजीत, दीपक तिवारी, मोहित तथा वसीम ने भाग लिया। एम॰ फिल से स्वरचित कविता प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में ललित, प्रिया रानी एवं शिखा रानी प्रमुख हैं। 
आशुभाषण प्रतियोगिता एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता के लिए तीन सदस्यीय निर्णायक मण्डल का गठन किया गया था, जिनमें डॉ. अरूणा दुबलिश, डॉ. अंजू एवं डॉ. विवेक सिंह शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने की। कार्यक्रम के अंत में निर्णायक मण्डल के सदस्यों ने प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के गुर सिखाए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रवीण कटारिया ने किया।

                               निर्णायक मंडल डॉ. अरुणा दुबलिश, डॉ. अंजू ओर डॉ. विवेक सिंह   

 संचालन करते डॉ . प्रवीण कटारिया




                                            डॉ. अरुणा दुबलिश जी 

 डॉ. अंजू 
                                                 डॉ. विवेक सिंह 
                          छात्र छात्राओं को संबोधित करते  हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी 




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