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Tuesday, May 9, 2023

शैक्षिक भ्रमण

 दिनांक  २५ मार्च २०२३ को विभागीय शैक्षिक टूर हरिद्वार और ऋषिकेश गया जिसमें विद्यार्थियों ने सिखने के साथ आनंद भी लिया। 

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार, हर की पौड़ी और ऋषिकेश के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण किया। 




















परिचर्चा

 हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग,

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ
दिनांक : 12/04/2023
आज दिनांक 12 अप्रैल 2023 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में एक परिचर्चा आयोजित की गई।  
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो० वाई० विमला, वरिष्ठ आचार्य, वनस्पति विज्ञान विभाग ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ० मृदुल कीर्ति, आस्ट्रेलिया, वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक, विशिष्ट अतिथि डॉ० नंद कुमार, पूर्व प्राचार्य, एस०एस०एस०एस० कालेज, मेरठ, डॉ० इन्दु झुनझुनवाला, बैंगलोर, श्रीचन्दा प्रहलादका, कोलकाता, डॉ० मंजरी पाण्डेय, वाराणसी, डॉ० रचना शर्मा, वाराणसी, सान्निध्य प्रो० नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो० वाई० विमला, वरिष्ठ आचार्य वनस्पति विज्ञान विभाग ने कहा कि बडे़ रचनाकारों की कृतियाँ विद्यार्थियों के लिए सदैव प्रेरणा का काम करती है और समाज को सकारात्मकता की ओर मोड़ती है।
मुख्य अतिथि डॉ० मृदुला कीर्ति, वरिष्ठ साहित्यकार एवं अनुवाद ने कहा कि ज्ञान का उद्देश्य ऋत् तक पहुँचना है। ब्रह्म ज्ञान का अर्थ मुक्ति तक पहुंचना है।
विशिष्ट अतिथि डॉ० नंद कुमार, पूर्व प्राचार्य, एस०एस०एस०एस० कालेज, मेरठ ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में हिंदी को स्थान मिला। देववाणी अब जन वाणी बनी है। कलम की ताकत, तलवार से ज्यादा ताकतवर होती है। हृदय ही हृदय की भाषा समझ सकता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ० इन्दु झुनझुनवाला, बैंगलोर ने कहा कि शब्दों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश निहित हैं, शब्दों में सृजन, पालन और संहार भी निहित है। अनुभव में साथ शब्द और अभिव्यक्ति का महत्व पता चलता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ० मंजरी पाण्डेय, वाराणसी ने हिंदी के महत्व को लेकर उन्होंने कुछ कविताएं पढ़ी उन्होंने कहा
जिसने हिंदी साधी, सब साध लिया वो जहान, जन-जन की ये भाषा, जन-मन की ये पहचान
विशिष्ट अतिथि डॉ० रचना शर्मा, वाराणसी ने कहा कि अपनी संस्कृति के प्रति आत्मभिमान होना चाहिए। मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम का गीत ‘‘जब जीरो दिया मेरे भारत ने’’ भारतीय संस्कृति को व्याख्यायित करता है हमारे हिंदी साहित्यकारों में पुर्नपाठ भी आवश्यकता है। जिससे ज्ञान में आधुनिक कसौटी पर कसा जा सके।
विशिष्ट अतिथि श्रीचन्दा प्रहलादका, कोलकाता ने विद्यार्थियों के लिए देशभक्ति और प्रेरणास्पद कविताओं का पाठ किया।
‘वतन पर मरने वालों का घड़ी भर का फसाना है,
हथेली पर सजा चलते हैं ये प्राण, वतन पर मरने वालों की यही है पहचान’
प्रो० नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने कहा कि साहित्य रचना समाज निर्माण की भूमिका होती है। इसलिए साहित्य सृजन करने वाला व्यक्ति सामान्य व्यक्तित्व से बड़ा होता है और अनुकरणीय होता है।
अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ० अंजू, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया।
कार्यक्रम का संचालन पूजा यादव, शोधार्थी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने किया।
कार्यक्रम में डॉ० आरती राणा, डॉ० विद्यासागर सिंह, डॉ० यज्ञेश कुमार, डॉ० प्रवीन कटारिया, विनय कुमार, कु० पूजा, सचिन, उपेन्द्र, शौर्य, बॉबी, प्रिंसी, अपूर्वा, गरिमा, प्रियंका, प्रतीक्षा, प्रिंस, शिवन, उसबा, अफसा, शीबा, राखी, अंजली, आदि उपस्थित रहे।














यूजीसी नेट परीक्षा में सफलता

 हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के दो पुरातन छात्र और दो वर्तमान विद्यार्थियों ने यूजीसी नेट परीक्षा में सफलता प्राप्त की है।

एम.ए. 2018-20 के छात्र के विद्यार्थी सचिन और उपेंद्र ने जेआरएफ और वर्तमान में एम. ए. चतुर्थ सत्र की दो छात्राओं शिवानी पांचाल ने जेआरएफ और काजल ने नेट परीक्षा उत्तीर्ण की है । 

चारों विद्यार्थियों विभाग के शिक्षकों एवं विभाग के अध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष कला प्रो0 नवीन चंद्र लोहनी ने तथा डॉ० अंजू (सहायक आचार्य) , डॉ० विद्यासागर सिंह (सहायक आचार्य) , डॉ० प्रवीन कटारिया (सहायक आचार्य), डॉ० आरती राणा (सहायक आचार्य), डॉ० यज्ञेश कुमार (सहायक आचार्य)  ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

सचिन और उपेंद्र ने विश्वविद्यालय की पीएचडी परीक्षा में भी स्थान प्राप्त किया है।





केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की यात्रा

 दिनांक २३ मार्च २०२३  को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ  के  प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग तथा सहायक आचार्य डॉ० अंजू के साथ पीएच० डी०  के विद्यार्थी श्री विनय कुमार, कु०  पूजा, पूजा कसाना, कु० अंकिता तिवारी ने केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा की यात्रा की, जिसमें दोनों संस्थानों में अध्ययन अध्यापन के विषयों पर परिचर्चा की गई. 

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा  के मध्य संपन्न शैक्षणिक एवं शोध सहभागिता समझौता ज्ञापन के संदर्भ में एक शैक्षणिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन संस्‍थान के अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्‍ट्रीय सभागार स्थिति समिति कक्ष में दिनांक 23.03.2023 को संपन्‍न हुआ। कार्यक्रम में चौधरी चरण सिंह विश्‍वविद्यालय, मेरठ का प्रतिनिधि मंडल विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभागाध्‍यक्ष एवं कला संकायाध्‍यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहानी के नेतृत्‍व में सम्मिलित हुआ जिसमें उनके विभागीय सहयोगी शिक्षक और हिंदी विभाग के शोधार्थी सम्मिलित थे। केंद्रीय हिंदी संस्‍थान की ओर से उक्‍त कार्यक्रम में विभिन्‍न अकादमिक विभागों के अध्‍यक्ष और संस्‍थान के स्‍वदेशी विदेशी एवं नवीकरण पाठ्यक्रमों के प्रति‍भागी विद्यार्थी उपस्थित हुए। 

संवाद कार्यक्रम में दोनों संस्‍थाओं के बीच शैक्षणिक एवं शोध कार्य संबंधी आगामी कार्य-योजनाओं की रूपरेखा पर चर्चा की गयी। अपने स्‍वागत भाषण में संस्‍थान के शैक्षणिक समन्‍वयक प्रो. हरिशंकर ने हिंदीतर क्षेत्रों में हिंदी के बहुआयामी विकास से जुड़ी केंद्रीय हिंदी संस्‍थान की गतिविधियों का उल्‍लेख करते हुए आशा व्‍यक्‍त की कि मेरठ विश्‍वविद्यालय और संस्‍थान शैक्षणिक और शोधपरक कार्यक्रमों में एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए छात्रोपयोगी योजनाएं तैयार करेंगे। 

कार्यक्रम के दौरान दोनों संस्‍थाओं के प्रतिनिधियों का औपचारिक परिचय हुआ जिसके बाद दोनों संस्‍थाओं की अकादमिक गतिविधियों पर आधारित प्रेज़़ेंटेशन दिया गया। बैठक में उपस्थित शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने दोनों संस्‍थाओं के बीच विगत वर्ष हुए समझौता ज्ञापन की प्रशंसा करते हुए माना कि इसका लाभ उन्‍हें अपने शैक्षणिक और शोधपरक अध्‍ययन को विकसित करने के लिए प्राप्‍त होगा। दोनों संस्‍थाओं के शैक्षणिक संसाधनों का लाभ एक-दूसरे को मिलेगा और समय-समय पर आयोजित होने वाले अकादमिक कार्यक्रमों और शोधपरक योजनाओं के माध्‍यम से हिंदी भाषा, साहित्य, लोक संस्‍कृति, शिक्षा आदि क्षेत्रों में एक-दूसरे के अनुभवों को साझा किया जा सकेगा।

बैठक के दौरान विशेष रूप से हिंदी एवं स्‍थानीय भाषा साहित्‍य के तुलनात्‍मक अध्‍ययन, खड़ी बोली (कौरवी) लोक शब्‍दकोश निर्माण, प्रवासी साहित्‍य विषयक शोध अध्‍ययन और प्रयोजनमूलक दृष्टि से भाषा विकास एवं आधुनिकीकरण पर चर्चा हुई और परस्‍पर सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया गया। केंद्रीय हिंदी संस्‍थान के शिक्षक इस शैक्षणिक समझौते के तहत मेरठ विश्‍वविद्यालय के पी.एच.डी. शोध कार्यक्रमों में सह-शोध निर्देशक के रूप में जुड़ सकेंगे। दोनों संस्‍थाओं के विद्यार्थी एवं शोधार्थी शोध एवं शिक्षण संबंधी कार्यों के लिए समय-समय पर एक-दूसरे के शैक्षणिक परिसर और वहां उपलब्‍ध शैक्षणिक संसाधनों का नियमानुसार उपयोग कर सकेंगे। दोनों संस्‍थाओं में आयोजित होने वाले सेमिनार, वर्कशॉप आदि कार्यक्रमों में शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थी सहभागिता कर सकेंगे और इस समझौता ज्ञापन के उद्देश्‍यों के अनुकूल अन्‍य साझे अकादमिक कार्यक्रमों का आयोजन एवं संचालन भविष्‍य में किया जा सकेगा। 

मेरठ विश्‍वविद्यालय के दल का नेतृत्‍व कर रहे प्रो. लोहनी ने आशा व्‍यक्‍त की कि इस अकादमिक वर्ष के दौरान समझौता ज्ञापन के अनुरूप शैक्षणिक और शोधपरक गतिविधियों को गतिपूर्वक आगे बढ़ाया जाएगा और दोनों संस्‍थान मिलकर हिंदी के व्‍यापक हित संवर्धन के लिए कार्य करेंगे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कर रही संस्‍थान की निदेशक प्रो. बीना शर्मा ने समझौता ज्ञापन में उल्लिखित कार्य बिंदुओं पर आधारित शैक्षणिक चर्चा-परिचर्चा और परस्‍पर सहयोग को विभिन्‍न विषय क्षेत्रों में आगे बढ़ाने की बात कही और विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि दोनों संस्‍थाओं के शिक्षक, विद्यार्थी और शोधार्थी इससे लाभांवित होंगे। 


कार्यक्रम में संस्‍थान की ओर से डॉ. सपना गुप्‍ता, डॉ. जोगेंद्र सिंह मीणा, डॉ. निरंजन सिंह, डॉ. राजवीर सिंह और श्री केशरी नंदन एवं मेरठ विश्‍वविद्यालय की ओर से डॉ. अंजू, कु. पूजा,  अंकिता तिवारी,  पूजा यादव और विनय कुमार, भुवन नेगी उपस्थित रहे। 

कार्यक्रम में गुजरात की प्राध्यापिका डॉ सोनल पटेल 

केंद्रीय हिंदी संस्थान में अध्ययनरत श्रीलंका के लक्षि मलिका, सँदनी सदरुवनी, इमाली दर्शिका, नाइजीरिया के आलियू,  ताजिकिस्तान की ईरोदा भी शामिल हुए, एवं संस्थान तथा हिंदी शिक्षण संबंधी अपने अनुभव सुनाए।

संवाद कार्यक्रम से पहले विश्‍वविद्यालय के प्रतिनिधियों ने संस्‍थान पुस्‍तकालय और परिसर का संदर्शन किया। 

कार्यक्रम संयोजन एवं संचालन अनुपम श्रीवास्‍तव ने किया तकनीकी व्‍यवस्‍थाओं में श्री अनिल कुमार पाण्‍डे ने सहयोग किया। धन्‍यवाद ज्ञापन डॉ. सपना गुप्‍ता द्वारा किया गया।



















दो महत्वपूर्ण पुस्तकों पर चर्चा- ‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियाँ’, ‘प्रवासी हिंदी साहित्य और ब्रिटेन’



 हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग,

दिनांक 18 मार्च 2023 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी  चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने प्रवासी साहित्य की दो महत्वपूर्ण पुस्तकों पर चर्चा आयोजित की गई।
श्रीमती जय वर्मा द्वारा संपादित - ‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियाँ’
डाॅ॰ राकेश बी॰ दुबे लिखित - ‘प्रवासी हिंदी साहित्य और ब्रिटेन’
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीमती जय वर्मा, अध्यक्ष काव्य रंग, नाॅटिंघम, ब्रिटेन, विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ राकेश बी॰ दुबे, निदेशक (सलाह॰) राजभाषा, गृहमंत्रालय, भारत सरकार रहे। पुस्तक चर्चा में डाॅ॰ आरती राणा, सहायक आचार्य, हिंदी विभाग, पूजा यादव, शोधार्थी, हिंदी विभाग, कु॰ शिवानी, कीर्ति मिश्रा रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ॰ अंजू सहायक आचार्य, हिंदी विभाग ने किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अपने विचार और प्रस्तुति कौशल उनकी विशेषताओं को दर्शाता है। अभिव्यक्ति कौशल अनुभव के साथ बढ़ता है। दोनों ही पुस्तकें विद्वत समाज में महत्वपूर्ण प्रस्तुतियाँ है। निश्चित ही पुस्तकों से हिंदी साहित्य समाज समृद्ध होगा। साहित्यिक दृष्टिकोण से हिंदी साहित्य के केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।
मुख्य अतिथि श्रीमती जय वर्मा ने कहा कि ‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियाँ’ कहानी संग्रह उस परंपरा की एक कड़ी है, जो प्रवासी साहित्य को पाठकों तक पहुंचाती है। इस कहानी संग्रह में स्थापित कहानीकारों के साथ-साथ नए कहानीकारों को भी साहित्य जगत से परिचित कराया गया है। जिससे नवीन पीढ़ी के विचार और भाव भी साहित्य प्रेमियों तक पहुंच सकें। इस संग्रह में शामिल सभी 26 कहानियाँ विभिन्न मनोभूमियांे और संवेदनाओं को प्रस्तुत करने वाली कहानियाँ हैं।
विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ राकेश बी॰ दुबे ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना भी आवश्यक है। ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों के अभिव्यक्ति कौशल को परिपक्व बनाते हैं। पुस्तक लिखने का औचित्य तभी है जब वह पाठकों के लिए उपयोगी हो। इसी में लेखक की सफलता भी निहित है।
डाॅ॰ आरती राणा ने श्रीमती जय वर्मा जी की पुस्तक ‘‘ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियों‘‘ पर चर्चा की। उन्होंने पुस्तक में संकलित 26 कहानियों के विभिन्न पात्रों उनकी मनोदशा, उनके समाज व परिस्थितियों को बताते हुए इन कहानियों के लेखकों की विशिष्टताओं पर भी चर्चा की।
कु॰ पूजा ने दो पाटों के बीच में जया वर्मा की कहानी के विषय में देश विभाजन की चर्चा की। विभाजन का देश, त्रासदी, भयावहता के विषय में बताया।
पूजा यादव ने जया वर्मा की पुस्तक ब्रिटेन की प्रतिनिधि हिंदी कहानियों मे मेहरचन्द की बुआ कहानी की चर्चा करते हुए परिवेश, पात्र, व्यक्ति के स्वभाव पर विश्लेषण किया।
कु॰ शिवानी ने राकेश बी॰ दूबे की पुस्तक प्रवासी हिंदी साहित्य और ब्रिटेन पर चर्चा की उसका विश्लेषण किया।
कीर्ति मिश्रा ने जया वर्मा की पुस्तक समाज संस्कृति एवं विविधताओं का बोध कराती है। इसे शोधर्थियों के लिए उपयोगी पुस्तक बताया। निकुंज कुमार ने राकेश बी॰ दूबे की पुस्तक ब्रिटेन के विषय मेे जानकारी प्राप्त होती है।
कार्यक्रम में  डाॅ॰ अनुज कुमार, पूनम शर्मा, अंशु तोमर, डाॅ॰ यज्ञेश कुमार, डाॅ॰ प्रवीन कटारिया, डाॅ॰ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, शौर्य,  बाॅबी, प्रिंसी, अपूर्वा, गरिमा, प्रतीक्षा, आदि उपस्थित रहे।














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