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Thursday, January 18, 2024

हिंदी भाषा एवं सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संगोष्ठी एवं यूको राजभाषा संम्मान का आयोजन

हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा दिनांक 10 जनवरी 2024 को विश्व हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर ‘हिंदी भाषा एवं सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग’ विषय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर यूको बैंक, मेरठ द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यलय, मेरठ से वर्ष 2022-2023 में एम॰ ए॰ हिंदी में सर्वोच्च अंक प्राप्त दो विद्यार्थियों को ‘यूको राजभाषा संम्मान’ हिंदी के मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान योजना के अंतर्गत नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।  

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो॰ संगीता शुक्ला, मा॰ कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो॰ संजीव शर्मा, संकायाध्यक्ष कला, डॉ॰ राकेश बी॰ दुबे, वरिष्ठ सलाहाकार, भारतीय गुणवत्ता परिषद्, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, श्री मोहन बहुगुणा, सहायक निदेशक, राजभाषा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, श्रीमती रूचि, अग्रवाल, सहायक महाप्रबंधक एवं उप अंचल प्रमुख, यूको बैंक, मेरठ, श्रीमती प्रतिभा रतन, वरिष्ठ प्रबंधक, राजभाषा, यूको बैंक, मेरठ शामिल हुए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ संगीता शुक्ला, मा॰ कुलपति ने कहा कि हम भाषा को कहाँ तक पहुँचा सकते हैं, इस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों से ही है, विद्यार्थियों से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ेगा। विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए। यूको बैंक को भी धन्यवाद दिया। मा॰ कुलपति जी ने पुरस्कार प्राप्त विद्यार्थियों को एवं उनके माता पिता को भी बधाई दी।

प्रो॰ संजीव कुमार शर्मा, संकायाध्यक्ष कला ने कहा कि हिंदी के क्षेत्र में लोग अंग्रेजी पर जोर देते हैं। भाषा के प्रति अनुराग हृदय से आना चाहिए। आज बहुत से लोग संस्कृत एवं अन्य भाषाओं में लिख रहे हैं। हिंदी संपर्क की भाषा है हिंदी बोलने वाले भारत मंे सर्वाधिक हैं। जब तक अनिवार्य नहीं हो तब तक अंग्रेजी न बोले, हिंदी में ही बोले, हमें स्वयं को हीनता से नहीं देखना है, भाषा केवल माध्यम है। हिंदी भी संप्रेषण का वाहन हो, उसे अच्छी बनाए। सरलीकरण के नाम पर भाषा की दुर्गति नहीं कीजिए। अपनी भाषा को श्रेष्ठ एवं आदर्श बनाएं। उन्होंने यूको बैंक, मेरठ तथा पुरस्कार प्राप्त विद्यार्थियों को एवं उनके माता पिता को बधाई दी।

प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने विदेशों में, विश्व मंे हिदी की स्थिति पर चर्चा की। अनेक भाषाओं को एक सूत्रता में बांधने का कार्य हिंदी करती है। आज पूरे विश्व में विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय हिंदी का प्रयोग सम्पर्क भाषा के रूप में कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि वे हिंदी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी से भी जुड़े। वैश्विक स्तर पर हिंदी में जुड़े। सदैव नया सीखने का प्रयास करें।  प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने यूको बैंक, मेरठ तथा पुरस्कार प्राप्त विद्यार्थियों को एवं उनके माता पिता को बधाई दी।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ॰ राकेश बी॰ दुबे ने विश्व हिंदी दिवस की संकल्पना के विषय में बताया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए विश्व हिंदी दिवस मनाने के पीछे उनकी मंशा का जिक्र किया। वाजपेयी जी ने विश्व मंे रहने वाले प्रत्येक भारतीय से संर्पक पर जोर दिया था। उन्होंने भारतीय प्रवासी दिवस की जानकारी पर भी प्रकाश डाला। हिंदी पूरे देश की जनता के साथ ही नहीं बल्कि पूरे स्वाधीनता आंदोलन का साधन बनी। 10 जनवरी को प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 1975 को नागपुर में हुआ था। भारत सरकार के कामकाज की राजभाषा हिंदी बनाने के पीछे हुए संघर्ष के विषय में बताया। भारतीय शास्त्रोक्त भाषाओं में हिंदी सर्वाधिक नवीन भाषा है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात हिंदी भाषा के संघर्ष के विषय में बताया। हिंदी सभी उपबोलियों एवं उप भाषाओं का समुच्चय है। आज हिंदी आगे बढ़ रही है। जहाँ हिंदी का घोर विरोध था आज वे भी भारतीय स्तर पर बात हिंदी में ही करते हैं। मोदी जी के हिंदी प्रेम पर भी चर्चा की। हिंदी भाषियों को भी चाहिए कि अन्य भाषा का भी सम्मान करें। कोई भाषा छोटी या बडी नहीं है। हिंदी का सौभाग्य है कि उसके बोलने वालों की संख्या बढ़ी है। भाषा सीखना सदैव कल्याणकारी है। भाषाएँ नए समूह के साथ जोड़ती है उन्होनें भाषिकी नामक सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकी का वर्णन किया। जो एक वक्ता बोल रहा है, तुरंत ही श्रोता अपनी भाषा में उसे समझ लेता है। उन्होंने हिंदी भाषियों को अन्य भाषा सीखने का आहवाहन भी किया।

  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री मोहन बहुगुणा ने कहा कि आज के सोशल साईटस में हिंदी जब से जुड़ी है, तब से हिंदी का अच्छा प्रभाव विश्व में गया है। हमने आज कम्प्यूटर के रूप में अपना एक मित्र तैयार कर लिया है जो प्रत्येक कार्य में अपना सहयोग देता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने कम्प्यूटर तकनीक और मानव के बीच समन्वय बनाने मंे सहायता मिली है। इसके माध्यम से मशीन में मानव बुद्धि का प्रवेश हुआ है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अन्तर्गत भाषाओं को पहचानना, आवाज को पहचानना, देखकर पहचानना, निर्णय लेना, संवाद करना, सर्च करना, रूचि को पहचानने के साथ सूचना का आदान-प्रदान होता है। मशीन आधारित अनुवाद में मस्तिष्क में न्यूटॉन्स के सरलीकरण से प्रेषित है। कम्प्यूटर का प्रभावी रूप से प्रयोग करने वाला कर्मिक कई कर्मिकों को रिप्लेस कर सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्य को करने का पूरा तरीका ही बदल देगी। कम्प्यूटर वर्तमान में सामान्य व्यवहार का अभिन्न अंग है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग कुछ असहजता को भी जन्म देता है। 

श्रीमती रूचि अग्रवाल, सहायक महाप्रबंधक एवं उप अंचल प्रमुख, यूको बैंक, मेरठ ने यूको बैंक के विषय में जानकारी दी। यूको बैंक द्वारा विद्यार्थियों के लिए दिए जा रहे शिक्षा ऋण एवं अन्य योजना की जानकारी भी दी।

श्रीमती प्रतिभा रतन ने कहा कि यूको बैंक राजभाषा को लेकर भी सचेत है। बैंक अपनी भाषा का सम्मान करता है। बैंक में हिंदी भाषा का सम्मान किया जाता है। यूको बैंक की अनेक योजनाओं के विषय में जानकारी दी।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से वर्ष 2022-2023 में एम॰ ए॰ हिंदी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले दो विद्यार्थियों को यूको बैक, मेरठ द्वारा ‘यूको राजभाषा संम्मान’ हिंदी के मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान योजना के अंतर्गत नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। 

प्रथम पुरस्कार - कु॰ श्वेता, (एम॰ए॰ हिंदी, डी॰जे॰ कॉलेज, बड़ौत) ने कहा कि अंक प्राप्त करना बड़ी बात नहीं है किन्तु सम्मान प्राप्त करना बड़ी बात है। उन्होंने कविता का पाठ भी किया।

द्वितीय पुरस्कार- कु॰ शिवानी जैन, (एम॰ए॰ हिंदी, सेंट जोसेफ गर्ल्स डिग्री कॉलेज, सरधना, मेरठ) ने अपनी योग्यता के पीछे ईश्वर, अपने माता-पिता, शिक्षकों को धन्यवाद दिया। 

कार्यक्रम के अंत में डॉ॰ अंजू, सहायक आचार्य (संविदा) ने सभी का धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ॰ आरती राणा, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया। 

कार्यक्रम में डॉ॰ महेश पालीवाल, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, डॉ॰ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, पूजा यादव, अरशदा रिजवी तथा विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
































हिंदी साहित्य के प्रति अभिरूचि- भाग 9 संदर्भ - लोक-साहित्य कार्यक्रम का आयोजन

 

हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, भारत, विश्व हिंदी सचिवालय, शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, मॉरीशस एवं भारतीय उच्चायोग, मॉरीशस के तत्वावधान में तथा ‘हिंदी से प्यार है’, अमेरिका, हिंदी शिक्षा संघ’, दक्षिण अफ्रीका, ‘भारत दर्शन’, न्यूजीलैंड के सहयोग से आयोजित ‘‘हिंदी साहित्य के प्रति अभिरूचि- भाग 9 संदर्भ - लोक-साहित्य’’ कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 06 जनवरी 2024 को अपराह्न 12ः30 बजे (भारतीय समय) से ऑनलाईन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत (मेरठ) के मूल निवासी प्रो॰ वेद प्रकाश ‘वटुक’, पूर्व निदेशक, फोक्लोर इंस्टीट्यूट बर्कले, यू॰एस॰ए॰, विशिष्ट अतिथि, प्रो॰ विमलेश कांति वर्मा, सेवानिवृत आचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार, फीज़ी, एवं डॉ॰ माधुरी रामधारी, महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, श्री हीरालाल शिवनाथ, दक्षिण अफ्रीका, श्री रोहित कुमार ‘हैप्पी’, न्यूजीलैंड, श्री अनूप भार्गव, संस्थापक, ‘हिंदी से प्यार है’ अमेरिका, डॉ॰ शुभंकर मिश्र, उपमहासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, अध्यक्ष, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग (भारत) तथा छात्र-छात्राएं सुश्री सीया सुकाय, दक्षिण अफ्रीका, श्री गुरमन सिंह सेठी, न्यूजीलैंड, सुश्री एकता मलिक, भारत (हिंदी विभाग) शामिल हुए।

डॉ॰ माधुरी रामधारी ने कहा कि विभिन्न विधाओं में अध्येता, विद्वान और विद्यार्थीयों को जोड़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वहिंदी सचिवालय, मॉरीशस द्वारा आयोजन किए जा रहे हैं। लोक साहित्य की विधा पर आज चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ सहित दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के विद्यार्थियों के साथ प्रो॰ वेदप्रकाश ‘वटुक’ जी की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिससे लोक साहित्य की महत्वपूर्ण विधाओं का पाठ और उस बोली के इतिहास और वर्तमान पर चर्चा होगी। 

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो॰ वेदप्रकाश वटुक ने कहा कि भारतीयों को सिद्धांत स्वयं बनाना चाहिए। हमें पिछलग्गू प्रवृत्ति से बचना होगा। लोककथा में बौद्धिक वर्ग का मजाक बनाया गया है। प्रत्येक व्यक्ति का अलग क्षेत्र है, अलग संदर्भ हैं। हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। समय के साथ गीत बदलते हैं। उन्होंने लोकगीतों में गालियों के प्रचलन पर आर्य समाज द्वारा किए गए सुधारों की चर्चा की। लोक गीत परिवर्तन के विरोध में नहीं हैं अपितु वे परिवर्तन भी लाते हैं। लोक में यथार्थ है। लोक साहित्य आईना दिखाता है। उदार साहित्य उससे सदैव बचता है। उन्होंने कहा test के स्थान पर Contest पर जोर देना चाहिए। लोक साहित्य कभी समाप्त नहीं होता है। वह सदैव नवीन संदर्भ लाता है। 

प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि कौरवी बोली को लेकर जानकारी का अभाव था। कौरवी बोली के क्षेत्र की जानकारी देते हुए उन्होंने कौरवी बोली के लेखकों के विषय में बताया। संत गंगादास जी कौरवी बोली के प्रथम लेखक थे। कौरवी बोली में अनेक विधाआंे में कार्य हुआ है परन्तु कौरवी के कार्य का प्रकाशन कम हुआ है। कौरवी साहित्य को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का प्रयास किए गए हैं। कौरवी के गं्रथों की भारतीय विद्वानों तक पहुँच पहले कम थी परंतु अब धीरे-धीरे कौरवी के ग्रंथों की पहुँच विद्वानों तक है। भारत के 200 वर्ष पहले गं्रथों में भी कौरवी विधाओं में कौरवी क्षेत्र की विशेषता एवं संस्कृति का ज्ञान प्राप्त होता है। उन्होंने कौरवी विधाओं के विषय विशेषता बताई। कौरवी की पाण्डुलिपियाँ विश्वविद्यालय के पास हैं। कौरवी शब्दकोश बन जाने से सुविधा हो गई है। राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय संस्थानों में कौरवी साहित्य अपनी पहचान बना रहा है। साथ ही फिल्मी दुनिया और टीवी के माध्यम से दुनिया तक पहुँच रहा है।

प्रो॰ विमलेश कांति वर्मा ने कहा कि आज का दिन ‘वटुक’ जी की अध्यक्षता से विशेष महत्वपूर्ण है। उन्होंने वटुक जी के साहित्यिक अवदान पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति की जड़ लोक भाषा में समाहित होती है। लोक साहित्य विश्ष्टि महत्व रखता है।

दक्षिण अफ्रीका की छात्रा सुश्री सीया सुकाय ने हिंदी मंे गीत प्रस्तुत किया। 

न्यूजीलैंड के छात्र गुरमन सिंह सेठी ने कहावतों की व्याख्या की और संदेश दिया कि हमें अपनी भाषा सीखनी चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की छात्रा एकता मलिक ने उपदेशात्मक लोक कथा सुनाई। साथ ही इस कथा का महत्व भी समझाया।

हीरालाल शिवनाथ (दक्षिण अफ्रीका) ने बताया कि भारत से प्रवासी किस प्रकार दक्षिण अफ्रीका आए और अपने साथ भोजपुरी एवं अन्य हिंदी की उपभाषा एवं बोलियाँ लेकर आए। उन्होंने भारत के इतर हिंदी एवं हिंदी भाषियों की स्थिति पर भी चर्चा की। हिंदी के उत्थान हेतु किए जा रहे प्रयासों के संबंध में भी बताया। उन्होंने प्रवासी हिंदी साहित्य के इतिहास पर भी प्रकाश डाला।

रोहित कुमार ‘हैप्पी’ (न्यूजीलैंड) ने बताया कि लोकोक्तियाँ व कहावतें  किसी भी देश की संस्कृति को सरलता से समझा देती हैं। लोगों को अच्छी तरह जानने के लिए उनकी वेशभूषा व भाषा को जानना आवश्यक है।

कार्यक्रम के समापन पर प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने प्रो॰ वेदप्रकाश वटुक एवं प्रो॰ विमलेश कांति वर्मा को पुष्प एवं शॉल भेंटकर सम्मानित किया। 

कार्यक्रम का संलाचन प्रकाश वीर, वरिष्ठ सहायक संपादक, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस ने किया। कार्यक्रम के अंत में माधुरी रामधारी जी ने सभी का धन्यवाद दिया। दीप्ति जी ने कविता पाठ किया। 

कार्यक्रम में डॉ॰ दीप्ति अग्रवाल, दिल्ली, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, विनय कुमार, सचिन, उपेन्द्र, काजल आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।














Monday, January 8, 2024

सादर निमंत्रण: विश्व हिंदी दिवस और यूको बैंक द्वारा विद्यार्थियों का सम्मान आयोजन

 कल दिनांक 10 जनवरी 2024 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर 'हिंदी भाषा और सूचना प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग' विषय पर सेमिनार और यूको बैंक के सौजन्य से गत वर्ष हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त दो विद्यार्थियों को माननीय कुलपति प्रो0 संगीता शुक्ला द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा।

आप सभी विद्वत जन सादर आमंत्रित हैं।

धन्यवाद




Thursday, January 4, 2024

आभासी कार्यक्रम/Virtual Program : “हिंदी साहित्य के प्रति अभिरुचि- भाग 9 – संदर्भ - लोक साहित्य”

 

आभासी कार्यक्रम/Virtual Program : “हिंदी साहित्य के प्रति अभिरुचि- भाग 9 – संदर्भ - लोक साहित्य”/ “Interest towards Hindi Literature- Part 9 - Folk Literature”

दिनांक/Date : शनिवार, 06 जनवरी, 2024 /  Saturday, 06 January, 2024

समय/Time : अपराह्न 12.30 बजे (भारतीय समय)  /  12.30 pm (India time)

पूर्वाह्न 11.00 बजे (मॉरीशसीय समय) /  11.00 am (Mauritius time)

पूर्वाह्न  3.00 बजे (न्यूयॉर्क समय) /  3.00 pm (New York time)

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