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Wednesday, February 22, 2023

हिंदी हैं हम- पुरातन छात्र परिषद हिंदी विभाग सीसीएसयू मेरठ on Facebook

  चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के हिंदी विभाग का फेसबुक पेज 'हिंदी हैं हम- पुरातन छात्र परिषद हिंदी विभाग सीसीएसयू मेरठ' आपकी शैक्षिक गतिविधियों से सोशल मीडिया पर चर्चा के केंद्र में रहता है. इस पेज के माध्यम से हिंदी विभाग में होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियों से सोशल मीडिया जुड़ता है।  कोरोनाकाल में जब शैक्षिक गतिविधियां बहुत हद तक व्यवधान ग्रस्त रही वहीं इस पेज के माध्यम से हिंदी विभाग के शिक्षकों और विद्यार्थियों और ने अपनी -अपनी  तरह से विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा शैक्षिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाया तथा हिंदी के विषय में विद्वानों के विचारों को प्रस्तुत किया। हिंदी विभागाध्यक्ष और संकाय अध्यक्ष कला प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने 'हिंदी गिरी' कार्यक्रम के माध्यम से लगभग 47  दिन हिंदी के विभिन्न क्षेत्रों: हिंदी में रोजगार की संभावनाओं और हिंदी भाषा की विभिन्न भौगोलिक सीमा, परिस्थितियों और विशेषताओं को लेकर एक लंबी श्रृंखला बनाई जिसमें देश विदेश के विभिन्न विद्वान एक मंच पर आएं और हिंदी की दशा और दिशा पर विस्तार से चर्चा हुई साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले विभिन्न शैक्षणिक प्रयासों को भी इस पेज के माध्यम से दुनिया के सामने रखा गया. हिंदी विभाग में होने वाले विभिन्न कार्यक्रम भी इस पेज पर जीवंत प्रस्तुत होते हैं और दुनिया को जोड़ते हैं. पठन-पाठन के विभिन्न हिस्सों में हिंदी विभाग के पुरातन और वर्तमान छात्र इस फेसबुक पेज के माध्यम से अपनी बात रखते हैं इसलिए यह पेज पढ़ने लिखने वालों के लिए और हिंदी में रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है.

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पौधारोपण कार्यक्रम

 दिनांक 22 फरवरी 2023 को हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में सौंदर्यकरण के तहत पौधारोपण किया गया. जिसमें विभाग के शिक्षक प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी, डॉ० यज्ञेश कुमार, डॉ० प्रवीण कटारिया और डॉ० अंजू के साथ विभाग के विद्यार्थियों विनय कुमार, निकुंज कुमार, आयुषी, प्रिंसी, प्रियंका, राखी, प्रिंस, प्रतीक्षा, अंजलि, बॉबी, शौर्य, नेहा आदि उपस्थित रहे.
















12वां विश्व हिंदी सम्मेलन, फिज़ी में सहभागिता

 चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में कला संकाय अध्यक्ष  एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी  ने 12वें  विश्व हिंदी सम्मेलन जिसका आयोजन फिज़ी में किया गया, में  सहभागिता की तथा विश्व हिंदी सम्मेलन के पहले दिन उन्होंने युवाओं से भी हिंदी प्रयोग के संदर्भ में बातचीत की साथ ही  एक सत्र बदलते परिदृश्य में प्रवासी हिंदी साहित्य में मुख्य वक्ता रहे.













Wednesday, February 8, 2023

कौरवी के प्रथम कवि संत गंगादास का प्रदेय’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

  दिनांक 25 जनवरी 2023 को कौरवी के प्रथम कवि संत गंगादास जी के जन्म की 200 वीं जयंती के अवसर पर हिंदी एवं अन्य आधुनिक भारतीय भाषा विभाग तथा भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा ‘कौरवी के प्रथम कवि संत गंगादास का प्रदेय’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो॰ वाई॰ विमला, वरिष्ठ आचार्य, वनस्पति विज्ञान विभाग, विशिष्ट अतिथि डाॅ॰ चन्द्रपाल शर्मा, शिक्षक एवं साहित्यकार, डाॅ॰ हरि सिंह पाल, महामंत्री, नागरीलिपि परिषद्, नई दिल्ली, प्रो॰ नीलम राठी, अदिति महाविद्यालय, दिल्ली, श्री कर्मवीर सिंह, मेरठ तथा प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं विभागाध्यक्ष रहे। संगोष्ठी में आमंत्रित अतिथियों का परिचय प्रो॰ लोहनी ने कराया।
श्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि गंगादास जी आजादी के आंदोलन में सक्रिय थे। गंगा नदी पर सर्वाधिक पद श्री गंगादास जी ने ही लिखे। गंगादास जी ने कुंडलियाॅ भी लिखी। लोक साहित्य के क्षेत्र में गंगादास जी का योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने महाभारत, कृष्णलीला, पार्वतीमंगल एवं शिव विवाह पर भी लिखा। सगुण एवं निर्गुण दोनों पर संत गंगादास समान रूप से लिख रहे थे। ‘मेरा मन लग गया विष्णुदास फकीर में’ ऐसे थे संत गंगादास।
प्रो0 नीलम राठी ने कहा कि युद्धवीर, धर्मवीर कर्मवीर, दानवीर गंगा दास संतकाव्य परंपरा के आधुनिक कवि है। खड़ी पाई का प्रयोग संत गंगादास के साहित्य में भरपूरा मात्रा में हुआ है। हिंदी का प्रथम कवि संत गंगादास जी को मानना चाहिए। जिस सामाजिक आदर्श की स्थापना हेतु समाज कोशिश करता है वही सामाजिक चतना है। वैदिक साहित्य से भी संत गंगादास जी का संबंध जुड़ता है। वे राम की बात भी करते हैं कृष्ण की बात भी करते हैं ‘तुलसी मस्तक तब झुके धनुष बाण जब हाथ’ समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए संत गंगादास जी प्रयासरत् थे। दुर्गुणों को दूर करके ही समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। अपनी कुंडलियों में वे समाज की विसंगतियों पर प्रहार करते हैं हुए उन्होंने उदार, त्याग एवं दयालु मनुष्य की प्रशंसा भी की है।
कठोपनिषद् की परंपरा में प्रश्नोत्तर शैली है। भारतीय ज्ञान परंपरा में कथोपकथन शैली महत्वपूर्ण है। संत गंगादास जी भी इस शैली को अपनाते है जगत, जीव, माया, मिथ्या से संबंधित परिचर्चा अपने शिष्यों के साथ करते थे। इनकी दृष्टि में गुरू का कत्र्तव्य अपने शिष्यों को संतुष्ट करना है। संवाद शैली में गंगादास जी अपने अभिमत प्रकट करते हैं। झांसी की रानी के गुरू संत गंगादास थे। संत गंगादास जी ने ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार किया था।
डाॅ0 हरि सिंह पाल ने कहा कि हमारी लोकभाषाऐं विलुप्त होती जा रही है क्योंकि उनको लिपिबद्ध नहीं किया जा रहा है। नागालैण्ड व मिजोरम राज्यों ने अपनी भाषा अंग्रेजी को रखा है इसलिए उनकी लोकभाषा रोमन में लिखी जा रही हैं। लोक कथाओं, लोकगाथाओं व लोकशब्दों को संकलित कर लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। राजभाषा हिंदी के लिए भारत देश को आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है। हिंदी सम्पर्क की भाषा है क्योंकि हिंदी भारत के सभी क्षेत्रों में समझी जाती है। गंगादास जी की भाषा में ब्रज, बुंदेली आदि बोलियों के भी शब्द मिलते है। उर्दू उस समय की भाषा थी इसलिए उनके साहित्य में उर्दू के काफी शब्द प्रयुक्त हुए। लीजौ, दीजौ (व्रज के शब्द) हिंदी खड़ी बोली में प्रयुक्त होते है। संत गंगादास जी के नाम से वि0 वि0 में शोधपीठ की स्थापना होनी चाहिए। स्थानीय कवियों को पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए व पठन-पाठन में नियमित रूप से पढ़ाया जाना चाहिए। अपनी बोली, भाषा को विस्मृत न होने दें।
डाॅ॰ चन्द्रपाल शर्मा ने कहा कि आचार्य क्षेमचन्द्र सुमन कौरवी क्षेत्र के बड़े विद्वान थे। क्षेमचन्द्र की पुस्तक ‘‘मेरठ जनपद के हिंदी सेवी’’ में पहली बार संत गंगादास जी का नाम आया था। क्षेमचन्द्र की ही पुस्तक ‘‘दिवगंत हिंदी सेवी’’ में लगभग 2 हजार हिंदी कवियों का परिचय मिलता है। हिंदी क्षेत्रों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। निराला अपने समय के उपेक्षित कवि रहे है परन्तु उन्होंने पहली  तुकहीन कविता लिख कर उसे सभी को कंठस्थ करने के लिए बाध्य कर दिया था। कौरवी क्षेत्र के प्रसिद्ध विद्वानों में  कवि सेनापति, घनानंद तथा आचार्य चतुरसेन शास्त्री की जन्म एवं कर्मस्थली अनूपशहर रहा है। और डाॅ॰ वासुदेव शरण अग्रवाल भी पिलखुवा क्षेत्र से संबंधित रहे हैं परन्तु ये प्रसिद्ध विद्वान अपने ही क्षेत्र में उपेक्षित रहे है। क्षेमचंद सुमन ने संत गंगादास को हिंदी खड़ी बोली का पितामह कहा है। स्थानीय कवियों पर शोध कार्य होने चाहिए।
प्रथम सत्र का संचालन डाॅ॰ अंजू, शिक्षण सहायक, हिंदी विभाग ने किया।
संगोष्ठी के दूसरे सत्र में यूको बैंक, मेरठ ने ‘यूको राजभाषा सम्मान-हिंदी के मेधावी विद्यार्थी सम्मान’ योजना के अन्तर्गत चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में एम॰ए॰ हिंदी में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में
प्रथम स्थान - कु॰ सोनिया रानी, एम॰ए॰ हिंदी, सेंट जोसेफ गर्ल्स डिग्री काॅलेज, सरधना मेरठ
द्वितीय स्थान - कु॰ नेहा, एम॰ए॰ हिंदी, जनता वैदिक डिग्री काॅलेज, बड़ौत, बागपत रहें।
सत्र की अध्यक्षता प्रो॰ वाई विमला ने, विशिष्ट अतिथि, सुश्री ज्योति शर्मा, अंचल प्रमुख, यूको बैंक, डाॅ॰ सिस्टर क्रिस्टीना, प्राचार्य, सेंट जोसेफ गल्र्स डिग्री काॅलेज, सरधना तथा प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं विभागाध्यक्ष रहे। संगोष्ठी में आमंत्रित अतिथियों का परिचय प्रो॰ लोहनी ने कराया। डाॅ॰ सिस्टर क्रिस्टीना ने सभी विद्यार्थियों को आर्शी वचन देते हुए सम्मानित विद्यार्थी को शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी विभाग एवं यूको बैंक का आभार व्यक्त किया। सुश्री ज्योति शर्मा ने कहा कि राजभाषा हिंदी की समृद्धि एवं उन्नति के लिए इस कार्यक्रम हेतु हिंदी विभाग का आभार व्यक्त करते हुए यूको बैंक की विभिन्न योजनाओं एवं कार्य विकास के संबंध में विद्यार्थियों को अवगत कराया। 
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ वाई विमला, वरिष्ठ आचार्य, वनस्पति विज्ञान विभाग ने कहा कि मातृ भाषाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कौरवी भाषा के साहित्य को सहेजने एवं उसे मुख्य पाठ्यक्रम में जोड़ना चाहिए। 
प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में 2009 में कौरवी लोक साहित्य का अध्यन आरम्भ हुआ। इस बीच एम॰ए॰, एम॰फिल॰ तथा पीएच॰डी॰ में शोध कार्य हुए हैं तथा शब्दकोश, कौरवी लोक साहित्य व व्याकरण पर पुस्तकें आयी है तथा अनेक पाण्डुलिपियों को संपादित कर प्रकाशन योग्य बनाया गया है। भविष्य में कौरवी पर और शोध कार्य कराएं जाएंगें सभी अतिथि वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। 
द्वितीय सत्र का संचालन कु॰ पूजा, शोधार्थी हिंदी विभाग ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में डाॅ॰ विकास शर्मा, कवि सुमनेश सुमन, रामगोपाल भारतीय, ईश्वर चन्द गंभीर, डाॅ॰ महेश पालीवाल, डाॅ॰ विद्यासागर सिंह, डाॅ॰ प्रवीन कटारिया, डाॅ॰ यज्ञेश कुमार, मोहनी कुमार, विनय कुमार, पूजा यादव, अपूर्वा, शौर्य, निकुंज, आयुषी, प्रियंका, अनूप कुमार आदि उपस्थित रहे। 



































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