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Saturday, October 5, 2019

हिंदी दिवस समारोह 2019


हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

 आज दिनांक 14 सितंबर को हिंदी विभाग में हिंदी दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिकुलपति  वाई विमला जी के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया।  हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी दिवस की पृष्ठभूमि बताते हुए विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश


























प्रकाश डाला। प्रवासी संसार के संपादक राकेश पांडे ने कहा कि महात्मा गांधी के हिंदी सेवी बनने का आरंभ दक्षिण अफ्रीका से ही हो गया था। गांधी जी ने इंडियन ओपिनियन दक्षिण अफ्रीका से ही आरंभ कर दिया था, अखबार निकालना बहुत बड़ी बात थी अखबार में उन्होंने प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों के विषय में भी बताया तथा उस समय हिंदी के प्रयोग व प्रकार को भी बताया।  जहाजों के विज्ञापनों के विषय में भी बताया,  गांधीजी ने हिंदुस्तानी हिंदी पर जोर दिया जिसमें शहरी व ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त शब्द थे।  
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने हिंदुस्तानी हिंदी पर जोर दिया जिसमें वह शहरी व ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त शब्दों पर जोर देते थे । गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के स्कूलों में भी हिंदी व गुजराती व अन्य भारतीय भाषाओं को पढ़ाने के बारे में बताया।  वह वकालत में भी हिंदी प्रयोग के पक्षधर थे।  साबरमती आश्रम में भी प्रार्थना हिंदी में ही कराते थे कांग्रेस के अधिवेशन की भाषा राष्ट्रभाषा हिंदी को घोषित किया। गांधीजी हिंदी की बोलियों को चाहे वह अवधी हो या ब्रज हो उसे हिंदी का ही अभिन्न अंग मानते थे। गांधीजी ने तमिल भाषियों से भी हिंदी सीखने की अपील की गई और अन्य भाषाओं को सीखने पर जोर दिया।
 1917 में गांधी जी ने कहा कि अंग्रेजों से भी अंग्रेजी में ना बोले 1918 में भाषा का प्रयोग न करना राष्ट्र की हत्या के समान कहा हिंदी के बिना आम जनता तक नहीं पहुंचा जा सकता संसार की अन्य भाषाओं की अपेक्षा हिंदी को सीखना सबसे सरल है। 
 प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर वाई विमला ने कहा बोली कदम कदम पर बदलती है परंतु भाषा नहीं बदलती । भाषा में सभी बोलियों का संगम है। भाषाएं एक दूसरे से थोड़ी अलग है परंतु लिपियां एक सी हैं । उन्होंने महात्मा गांधी व हिंदी विषय पर भी जानकारियां प्रदान की।
 राजभाषा विभाग रेलवे के पूर्व निदेशक श्री  विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि हिंदी सरकारी दफ्तरों में कामकाज के रूप में तो सही है लेकिन बोलने में कठिनाई है।  अतः हर व्यक्ति को हिंदी सिखाई जाए।  चीन, जापान, फ्रांस अथवा अन्य किसी देश में अपनी भाषा को लेकर विवाद नहीं है भारत एक विकासशील देश है अतः हमें लचीलापन रखते हुए चीजों को अपनाना पड़ेगा।
हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में 13 सितंबर को हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदी विभाग में निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विभाग के शोध छात्र योगेंद्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार शोध छात्र मोहिनी कुमार, तृतीय पुरस्कार सुरभि सांत्वना पुरस्कार ममता और सचिन ने प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विभाग के शोध छात्र योगेंद्र सिंह व द्वितीय पुरस्कार सुरभि एमफिल तृतीय पुरस्कार ममता एवम सांत्वना पुरस्कार अमित एवं रमा ने प्राप्त किया । इस अवसर पर विभाग द्वारा अपने पूर्व छात्र फिरोज खान की उपलब्धि को सराहा गया जिन्हें उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया है
कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजू ने किया।
विभाग के शिक्षकों एवं छात्रों ने प्रातः साहित्यकार कुटीर में हिंदी के प्रमुख रचनाकारों की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया और दोपहर बाद सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर के उपयोग पर विजय कुमार मल्होत्रा ने छात्र-छात्राओं को व्याख्यान दिया इस अवसर पर नगर के अनेक प्रमुख कवि रचनाकार किशन स्वरूप, मीनाक्षी, तृषा कुमारी, गंभीर जी, कौशल जी, रामगोपाल भारतीय, अमित भारतीय, प्रदीप सरावा जी, उर्दू विभाग से प्रो0 असलम जमशेडपुरी और विभाग के शिक्षक डॉ0 आरती राणा, डॉ प्रवीण कटारिया, डॉ यज्ञेश, डॉ सरिता शर्मा, डॉ विद्यासागर सिंह एवं विद्यार्थी दीपा,आदर्श, अनिता, शिवा, उपेंद्र, बॉबी, मनीष, विशाल, शान, आबिद, नेहा, सरजीत, चेतना उपस्थित रहे।

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