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Monday, December 23, 2019

LOCHAN HINCHI 
यूटूब पर हिंदी चैनल, यहाँ मिलेंगी आपको हिंदी से जुडी महत्वपूर्ण वीडियोस। स्वागत है आपका हिंदी की इस नई जमीन पर....... 
आज दिनांक 13 दिसंबर 2019 को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के हिंदी विभाग में जया वर्मा, प्रवासी हिंदी साहित्यकार, नोटिरघम, ब्रिटेन से आई और छात्र छात्राओं से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी विभाग में आना मेरा बहुत अनुभव रहता है। उन्होंने अपने ब्रिटेन संबंधी अनुभव, कविता लेखन, साहित्य लेखन सहित ब्रिटेन में साहित्यिक गतिविधियों के बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा की वे पिछले ५० वर्षों से जब से इंग्लॅण्ड मैं रह रहीं हैं हिंदी के प्रचार प्रसार के लिय लगातार प्रयत्न कर  रहीं हैं, पिछले ५० सालों  उन्होंने नॉनवेज को नही अपनाया साथ ही कभी हार्ड ड्रिंक को भी नहीं छुआ,  जबकि भारत में यह सब स्टेटस सिंबल है, जो हमारी संस्कृति के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि यहां हिंदी विभाग में हिंदी साहित्य, प्रवासी साहित्य सहित साहित्य अध्ययन के क्षेत्र में अच्छा काम हो रहा है। यह भी विशेष बात है कि प्रवासी साहित्य जो हिंदी का लिखा गया उसको अध्ययन अध्यापन में पहली बार लाने में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय तथा प्रो नवीन लोहनी का विशेष योगदान है। एम. ए. स्तर पर प्रवासी साहित्य का एक प्रश्न पत्र चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिसमें दुनिया के तमाम देशों सहित ब्रिटेन के भी अनेक  रचनाकार शामिल हैं। इस अवसर पर विभाग के छात्र छात्राओं ने अनेक प्रश्न पूछे। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो0 नवीन चंद्र लोहनी, डॉ आरती राणा, डॉ अंजू, डॉ सरिता शर्मा, डॉ प्रवीण कटारिया, यज्ञेश सहित विभाग के एमए, एमफिल, पीएचडी तथा बीए ऑनर्स हिंदी के विद्यार्थी शामिल रहें।






Saturday, November 30, 2019

दिनांक 21 नवम्बर 2019 को हिंदी विभाग तथा बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा संयुक्त रूप से‘राजभाषा हिंदी - संवैधानिक स्थिति और संभावनाएं’ विषय पर संगोष्ठीआयोजित की गई। इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एम॰ए॰ हिंदी वर्ष 2019 के संर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थियों को ‘मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह' कार्यक्रम के माध्यम से सम्मानित किया, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त कु॰ बबली को पुरस्कार स्वरूप नकद रू 11000/- तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कु॰ विनीता को पुरस्कार स्वरूप नकद रू॰7500/- के बैंक ड्राफ्ट्र द्वारा प्रदान किया गया। संगोष्ठी में आमंत्रित अतिथियों का हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने तुलसी पौधा भेंट कर स्वागत किया। बैंक ऑफ़ बड़ौदा, मेरठ में राजभाषा अधिकारी शमा सैनी ने कार्यक्रम के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भाषा को एक विकल्प के रूप में प्रयोग करना चाहिए एवं हिंदी को एक सेतु भाषा के रूप में बताया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डाॅ॰ राकेश बी॰ दुबे, विशेष कार्याधिकारी हिंदी, राष्ट्रपति भवन, भारत सरकार ने कहा कि हिंदी रोजगारपरक भाषा है। मीडिया और अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी की विशेष भूमिका है तथा इन क्षेत्रों काम करने वाले हिंदी सेवियों  को अच्छा पारिश्रमिक भी प्राप्त होता है। भाषा का एक स्वाभिमान होता है। भाषा को किसी बाह्य प्रयास से विस्मृत नहीं किया जा सकता । श्री सुरेशकांत जी ने कहा कि संपूर्ण विश्व में हिंदी देवनागरी अंकों का ही प्रयोग हो रहा है जो भारत से अरब और अरब से यूरोप में पहुँचा है। हिंदी के विद्वानों ने अपनी अगली पीढ़ी को अंग्रेजी पढ़ाई है, इसलिए भी हिंदी की हानि हो रही है। हिंदी का अर्थ जीवन को संवारने के लिए पढ़ना चाहिए। संविधान में भी यह स्पष्ट किया गया  है कि भारतीय अंकों का ही अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप प्रयोग किया जाएगा। हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी पढ़ना आवश्यक है।  संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ वाई विमला, मा॰ प्रतिकुलपति जी ने कहा कि देश की तीन चौथाई लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिंदी को प्रोत्साहन की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? परतंत्र भारत में हम अपनी भाषा को दोयम दर्जे की भाषा माननेलगे थे क्योंकि हमारा स्वाभिमान सोया हुआ था। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का प्रयोग सभी क्षेत्रों में हो सकता है। हिंदी भाषा में विज्ञान से जुड़ा साहित्य कम उपलब्ध है। डाॅ॰ असलम जमशेदपुरी ने कहा कि गाँधीजी ने राजभाषा के संबंध में कहा कि भारत की भाषा ऐसी हो जिसमें उर्दू वाले उर्दू की तरह लिखे व हिंदी वाले हिंदी की तरह लिखें। उर्दू व हिंदी दोनों भाषाएं बहुत मिली-झुली भाषाएं हैं। इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। विश्व स्तर पर हिंदी का बढ़ना हमारे लिए गर्व की बात है। मातृभाषा के साथ हमें अन्य भाषाओं को भी सीखना चाहिए। भाषा पर किसी धर्म का एकाधिकार नहीं है। भाषा पर सभी धर्माें और व्यक्तियों का अधिकार है। बैंक ऑफ़ बड़ौदा के उपमहाप्रबंधक श्री रमन बजाज ने कहा कि अंग्रेजी भाषा आज भी अधिकांश क्षेत्रों में अपना अधिकार रखती है। हिंदी दिवस मनाना हमारी मजबूरी बन गई है जबकि हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है। हिंदी फिल्मों का हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हिंदी विभाग को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। भविष्य में हिंदी विभाग से और ऐसे आयोजनों में सहयोग करने के लिए निवेदन किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग द्वारा आयोजित भाषण प्रतियोगिता ‘महात्मा  गाँधी और हिंदी’ विषय पर हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की, जिसमें प्रथम स्थान कु॰ ममता, द्वितीय स्थान शिवा शर्मा, तृतीय स्थान मोहनी कुमार तथा सांत्वना स्थान सचिन कुमार ने प्राप्त किया। इस अवसर पर कु॰ बबली को प्रतिकुलपति महोदया द्वारा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त स्वर्ण पदक प्रदान किया। कार्यक्रम के समापन पर राजभाषा अधिकारी शमा सैनी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभागा के शिक्षण सहायक डाॅ॰ विद्यासागर सिंह ने किया।इस अवसर पर डाॅ॰ सोती शिवेन्द्रचन्द्र, सुमनेश सुमन, रामगोपाल भारतीय, डाॅ॰ तुंगवीर आर्या,डाॅ॰ अंजू, डाॅ॰ आरती राणा, डाॅ॰ प्रवीण कटारिया, डाॅ॰ यज्ञेश कुमार, डाॅ॰ सरिता शर्मा तथा हिंदी विभाग के छात्र-छात्राएं छवि,अमित कुमार, सुरभि, आदर्श, उपेन्द्र, सपना, अनिता, बॉबी, चेतना आदि उपस्थित रहें।






























Saturday, October 5, 2019

हिंदी दिवस समारोह 2019


हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

 आज दिनांक 14 सितंबर को हिंदी विभाग में हिंदी दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ प्रतिकुलपति  वाई विमला जी के द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया गया।  हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हिंदी दिवस की पृष्ठभूमि बताते हुए विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश


























प्रकाश डाला। प्रवासी संसार के संपादक राकेश पांडे ने कहा कि महात्मा गांधी के हिंदी सेवी बनने का आरंभ दक्षिण अफ्रीका से ही हो गया था। गांधी जी ने इंडियन ओपिनियन दक्षिण अफ्रीका से ही आरंभ कर दिया था, अखबार निकालना बहुत बड़ी बात थी अखबार में उन्होंने प्रकाशित होने वाले विज्ञापनों के विषय में भी बताया तथा उस समय हिंदी के प्रयोग व प्रकार को भी बताया।  जहाजों के विज्ञापनों के विषय में भी बताया,  गांधीजी ने हिंदुस्तानी हिंदी पर जोर दिया जिसमें शहरी व ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त शब्द थे।  
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने हिंदुस्तानी हिंदी पर जोर दिया जिसमें वह शहरी व ग्रामीण परिवेश में प्रयुक्त शब्दों पर जोर देते थे । गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के स्कूलों में भी हिंदी व गुजराती व अन्य भारतीय भाषाओं को पढ़ाने के बारे में बताया।  वह वकालत में भी हिंदी प्रयोग के पक्षधर थे।  साबरमती आश्रम में भी प्रार्थना हिंदी में ही कराते थे कांग्रेस के अधिवेशन की भाषा राष्ट्रभाषा हिंदी को घोषित किया। गांधीजी हिंदी की बोलियों को चाहे वह अवधी हो या ब्रज हो उसे हिंदी का ही अभिन्न अंग मानते थे। गांधीजी ने तमिल भाषियों से भी हिंदी सीखने की अपील की गई और अन्य भाषाओं को सीखने पर जोर दिया।
 1917 में गांधी जी ने कहा कि अंग्रेजों से भी अंग्रेजी में ना बोले 1918 में भाषा का प्रयोग न करना राष्ट्र की हत्या के समान कहा हिंदी के बिना आम जनता तक नहीं पहुंचा जा सकता संसार की अन्य भाषाओं की अपेक्षा हिंदी को सीखना सबसे सरल है। 
 प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर वाई विमला ने कहा बोली कदम कदम पर बदलती है परंतु भाषा नहीं बदलती । भाषा में सभी बोलियों का संगम है। भाषाएं एक दूसरे से थोड़ी अलग है परंतु लिपियां एक सी हैं । उन्होंने महात्मा गांधी व हिंदी विषय पर भी जानकारियां प्रदान की।
 राजभाषा विभाग रेलवे के पूर्व निदेशक श्री  विजय कुमार मल्होत्रा ने कहा कि हिंदी सरकारी दफ्तरों में कामकाज के रूप में तो सही है लेकिन बोलने में कठिनाई है।  अतः हर व्यक्ति को हिंदी सिखाई जाए।  चीन, जापान, फ्रांस अथवा अन्य किसी देश में अपनी भाषा को लेकर विवाद नहीं है भारत एक विकासशील देश है अतः हमें लचीलापन रखते हुए चीजों को अपनाना पड़ेगा।
हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रंखला में 13 सितंबर को हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदी विभाग में निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विभाग के शोध छात्र योगेंद्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार शोध छात्र मोहिनी कुमार, तृतीय पुरस्कार सुरभि सांत्वना पुरस्कार ममता और सचिन ने प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विभाग के शोध छात्र योगेंद्र सिंह व द्वितीय पुरस्कार सुरभि एमफिल तृतीय पुरस्कार ममता एवम सांत्वना पुरस्कार अमित एवं रमा ने प्राप्त किया । इस अवसर पर विभाग द्वारा अपने पूर्व छात्र फिरोज खान की उपलब्धि को सराहा गया जिन्हें उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने राज्य शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया है
कार्यक्रम का संचालन डॉ अंजू ने किया।
विभाग के शिक्षकों एवं छात्रों ने प्रातः साहित्यकार कुटीर में हिंदी के प्रमुख रचनाकारों की मूर्तियों पर माल्यार्पण किया और दोपहर बाद सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर के उपयोग पर विजय कुमार मल्होत्रा ने छात्र-छात्राओं को व्याख्यान दिया इस अवसर पर नगर के अनेक प्रमुख कवि रचनाकार किशन स्वरूप, मीनाक्षी, तृषा कुमारी, गंभीर जी, कौशल जी, रामगोपाल भारतीय, अमित भारतीय, प्रदीप सरावा जी, उर्दू विभाग से प्रो0 असलम जमशेडपुरी और विभाग के शिक्षक डॉ0 आरती राणा, डॉ प्रवीण कटारिया, डॉ यज्ञेश, डॉ सरिता शर्मा, डॉ विद्यासागर सिंह एवं विद्यार्थी दीपा,आदर्श, अनिता, शिवा, उपेंद्र, बॉबी, मनीष, विशाल, शान, आबिद, नेहा, सरजीत, चेतना उपस्थित रहे।

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