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Thursday, September 15, 2022

हिंदी दिवस 2022 के अवसर पर 14 सितम्बर 2022 को ‘भारत में हिंदी की स्थिति’ परिचर्चा का आयोजन

 हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

हिंदी दिवस

दिनांक: 14 सितम्बर 2022

हिंदी एवं अन्य आधुनिक भारतीय भाषा विभाग तथा भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा हिंदी दिवस 2022 के अवसर पर 14 सितम्बर 2022 को ‘भारत में हिंदी की स्थिति’ परिचर्चा का आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष संकायाध्यक्ष कला एवं विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी की जो स्थिति है उसकी शुरूआत भारत से ही होती है। हमें हिंदी में पढ़ना और सीखना चाहिए। मेरठ परिक्षेत्र में भाषा अध्ययन की लम्बी परम्परा रही है। खड़ीबोली और कौरवी बोली को लेकर यहाँ शोध और सृजन दोनों ही व्यापक रूप में हुए हैं। हिंदी अध्ययन कर्ताओं की एक लम्बी परम्परा रही है।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ पवन शर्मा ने कहा कि कोई भी भाषा एक दिन में मानक रूप प्राप्त नहीं करती है। एक हजार वर्ष पूर्व ही मालाबार (दक्षिण भारत) में हिंदी के प्रयोगकर्ता रहे हैं, चीन इटली भूटान, अरब आदि देशों से आने वाले विदेशी यात्री लम्बे समय तक भारत प्रवास पर रहे और यहाँ की संस्कृति का अध्ययन किया। ये लोग हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं के ज्ञाता थे। आगरा के विद्यार्थियों ने पीएच॰ डी॰ उपाधि और यूपीएससी में हिंदी को स्थान दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया। अमिताभ की फिल्मों ने दक्षिण भारत में भाषाई विरोध के राजनीतिक रूप को समाप्त कर दिया। हिंदी से हमारा गर्भनाल का संबंध है। हिंदी को हिंदी के रूप में स्वीकारें। हिंदी वैश्विक भाषा है इसलिए हमें हिंदी को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का प्रयास करना हमारा कर्तव्य है।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ असलम जमशेदपुरी ने कहा कि हिंदुस्तान की भाषा हिंदी है और हमें इस पर गर्व है। दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार हिंदी  के हैं। बाहर के देशों में जाने पर हमें हिंदी बोलने पर संकोच नहीं करना चाहिए। हिंदुस्तानी होने के नाते हमें हिंदी अवश्य आनी चाहिए। हिंदी दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हिंदी में मौलिक सृजन करके हिंदी को समृद्ध करें और उसे आगे ले जाये।

विशिष्ट अतिथि प्रो॰ वाचस्पति मिश्र ने कहा कि वर्तमान समय हिंदी का समय है। भारत की सभी भाषाओं की लिपि एक हो जानी चाहिए, जिससे भारत की सभी भाषाओं तक पाठकों की पहुंच बने। हिंदी के प्रचार-प्रसार में उर्दू का बड़ा योगदान है। हिंदी दिवस मनाने के साथ-साथ हमें हिंदी को स्वावलम्बी बनाने का भी प्रयास करना होगा तभी हिंदी विकसित भाषा होगी।

कार्यक्रम संयोजक डॉ॰ प्रवीण कटारिया ने सभी अतिथियों और श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि कामकाज के सभी दस्तावेज हिंदी में ही होने चाहिए। फिल्मों के माध्यम से हम विभिन्न भारतीय भाषाओं से जुड़ रहे हैं। अन्य भाषाओं को सीखने के साथ-साथ हमें हिंदी को विश्व स्तर पर स्थापित करने के प्रयास करने होंगे क्योंकि भारत का विकास हिंदी माध्यम से ही संभव है।

कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के शोध छात्र मोहनी कुमार ने किया।  

इस अवसर पर मेरठ परिक्षेत्र के वरिष्ट साहित्यकार किशन स्वरूप, रामगोपाल भारतीय, कौशल जी, डॉ॰ ओमपाल शास्त्री, डॉ॰ आसिफ अली, डॉ॰ शादाब अलीम, डॉ॰ अलका वशिष्ठ, डॉ॰ अंजू, डॉ॰ आरती राणा, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, डॉ॰ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, पूजा यादव, सचिन कुमार, उपेन्द्र कुमार, प्रियांश, शिवानी, राधा, प्रियंका कुशवाह, प्रिंसी, शौर्य, निकुंज कुमार, अजय, आकाश, उपस्थित रहे।

Youtube Link: https://youtu.be/4BDt15Wxfeo



































Monday, September 5, 2022

शिक्षक दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रो० नवीन चंद्र लोहनी का सम्मान

शिक्षक दिवस के अवसर पर आज दिनांक  ५ सितम्बर २०२२ को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में  उच्च शिक्षा के क्षेत्र में  विशेष योगदान के सन्दर्भ में  संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग, प्रो० नवीन चंद्र लोहनी को सम्मानित किया गया। विभाग के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने उन्हें बधाई प्रेषित की.  









शिक्षक दिवस दिनांक: 05 सितम्बर 2022


हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

शिक्षक दिवस

दिनांक: 05 सितम्बर 2022


हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में आज दिनांक 05 सितम्बर 2022 को शिक्षक दिवस के अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि विद्यार्थियों को समय का महत्व समझना चाहिए। एकेडमिक के साथ-साथ हमें अनुशासन का भी पालन करना चाहिए तभी हम सफलता की ऊंचाईयों को छू सकते है। डाॅ॰ विद्यासागर सिंह ने कहा कि अध्यापक को वक्त का पाबंद होना चाहिए। जब अध्यापक अनुशासन मे रहेगा तभी वह विद्यार्थियों को अनुशासन सिखा सकता हैं। डाॅ॰ यज्ञेश कुमार ने कहा कि शिक्षक दिवस हमें अवसर देता है कि हम समाज मे से विवेक पूर्ण शुभ ग्रहण करें और अशुभ का त्याग करें। डाॅ॰ प्रवीण कटारिया ने कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी के एक दूसरे के पूरक है। छात्र अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि वह दो पदों का सृजन करता है एक अध्यापक और दूसरा छात्र का। डाॅ॰ अंजु ने कहा कि अध्यापक वह व्यक्तित्व होता है जो अपने छात्र की सफलता से प्रसन्न होता हैं। शिक्षक का कार्य छात्र को शिक्षा देने के साथ साथ उनके व्यक्तित्व का भी निर्माण करना होता है। डाॅ॰ आरती राणा ने कहा कि शिक्षक छात्र के संस्कारों को मजबूत बनाता है और जीवन पथ में आने वाली रूकावटों के प्रति छात्रों के मजबूत व्यक्तित्व का विकास करता हैं। छात्र निकुंज कुमार ने डाॅ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर प्रकाश डाला इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों में पूजा यादव, प्रियांश, शिवम, शिवानी पांचाल, शिवानी, राधा, प्रियंका कुशवाह, प्रिंसी, शौर्य उपस्थित रहें।


 






Saturday, September 3, 2022

दिनांक 02 सितम्बर 2022, राष्ट्रीय संगोष्ठी - विज्ञान, समाज विज्ञान और मीडिया में हिंदी

 हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

राष्ट्रीय संगोष्ठी - विज्ञान, समाज विज्ञान और मीडिया में हिंदी

दिनांक 02 सितम्बर 2022


हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ एवं उ॰प्र॰ भाषा सस्थान, लखनऊ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘विज्ञान, समाज विज्ञान और मीडिया में हिंदी का आयोजन हिंदी विभाग में किया गया है। दिनांक 02/09/2022 को संगोष्ठी के दूसरे दिन तृतीय सत्र ‘समाज विज्ञान में हिंदी’ की अध्यक्षता प्रो॰ योगेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, समाजशास्त्र विज्ञान विभाग ने की। मुख्य वक्ता डॉ॰ राकेश बी॰ दूबे, ओ॰एस॰डी॰ (हिंदी), राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली रहें। वक्ता प्रो॰ अतवीर सिंह, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, प्रो॰ विध्नेश त्यागी, अध्यक्ष, इतिहास विभाग रहें। विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने अतिथियों का परिचय एवं स्वागत किया। 

तृतीय सत्र ‘समाज विज्ञान में हिंदी’ के अध्यक्ष प्रो॰ योगेन्द्र सिंह ने कहा कि सभी प्रश्न समाज  से ही उत्पन्न होते हैं एवं उनके उत्तर भी समाज से ही मिलते हैं। हमारे यहाँ भाषा के लिए कुछ भी अर्जित नहीं किया गया है। भाषा के स्तर को बढ़ाने के लिए शिक्षकों को भी राष्ट्रधारा में आना होगा। भाषा की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाना चाहिए। 

तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता डॉ॰ राकेश बी॰ दुबे ने कहा कि शिक्षा का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो समाज विज्ञान में नहीं आता। समाज विज्ञान से बिना जुड़े कोई भी विषय अधूरा है। माहेश्वरी की कविता ‘यदि होता किन्नर नरेश मैं’ की व्याख्या की। किन्नर देव सभा का एक सहायक देव होता है। जो संगीत का विशेषज्ञ होता है। आज प्रचलित शब्द अज्ञात बनते जा रहे हैं। भाषा का संबंध हमारे जीवन से है भाषा हमारी संस्कृति की रक्षा करती है। परन्तु हमने भाषा की रक्षा करना ही छोड़ दिया है। भाषा और संस्कृति किस प्रकार एक दूसरे को आगे बढ़ाती है। यही प्रश्न समझने की आवश्यकता है। पीढ़ी के अन्तराल के दौरान संकेतों के अर्थ बदल जाते हैं। गांधी जी ने कहा कि बच्चे को मातृभाषाएं सिखाएं तभी तो मां से जुड़ा रहेगा। भाषाओं से विरोध न करें अपितु मित्रता करें। 

प्रो॰ अतवीर सिंह ने कहा कि समाज विज्ञान में बेहतर नागरिक बनने का अध्ययन होता है। गर्व ज्ञान एवं गुण पर करना चाहिए। समाज में भाषाओं के कई स्तर हैं जो अलग-अलग रूपों में दृष्टिगत होती है। भाषा व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है। भावों की अभिव्यक्ति भाषा के माध्यम से होती है। शिक्षा का निजीकरण करना गलत है। हिंदी लेखन को महत्व नहीं दिया जाता है। 

प्रो॰ विध्नेश त्यागी ने कहा कि समस्याएं जीवन के प्रत्यके क्षेत्र में होती हैं। हिंदी में शब्दों को समाहित करने की हिंदी में सर्वाधिक क्षमता है। सौंदर्यशास्त्र हिंदी में सर्वाधिक सशक्त है। हिंदी बड़ी क्षमतावान भाषा है। 

प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने सत्र के प्रारम्भ में सभी अतिथियों का परिचय कराया एवं स्मृति चिह्न भंेट कर धन्यवाद ज्ञापन किया। 

इस अवसर पर नार्वें से आये प्रवासी साहित्यकार प्रो॰ सुरेश चन्द शुक्ल ने शाल ओढ़ा कर प्रेमचन्द सम्मान से सम्मनित करते हुए प्रमाण पत्र भी भेंट किया।  

तृतीय सत्र ‘समाज विज्ञान में हिंदी’ का संचालन डॉ॰ जय प्रकाश यादव, सह आचार्य, हिंदी विभाग, एम॰एम॰ कॉलिज, मोदी नगर ने किया। 

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के अध्यक्ष प्रो॰ सुभाष थलेड़ी, संकायाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग, आई॰आई॰एम॰टी॰, मेरठ रहें। मुख्य वक्ता श्री राजेन्द्र सिंह, संपादक, अमर उजाला, मेरठ रहे। वक्ता डॉ॰ अमर नाथ अमर, पूर्व कार्यक्रम निर्माता एवं निर्देशक, दिल्ली दूरदर्शन, दिल्ली, श्री भीम प्रकाश शर्मा, पूर्व सहायक, केन्द्र निर्देशक, आकाशवाणी दिल्ली एवं प्रो॰ प्रशांत कुमार, निदेशक, पत्रकारिता विभाग रहे। 

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के अध्यक्ष प्रो॰ सुभाष थलेड़ी ने कहा कि मीडिया शब्द कब से आया यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। आज मीडिया जनसमुदाय में बहुप्रचलित है। आज से हजार वर्ष पूर्व हिंदी का विकास होना शुरू हुआ। हिंदी में समृद्ध साहित्य रचा गया है। हिंदी का सही विकास छापाखाना आने के बाद हुआ। आज से सौ वर्ष पुरानी हिंदी की पुस्तक क्लिष्ट भाषा में थी। आम आदमी के लिए वह सुलभ नहीं थी। मीडिया ने हिंदी को आम आदमी की भाषा बनाया। उसके शब्द सुलभ बनाये। आज न्यू मीडिया में हिंदी का विकास हुआ। यूनीकोड के माध्यम से हिंदी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। मीडिया ने हिंदी का स्वरूप भी बिगाडने का कार्य किया। हमें सोचना होगा मीडिया के माध्यम से कैसे हिंदी के स्वरूप को सुधारा जाए।  

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के मुख्य वक्ता श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि हिंदी भाषा और मीडिया के संबंध में कुछ संस्मरण सुनाएं। हिंदी में अंग्रेजी के टाइटिल वाले पत्र पत्रिका शुरू हुए। आज प्रिंट मीडिया में अंग्रेजी घुसपैठ में सफल हो रही है। हिंदी अखबारों में अंग्रेजी का प्रयोग शुरू हुआ इस कारण हिंदी पिछड़ रही है। मीडिया में 194 साल के इतिहास में उतार चढ़ाव हुआ है हिंदी वाले भी अंग्रेजी की तरफ बढ़ रहे हैं। हिंदी को बढ़ाने में आकाशवाणी और दूरदर्शन का योगदान रहा है। जबकि हिंदी को बिगाड़ने में प्राइवेट चैनलों का। चिन्ता की बात नहीं है, हिंदी का दिल बहुत बड़ा है। पुराने पत्रकारों के विषय में समझाया कि वें किस प्रकार हिंदी के सुधार पर बल देते थे। हिंदी उदार है, बहुत सारे लोगों को समाहित कर ले जाती है। हिंदी का बेहतर भविष्य है। विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है।   

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के वक्ता प्रो॰ प्रशांत कुमार ने कहा कि उदंत मार्तण्ड आजादी के आंदोलन में अलख जलाने वाला पहला अखबार था। पत्रकारिता और साहित्य एक साथ ही रखे जाते थे। आज हिंदी सब जगह मजबूत बन गई है। अनुवाद की गई खबरों में भाव नहीं रहता है। हिंदी अखबारों में आज अंग्रेजी के शब्द और अंग्रेजी भाषा की लिपि का प्रयोग हो रहा है। आज भाषायी मर्यादाएं टूट रही हैं। मीडिया केवल समाचार बना रही है, वो शब्दों की शुद्धता पर ध्यान नहीं दे रही है। हिंदी के प्रयोग पर जोर दें। 

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के वक्ता डॉ॰ अमर नाथ अमर ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता आजादी से पूर्व एक दूसरे के पूरक थे। आजादी के बाद दोनों अलग-अलग होते चले गए। आज सोशल मीडिया के आने से मीडिया की परिभाषा विचारणीय हो गई है। आज मीडिया का प्रथम सोपान आकाशवाणी है। हिंदी का प्रचार-प्रसार व भाषा शुद्धता आकाशवाणी का उद्देश्य था। आकाशवाणी का आज भी यही उद्देश्य है। दूरदर्शन ने रामायण और महाभारत के माध्यम से भाषा, समाज और संस्कृति इन सभी को बढ़ावा दिया, जो राष्ट्रीय एकता का परिचायक बने। प्रसार भारती का परिचय दिया। कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, चित्रा मुदगल, विद्यानिवास मिश्र के द्वारा दूरदर्शन के लिए किए गए कार्यों को बताया। साहित्यकारों पर बने कार्यक्रमों को बताया। वर्तमान सन्दर्भ में दूरदर्शन, आकाशवाणी और मीडिया में रोजगार की सम्भावनाओं को समझाया। 

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ के वक्ता भीम प्रकाश सिंह ने कहा कि आकाशवाणी मंे शुरूआत में केवल उर्दू और अंग्रेजी में ही कार्यक्रम होते थे। हिंदी की उपेक्षा होती थी। पहले समाचार वाचन पर लोगों को आश्चर्य हुआ था। आज हमारे पास समाचार वाचन हेतु शब्द हैं। परन्तु आज पहले हिंदी में समाचार लिखा जाता है बाद में अन्य भाषाओं में आता है। पहले अंग्रेजी की बहुलता होती थी। आकाशवाणी ने आमजन की भाषा को आमजन तक पहुंचाया है। अनुवाद में शब्दों का चयन महत्वपूर्ण होता है। यदि हमें लोगों तक पहुंचना है तो मीडिया मेां हिंदी का प्रयोग अधिकाधिक करना होगा। युवा वर्ग हिंदी के प्रयोग को बढ़ाये।   

प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने सत्र के प्रारम्भ में सभी अतिथियों का परिचय कराया एवं स्मृति चिह्न भंेट कर धन्यवाद ज्ञापित किया।

चतुर्थ सत्र ‘मीडिया में हिंदी’ का संचालन अंकिता तिवारी, शोधार्थी हिंदी विभाग, सहायक आचार्य, हिंदी विभाग, श्रीमती बी॰डी॰ जैन गर्ल्स पी॰जी॰ कॉलिज, आगरा ने किया।

कार्यक्रम के समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो॰ वाचस्पति मिश्र, अध्यक्ष, संस्कृत संस्थान एवं निदेशक, संस्कृत विभाग रहे। मुख्य अतिथि प्रो॰ सुरेश चन्द्र शुक्ल, प्रवासी साहित्यकार एवं संपादक, नार्वे रहें। विशिष्ट अतिथि श्री दिनेश मंथारपुर, उप महाप्रबंधक, इण्डियन बैंक, मेरठ एवं वक्ता श्री पारूल जौली, मुख्य प्रबंधक, इण्डियन बैंक, मेरठ रहे।

समापन सत्र के अध्यक्ष प्रो॰ वाचस्पति मिश्र ने कहा कि जिस दिन शिक्षा व्यवस्था हिंदी में होगी, उस दिन भारत विश्व गुरू बनेगा। आज शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजी में हैं, उसे बदलना होगा। भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है, यह अब से बहुत समय पूर्व होनी चाहिए थी। यदि शिक्षा का उत्थान करना है तो मातृ भाषा में शिक्षा देनी होगी। इस प्रकार के आयोजन जगह-जगह होने चाहिए ताकि जनसामान्य को संदेश मिल सकें।

मुख्य अतिथि प्रो॰ सुरेश चन्द्र शुक्ल ने कहा कि हर कार्य अपने घर से शुरू होता है, सभी को कदम बढ़ाकर ही सफलता मिलती है। शिक्षण कार्य महत्वपूर्ण होता है। तकनीकी सीख कर हम साधारण बातें भूलने लगते हैं। संवाद सीधे करना चाहिए। लिखते रहना चाहिए, डायरी लिखें, ध्वनि पुस्तक एवं दृश्य पुस्तक लिखें। युवा स्वयं की क्षमता को पहचानें। अपने विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाये अपने शोध कार्य की गंभीरता से लेें। उन्होंने हिंदी विभाग के पुस्तकालय को अपनी स्वरचित पुस्तकंे भी भेंट की। 

विशिष्ट अतिथि श्री दिनेश मंथारपुर ने बैंक के संबंध में जानकारी दी। बैंक में हिंदी में किये जाने वाले कार्यांे की जानकारी दी।  

वक्ता श्री पारूल जौली ने कहा कि आज हिंदी का वर्चस्व पूरे विश्व में फैल रहा है। इंटरनेट पर हिंदी प्रभाव छोड़ रहीं है। हिंदी अब आम आदमी की भाषा न रह कर व्यवसाय की भाषा भी बन गई है। अब विदेशी लोग भी हिंदी अपना रहे हैं। हिंदी का प्रयोग राष्ट्रीय गरिमा की पहचान है। हमें हिंदी पर गर्व करना चाहिए। बैंकिग क्षेत्र में हिंदी की कार्यशैली बताई और समझाई।

प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने सत्र के प्रारम्भ में सभी अतिथियों का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि हिंदी के इस कार्यक्रम में सब जुड़े और सबने देखा सुना भाग लिया। सभी क्षेत्रों में हिंदी बढ़ रही है। भाषा में तकनीकी जुड़ने से नवीनता आयेगी। हिंदी विभिन्न माध्यमों से जनसामान्य तक पहुंच रही है। हिंदी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ा रही है। हिंदी का साहित्य प्रचारित प्रसारित करना चाहिए। हिंदी दिवस पर राजभाषा की औपचारिकता पूरी होती है। यह केवल खानापूर्ति न हो बल्कि कमी भी पूरी करनी चाहिए। प्रो॰ लोहनी ने समापन पर सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भंेट कर धन्यवाद ज्ञापित किया।

समापन सत्र का संचालन आयोजन सचिव डॉ॰ अंजू, हिंदी विभाग ने किया।

कार्यक्रम में प्रो॰ प्रशांत कुमार, डॉ॰ संजय कुमार, डॉ॰ रामयज्ञ मौर्य, डॉ॰ विजयबहादुर त्रिपाठी, डॉ॰ मोनू सिंह, डॉ॰ विद्यासागर सिंह, डॉ॰ प्रवीण कटारिया, डॉ॰ आरती राणा, डॉ॰ यज्ञेश कुमार, डॉ॰ नमिता जैन, डॉ॰ दीपा रानी, डॉ॰ अंचल, डॉ॰ ललित सारस्वत, डॉ॰ योगेन्द्र सिंह, नारायण सिंह, राजेश शर्मा, श्री रामगोपाल भारती, श्री अशोक सक्सेना, गीता, दिनेश कुमार, ललित यादव, राजकुमार, मोहनी कुमार, पूजा कसाना, पूजा यादव, अरशदा रिजवी, युधिष्ठर भाटी, निर्भय सिंह, प्रिंसी, प्रियंका कुशवाहा, अपूर्वा, आयुषी, अंजली पाल, शिवम, शौर्य, काजल, अजय कुमार, निकुंज आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
























































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