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Tuesday, December 20, 2022

अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा शामली जनपद का इतिहास लेखन प्रोजेक्ट

प्रो० नवीन चंद्र लोहनी कला संकायाध्यक्ष  एवं हिंदी विभागाध्यक्ष को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा शामली जनपद के इतिहास लेखन की जिम्मेदारी दी गई है जिस सन्दर्भ में विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों एवं क्षेत्रीय भ्रमण के इस क्रम में कल आज दिनांक १९-१२-२०२२ को शामली जिले की जिलाधिकारी जसजीत कौर जी और cdo श्री शंभुनाथ तिवारी  से प्रो० नवीन चंद्र लोहनी एवं विभाग के विद्यार्थियों वृंदा शर्मा, अनुज कुमार, पूजा ,विनय और भानु प्रताप ने मुलाकात की.







my public school के विद्यार्थियों ने साहित्यकार कुटीर का भ्रमण किया

 आज दिनांक २०-१२-२०२२ को my public school के विद्यार्थियों ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ  में स्थित साहित्यकार कुटीर का भ्रमण किया। इसमें कला संकायाध्यक्ष  एवं हिंदी विभागाध्यक्ष  प्रो० नवीन चंद्र लोहनी ने बच्चों को हिंदी के साहित्यकारों के विषय में बताया। इस अवसर पर  my public school के अध्यापक और डॉ आरती राणा एवं शोधार्थी पूजा यादव सहभागी रहे.   

 




महाकवि सुबरमण्यम भारती जन्म जयंती एवं भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर वेबगोष्ठी का आयोजन

आज दिनांक 11-12-2022  को हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय मेरठ द्वारा महाकवि सुबरमण्यम भारती जन्म जयंती एवं भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर वेबगोष्ठी का आयोजन किया गया। वेबगोष्ठी की अध्यक्षता, पूर्व प्रति कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय मेरठ,  प्रो ० वाई० विमला ने की. उन्होंने कहा कि तमिल भारतीय संस्कृति की प्रतिनिधि भाषा है. भारत का अधिकांश प्राचीन साहित्य नष्ट किया गया, दूसरे देशों में ले जाया गया, जिससे ज्ञान परम्परा में एक विराम आया. साहित्य उसी की रचना करता है जो समाज में  व्याप्त है, भारतीय संस्कृति भाव की संस्कृति है., जिसका मूल भाव वसुधैव कुटुंबकम है. भारतीय संस्कृति सनातन है. भाषा वही  है जो मर्म को छुए. भारतीयता के कारण  ही सुब्रमण्यम 'भारती' कहलाए। 

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि  प्रो० एन०  लक्ष्मी अय्यर, केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर राजस्थान ने कहा कि तमिलनाडु में राष्ट्रीय सोच पर वक्तव्य दिया उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के भक्ति साहित्य का भारतीय साहित्य साहित्य में विशेष योगदान है तमिल के प्रमुख साहित्यकार और उनके साहित्य पर उन्होंने चर्चा की तमिल की राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख का क्रांतिकारियों को भी उन्होंने चर्चा की वैष्णव साहित्य अलवार भक्तों पर उन्होंने विस्तृत रूप से प्रकाश डाला सुब्रमण्यम भारती के साहित्यिक और सामाजिक विधान को भी उन्होंने अपने वक्तव्य में समाहित किया निराला और भारतीय की राष्ट्रीय बंधन की कविताओं की समानता उन्होंने की हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर लागू करने के लिए उन्होंने कहा कि हिंदी एक विश्वविद्यालय महाविद्यालय और में अनिवार्य रूप से हिंदी को लागू किया जाए तभी भारतीय भाषाओं का विकास संभव है.

विशिष्ट अतिथि  प्रो० तंकमणि अम्मा,हिंदी विभाग, केरल  विश्वविद्यालय, तिरुवंतपुरम ने कहा कि भाषा आपस में जोड़ने वाली माँ होती है, संस्कृत और तमिल प्राचीन भाषाएँ है. संस्कृत और तमिल भाषाओँ के साहित्य का अन्य भारतीय भाषाओँ में अनुवाद होना जरूरी है. तमिल और हिंदी साहित्य में प्रवृत्तिगत अनेक समानताएं हैं. सुब्रमण्यम भारती जी की रचनाओं का मूल स्वर राष्ट्रियता है. दक्षिण भारतीय भाषाएँ हिंदी की भगिनी भाषाएँ हैं. भाषाओँ के आपसी जुड़ाव के लिए अनुवाद अनिवार्य है.

इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता प्रो० वाचस्पति मिश्र, समन्वयक संस्कृत विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने कहा कि केरल और संस्कृत का घनिष्ट सम्बन्ध है. संस्कृत न केवल भारत को जोड़ रही है बल्कि विश्व के अनेक हिस्सों में संस्कृत जानी समझी जाती है. भारतीय भाषाएँ पुष्प की भांति हैं और संस्कृत वह सूत्र है जिसमे सभी भाषाएँ जुड़कर भारत माता के सौंदर्य में वृद्धि कर सकती है.

विशिष्ट वक्ता प्रो० असलम जमशेदपुरी, अध्यक्ष उर्दू विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ कहा कि उर्दू और हिंदी में केवल लिपि का भेद है. दोनों भाषाएँ भारतीयता को एक सूत्र मैं पिरोती है. 

कार्यक्रम के संयोजक प्रो० नवीन चंद्र लोहनी संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने कहा कि अब समय आ  गया है की हिंदी को संस्कृत के स्थान पर भारतीय भाषाओँ का नेतृत्व करना चाहिए। ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र  में अनुवाद भविष्य की आवश्यकता है. हमे अपनी सांस्कृतिक भाषाओँ को महत्त्व देना चाहिए। निरंतर समृद्ध होती हिंदी, भविष्य में विश्व भाषाओँ का नेतृत्व कर सकेगी। हिंदी को भारतीय भाषाओँ से जोड़ने का कारण  मेरठ और दिल्ली परिक्षेत्र के विद्यार्थियों को भारतीय भाषाओँ  से जोड़ना है.  

कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ विद्यासागर सिंह, हिंदी विभाग ने किया।

इस अवसर पर प्रो योगेन्द्र सिंह, प्रो विजय जायसवाल. डॉ मंजू शुक्ल , डॉ ऋचा शुक्ल , डॉ सुधा रानी सिंह , डॉ अंजू ,डॉ प्रवीण कटारिया ,डॉ यज्ञेश कुमार , डॉ आरती राणा , डॉ नमिता जैन, डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी,  पूजा कसाना, अरशादा रिज़वी, अरुण , निकुंज कुमार, प्रिंस, साक्षी, अमित आदि ७० से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी की.

                                            







मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण का हुआ भव्य आगाज़

 तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण का हुआ भव्य आगाज़ , समस्त भारत सहित नेपाल, ब्रिटेन, जापान, आष्ट्रीया, रूस की साहित्यिक विभूतियों की शिरक़त । 


संचालन डा रामगोपाल भारतीय ने किया। सरस्वती वंदना सुषमा सवेरा द्वारा की गई। 

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जापान की वरिष्ठ हिन्दी सेवी डा रमा पूर्णिमा शर्मा रहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, श्रीगोपाल नारसन, श्री मति जय वर्मा ब्रिटेन, हयग्रीव आचार्य नेपाल और रूस से श्वेता सिंह ऊमा रही। कार्यक्रम के अध्यक्ष  चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डा नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने पर जोर देना होगा और अपनी आनेवाली पीढी को भी अनिवार्य रूप से हिन्दी से जोडना चाहिए ।

तीन दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन के दूसरे सत्र में हिन्दी के वैश्विक स्थति विषय पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन हिन्दी विभाग की डा अंजु सिंह ने किया और वक्ता के रूप में डा विदूषी शर्मा, प्रदीप देवीशरण भट्ट, डा अशोक मैत्रेय, डा ईश्वर चंद गंभीर रहे , वरिष्ठ साहित्यकार डा अशोक मैत्रेय ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण के साथ साथ दीपक का भी काम करता है जो समाज को नई राह दिखाता है   । 

तृतीय सत्र डिजिटल क्रांति में पुस्तकों से दूरी विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें श्रीगोपाल नारसन, आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, डा विदूषी शर्मा, डा सुबोध कुमार गर्ग, मनीष शुक्ला वक्ता के रूप में शामिल रहे। 

चतुर्थ सत्र मे अंतरराष्ट्रीय मुशायरा हुआ जिसकी सदारत रियाज सागर ने की, मुशायरे मे अतिथि के रूप में विएना आस्ट्रीया से सुनीता चावला रहीं,  वरिष्ठ शायर किशन स्वरूप,  अनुराग मिश्र गैर, के. के भसीन, सुंदर लाल मेहरानीयां, डा रामगोपाल भारतीय, दिलदार देहलवी, डा एजाज़ पापूलर मेरठी, अनिमेष शर्मा, मनोज फगवाड़वी, फकरी मेरठी, मुकर्रर अदना, सपना अहसास, डा अमर पंकज, सुप्रिया सिंह वीणा, देवेंद्र शर्मा देव ने शिरकत की। 

प्रथम दिन के समापन पर आयोजक डा विजय पंडित ने कहा कि संस्थान के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक महोत्सव व पुस्तक प्रदर्शनी आदि आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना के साथ देश दुनियां में साहित्य, संस्कृति , आध्यात्म , योग के माध्यम से दिलो को दिलो से जोड़ना, एक दूसरे के लेखन व शोध से रूबरू कराना, अनुवाद , प्रकाशन , विचारों के आदान प्रदान, परस्पर सहयोग की भावना , पठन - पाठन व साहित्य के दायरे का विस्तार और नवोदित व गुमनाम कलमकार बन्धुओ को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना हैं और मेरठ की सकारात्मक छवि देश दुनिया के सामने लेकर आना है । 

                   






तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के दूसरे दिन भी समस्त भारत सहित नेपाल, ब्रिटेन, जापान, आष्ट्रीया, रूस की साहित्यिक विभूतियों की शिरक़त रही  । 

संचालन डा रामगोपाल भारतीय द्वारा किया गया । 
क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के दूसरे दिन सबसे पहले लघु कथा सत्र के संचालन डा सुधाकर आशावादी, अध्यक्ष डा बलराम अग्रवाल और वक्ता के रूप में डा पुष्कर राज भट्ट, शिखा कौशिक, अलका शर्मा, पूर्णिमा साहरण, अंजू खरबंदा, किशन पौडेल नेपाल से रहे। 
तीन दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में क्रांतिधरा मेरठ का ऐतिहासिक एंव सांस्कृतिक महत्व  विषय पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन इतिहासकार ऐ के गांधी ने किया और वक्ता के रूप में डा विध्नेश त्यागी, डा के.के. शर्मा, अनुपमा शर्मा , जी.के. शर्मा, डा आर.के. भटनागर जी रहे । 
तृतीय सत्र में भारतीय संस्कृति:नदियां व समाज की भूमिका विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें हरियाणा से रमेश गोयल, जल शक्ति मंत्रालय से चंद्रप्रकाश चौहान, अंकित गिरी वक्ता के रूप में शामिल रहे। 
चतुर्थ सत्र में पत्रकारिता, आमजन एक फासला विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें हिन्दुस्तान अखबार के संपादक सूर्यकांत द्विवेदी,  दैनिक जागरण के संपादक रवि तिवारी, अमर उजाला के संपादक राजेन्द्र सिंह  और जनवाणी से ज्ञान प्रकाश शामिल रहे और लखनऊ से आये वरिष्ठ पत्रकार मनीष शुक्ला की पुस्तक न्यूजरूम का चाट मसाला का विमोचन हुआ।

दूसरे दिन के समापन पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि रूस की श्वेता सिंह ऊमा रहीं, विशिष्ट अतिथि यशपाल कौत्सायन, सत्यपाल सत्यम,   नेपाल से हयग्रीव आचार्य, माधव पोखरेल, हेमंत ढुंगेल, किशन पौडेल रहे। 
आयोजक डा विजय पंडित ने कहा कि समाज में जब भी बदलाव की बयार चल रही होती है तो ऐसे में कलमकारों की भूमिका बढ़ जाती है और समाज के लिए एक दीपक का काम करते हैं । 




            

नवागंतुक विद्यार्थियों का स्वागत कार्यक्रम आयोजित

 आज दिनांक 23-11-2022 को हिंदी विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में नवागंतुक विद्यार्थियों का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो0 नवीन चंद्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवम अध्यक्ष हिंदी विभाग रहे।

प्रो0 नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि विद्यार्थियों को इस तरह के कार्यक्रम में हिस्सेदारी करनी चाहिये इससे व्यक्तित्व का विकास होता है और सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान होता है।

इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम का संचालन एम0 ए0 द्वितीय वर्ष की छात्रा शिवानी और बी0 ए0 द्वितिय वर्ष के छात्र नीतीश कुमार  ने किया।

कार्यक्रम में नव प्रवेशी छात्र का पुरस्कार एम0 ए0 प्रथम वर्ष के छात्र अभिनव दहिया और नव प्रवेशी छात्रा का पुरस्कार एम0 ए0 प्रथम वर्ष की छात्रा कीर्ति मिश्रा को प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में डॉ आरती राणा, डॉ अंजू, डॉ विद्यासागर सिंह, डॉ प्रवीन कटारिया, डॉ यज्ञेश, अंजलि, शिवम, प्रियांश, राधा, काजल, शिवानी, केशव, जया, हिमांश, निशा, भानुप्रताप, अमित, अंशिका सिंह, अनुषिता, हरिओम पांडेय, लवी, निकी, रितिका, शुभम, सृष्टि, उन्नति आदि उपस्थित रहे।





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