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Saturday, November 30, 2019

दिनांक 21 नवम्बर 2019 को हिंदी विभाग तथा बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा संयुक्त रूप से‘राजभाषा हिंदी - संवैधानिक स्थिति और संभावनाएं’ विषय पर संगोष्ठीआयोजित की गई। इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एम॰ए॰ हिंदी वर्ष 2019 के संर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थियों को ‘मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह' कार्यक्रम के माध्यम से सम्मानित किया, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त कु॰ बबली को पुरस्कार स्वरूप नकद रू 11000/- तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कु॰ विनीता को पुरस्कार स्वरूप नकद रू॰7500/- के बैंक ड्राफ्ट्र द्वारा प्रदान किया गया। संगोष्ठी में आमंत्रित अतिथियों का हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने तुलसी पौधा भेंट कर स्वागत किया। बैंक ऑफ़ बड़ौदा, मेरठ में राजभाषा अधिकारी शमा सैनी ने कार्यक्रम के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भाषा को एक विकल्प के रूप में प्रयोग करना चाहिए एवं हिंदी को एक सेतु भाषा के रूप में बताया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डाॅ॰ राकेश बी॰ दुबे, विशेष कार्याधिकारी हिंदी, राष्ट्रपति भवन, भारत सरकार ने कहा कि हिंदी रोजगारपरक भाषा है। मीडिया और अनुवाद के क्षेत्र में भी हिंदी की विशेष भूमिका है तथा इन क्षेत्रों काम करने वाले हिंदी सेवियों  को अच्छा पारिश्रमिक भी प्राप्त होता है। भाषा का एक स्वाभिमान होता है। भाषा को किसी बाह्य प्रयास से विस्मृत नहीं किया जा सकता । श्री सुरेशकांत जी ने कहा कि संपूर्ण विश्व में हिंदी देवनागरी अंकों का ही प्रयोग हो रहा है जो भारत से अरब और अरब से यूरोप में पहुँचा है। हिंदी के विद्वानों ने अपनी अगली पीढ़ी को अंग्रेजी पढ़ाई है, इसलिए भी हिंदी की हानि हो रही है। हिंदी का अर्थ जीवन को संवारने के लिए पढ़ना चाहिए। संविधान में भी यह स्पष्ट किया गया  है कि भारतीय अंकों का ही अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप प्रयोग किया जाएगा। हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी पढ़ना आवश्यक है।  संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो॰ वाई विमला, मा॰ प्रतिकुलपति जी ने कहा कि देश की तीन चौथाई लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिंदी को प्रोत्साहन की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? परतंत्र भारत में हम अपनी भाषा को दोयम दर्जे की भाषा माननेलगे थे क्योंकि हमारा स्वाभिमान सोया हुआ था। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का प्रयोग सभी क्षेत्रों में हो सकता है। हिंदी भाषा में विज्ञान से जुड़ा साहित्य कम उपलब्ध है। डाॅ॰ असलम जमशेदपुरी ने कहा कि गाँधीजी ने राजभाषा के संबंध में कहा कि भारत की भाषा ऐसी हो जिसमें उर्दू वाले उर्दू की तरह लिखे व हिंदी वाले हिंदी की तरह लिखें। उर्दू व हिंदी दोनों भाषाएं बहुत मिली-झुली भाषाएं हैं। इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता। विश्व स्तर पर हिंदी का बढ़ना हमारे लिए गर्व की बात है। मातृभाषा के साथ हमें अन्य भाषाओं को भी सीखना चाहिए। भाषा पर किसी धर्म का एकाधिकार नहीं है। भाषा पर सभी धर्माें और व्यक्तियों का अधिकार है। बैंक ऑफ़ बड़ौदा के उपमहाप्रबंधक श्री रमन बजाज ने कहा कि अंग्रेजी भाषा आज भी अधिकांश क्षेत्रों में अपना अधिकार रखती है। हिंदी दिवस मनाना हमारी मजबूरी बन गई है जबकि हिंदी हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है। हिंदी फिल्मों का हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हिंदी विभाग को इस आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। भविष्य में हिंदी विभाग से और ऐसे आयोजनों में सहयोग करने के लिए निवेदन किया। इस अवसर पर हिंदी विभाग द्वारा आयोजित भाषण प्रतियोगिता ‘महात्मा  गाँधी और हिंदी’ विषय पर हिंदी विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की, जिसमें प्रथम स्थान कु॰ ममता, द्वितीय स्थान शिवा शर्मा, तृतीय स्थान मोहनी कुमार तथा सांत्वना स्थान सचिन कुमार ने प्राप्त किया। इस अवसर पर कु॰ बबली को प्रतिकुलपति महोदया द्वारा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त स्वर्ण पदक प्रदान किया। कार्यक्रम के समापन पर राजभाषा अधिकारी शमा सैनी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभागा के शिक्षण सहायक डाॅ॰ विद्यासागर सिंह ने किया।इस अवसर पर डाॅ॰ सोती शिवेन्द्रचन्द्र, सुमनेश सुमन, रामगोपाल भारतीय, डाॅ॰ तुंगवीर आर्या,डाॅ॰ अंजू, डाॅ॰ आरती राणा, डाॅ॰ प्रवीण कटारिया, डाॅ॰ यज्ञेश कुमार, डाॅ॰ सरिता शर्मा तथा हिंदी विभाग के छात्र-छात्राएं छवि,अमित कुमार, सुरभि, आदर्श, उपेन्द्र, सपना, अनिता, बॉबी, चेतना आदि उपस्थित रहें।






























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