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Saturday, September 16, 2023

हिंदी दिवस समारोह 2023 : संगोष्ठी ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीक में हिंदी’ का आयोजन

                                   

दिनांक 14 सितम्बर 2023 को हिंदी दिवस 2023 के अवसर पर हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा संगोष्ठी ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता और तकनीक में हिंदी’ का आयोजन किया गया तथा प्रथम दिन आयोजित निबंध लेखन तथा आशुभाषण प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।  

आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो॰ संजीव कुमार शर्मा, संकायाध्यक्ष कला ने की। मुख्य अतिथि डॉ॰ मृदुल कीर्ति, साहित्यकार, आस्टेªलिया, विशिष्ट अतिथि प्रो॰ राजनारायण शुक्ल, पूर्व अध्यक्ष, उ॰प्र॰ भाषा संस्थान, विशिष्ट अतिथि श्री प्रतिबिंब बड़थ्वाल, महामंत्री हिंदी साहित्य भारतीय, श्री नीलाभ श्रीवास्तव, नॉटनल, लखनऊ रहे। 

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो॰ संजीव शर्मा, संकायाध्यक्ष कला ने कहा कि सरलीकरण के नाम पर हमने हिंदी का बहुत अधिक दुषण कर लिया है। मीडिया और फिल्मों ने इस प्रवृति को बढ़ाया है। फिल्मों ने शुद्ध हिंदी को उपहास का पात्र बनाया, संस्कृतनिष्ठ, तत्समप्रधान, कलिष्ट कह कर हिंदी को शुद्धता से दूर कर दिया गया है। हिंदी साहित्यकार हमारे मानक है जिनसे सीखा जा सकता है कि हिंदी का प्रयोग कैसे करें। भाषा विकास का वाहन है, हिंदी की मूल संरचना से छेड़छाड न करें। आज ही हिंदी में हस्ताक्षर करने का संकल्प लें। 

डॉ॰ मृदुल कीर्ति ने कहा कि विदेशी वास का यह तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि हम अपनी जड़ों से कट जाए। भाषा में संस्कृति, सभ्यता और संस्कार तीनों समाहित हैं। सांस्कृतिक ग्रंथों  को तकनीक से जोड़ा जाना चाहिए और ऐसा किया भी जा रहा है। 

प्रो॰ राजनारायण शुक्ल, पूर्व अध्यक्ष, उ॰प्र॰ भाषा संस्थान ने कहा कि संविधान निर्माण के समय जब देश को गढ़ा जा रहा था तब भाषा के नाम पर उसे अनगढ़ रह जाने दिया गया। हिंदी को पूर्ण रूप में राजभाषा बनाया जाना चाहिए, वैकल्पिक रूप में नहीं। हिंदी दिवस केवल हिंदी विभागों में ही नहीं मनाया जाना चाहिए बल्कि इसे विश्वविद्यालय स्तर पर मनाया जाना चाहिए और शिक्षा का हर विषय हिंदी में पढ़ाया जाना चाहिए। आज का समय तकनीकी समय है, इसलिए हमें तकनीक के साथ-साथ चलना चाहिए। 

श्री प्रतिबिंब बड़थ्वाल ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रश्न आज के दौर का प्रासंगिक विषय है, क्योंकि दुनिया तेजी से तकनीक की ओर बढ़ रही है। तकनीक के प्रयोग से भाषाओं की दूरी कम होगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता हिंदी के स्थाई विकास का आधार बन सकती है।

श्री नीलाभ श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना काल के पश्चात तकनीक का प्रयोग आम जीवन और शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ा है। तकनीक ने जीवन को तेजी से बदती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से मशीनी कार्य शक्ति की सामर्थ्य बढी है। हिंदी में फॉट प्रयोग की समस्या बहुत अधिक है। इसका कारण यूनिकोड फॉट का प्रयोग करने की आदत का न होना भी है। माईक्रो साफ्ट और गुगल जैसी कम्पनियाँ भारतीय भाषा वैज्ञानिकों के साथ काम करना चाहती हैं। हिंदी की डिक्शनी और थिसायरस माईक्रोसॉफ्ट और गुगल पर बहुत कमजोर है जिस कारण वर्तनी की गलतियाँ का सुधार नहीं हो पाता। मशीनी अनुवाद भाव को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सकारात्मकता और नकारात्मकता मानव जाति को ही प्रभावित करेगी। इसलिए हमें स्वयं को बहतर बनाना है। जिससे आपसी सामंजस्य स्थापित किया जा सके।


निबंध लेखन प्रतियोगिता का परिणाम निम्नानुसार रहा -

प्रथम पुरस्कार  - फरहत, उर्दू विभाग

द्वितीय पुरस्कार - कपिल, पत्रकारिता विभाग

तृतीय पुरस्कार - गरिमा सिंह, हिंदी विभाग

सांत्वना पुरस्कार - हिमांशी देवी, विधि विभाग

सांत्वना पुरस्कार - शशी यादव, सर छोटू राम इंस्टीट्यूट


आशुभाषण प्रतियोगिता का परिणाम निम्नानुसार रहा -

प्रथम पुरस्कार  - कीर्ति मिश्रा, हिंदी विभाग

द्वितीय पुरस्कार - मुकुन्द शर्मा, भौतिक विज्ञान

तृतीय पुरस्कार - रजत चौधरी, विधि विभाग

सांत्वना पुरस्कार - मुलनिदेश्वर पाल, अर्थशास्त्र विभाग

सांत्वना पुरस्कार - गरिमा सिंह, हिंदी विभाग


कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव डॉ॰ प्रवीण कटारिया, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ॰ विद्यासागर सिंह, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ॰ अंजू, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया।

कार्यक्रम में प्रो॰ दिनेश कुमार, डॉ॰ आसिफ अली, डॉ॰ ओमपाल शास्त्री, डॉ॰ आरती राणा, डॉ॰ विनय कुमार, प्रियंका कुशवाहा, आयुषी त्यागी, सचिन कुमार, उपेन्द्र कुमार, शिवा, धीरज, अंशिका, अंतरा शर्मा, हिमांशी, ज्योति शर्मा, भानुप्रिया मलिक, अल्बर्ट, प्रिंस, संजना, फरहत, नुजहत, गुलफिंशा, कहकशां, सिद्धार्थ, आदित्य शर्मा, मुकुंद, लायबा, कीर्ति, अरशी, मंयक, रजत आदि उपस्थित रहे।

































Friday, September 15, 2023

हिंदी दिवस समारोह 2023 : आशुभाषण प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन

                                    

दिनांक 2023 को हिंदी दिवस 2023 के अवसर पर हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा आशुभाषण प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

आशुभाषण प्रतियोगिता में कई विभागों से 12 छात्र-छात्राओं ने तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता में 22 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की। आशुभाषण प्रतियोगिता में डॉ॰ गजेन्द्र सिंह, पूर्व प्राचार्य, डी॰ जे॰ कॉलिज, बडौत, डॉ॰ विवेक सिंह, सह आचार्य, आई॰आई॰एम॰टी॰ विश्वविद्यालय, मेरठ एवं श्री अशोक गौड़, पूर्व राजभाषा अधिकारी, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी रहे। आयोजन सचिव डॉ॰ प्रवीण कटारिया सहायक आचार्य (संविदा) रहे। 

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने कहा कि हिंदी दिवस एक दिन का औपचारिक समारोह नहीं है। हमें दैनिक व्यवहार और व्यवसाय में हिंदी का प्रयोग करने पर जोर देना चाहिए। हिंदी वैश्विक भाषा बनें, इसके लिए हमें हिंदी को मजबूत करना होगा। हिंदी केवल साहित्य की भाषा न रहे बल्कि विज्ञान, वाणिज्य, तकनीक आदि विषयों में भी हिदी में काम होना चाहिए। हिंदी के प्रति सकारात्मक भाव भूमि ही विश्व गुरू का आधार बनेगी। विद्यार्थियों को ऐसी प्रतियोगिताओं में भागीदारी करनी चाहिए। इससे आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है साथ ही विश्लेषण क्षमता भी विकसित होती है। 

डॉ॰ गजेन्द्र सिंह, पूर्व प्राचार्य, डी॰ जे॰ कॉलिज, बड़ौत ने कहा कि हिंदी सरल और सहज भाषा है। भारत की अधिकांश भाषाओं पर हिंदी का प्रभाव है। हिंदी भाषियों को अपने उच्चारण और वर्तनी पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा है और हिंदी को पूर्ण रूप में राजभाषा बनाया जाना चाहिए। भारत हिंदी को आधार बनाकर ही विश्व में अपनी पहचान बना सकता है। 

डॉ॰ विवेक सिंह, सह आचार्य, आई॰आई॰एम॰टी॰ विश्वविद्यालय, मेरठ ने कहा कि हिंदी हमारे सपनों की भाषा है। हिंदी के विषय में हमें जागरूक होना चाहिए। रोजगार के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। भारत आज अपनी पहचान विश्व स्तर तक बना रहा है। नासा के वैज्ञानिक भी इसरो के साथ काम करना चाहते हैं। हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित करना आवश्यक है। अपनी बात कहने के लिए प्रत्येक विषय में एक अपना शब्द कोश होना चाहिए। जिससे हम अपनी बात प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर सकें।  

श्री अशोक गौड़, पूर्व राजभाषा अधिकारी, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने कहा कि हिंदी पूरे भारत वर्ष में बोली जाती है। नवीन पीढ़ी पठन-पाठन से दूर होती जा रही है। हिंदी के प्रति एक विस्तृत दृष्टिकोण रखना चाहिए। पाठयक्रम से इतर भी अपना अध्ययन विस्तृत करो और गर्व के साथ हिंदी बोलिए।  कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ॰ अंजू, सहायक आचार्य (संविदा) तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ॰ आरती राणा, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया। कार्यक्रम का संचालन कु॰ पूजा शोधार्थी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने किया।

कार्यक्रम में डॉ॰ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, प्रियंका कुशवाहा, आयुषी त्यागी, सचिन कुमार, उपेन्द्र कुमार, शिवा, गरिमा, धीरज, अंशिका, अंतरा शर्मा, कपिल, हिमांशी, ज्योति शर्मा, भानुप्रिया मलिक, शशि यादव, अल्बर्ट, प्रिंस, संजना, फरहत, नुजहत, गुलफिंशा, कहकशां, सिद्धार्थ, आदित्य शर्मा, मुकुंद, लायबा, कीर्ति, अरशी, मंयक, रजत आदि उपस्थित रहे।






















शिक्षक दिवस

 हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा  विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में आज दिनांक 06 सितम्बर 2023 को शिक्षक दिवस के अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों द्वारा शिक्षकों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि विद्यार्थियों को समय का महत्व समझना चाहिए।शिक्षा हमारा वैचारिक विकास करती है, समाज को समझने की दृष्टि देती है। इसलिये शिक्षित व्यक्ति ही समाज की अगुवाई करती है। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी, प्री पीएचo डीo और एमo एo के विद्यार्थी उपस्थित रहें।



सत्र 2021-2023 के विद्यार्थियों को टेबलेट वितरण कार्यक्रम

दिनांक 29.8.2023 को हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में


सत्र 2021-2023 के विद्यार्थियों को टेबलेट वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रोफेसर जयमाला, कुलानुशासक प्रोफेसर वीरपाल सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह शामिल रहे. संयोजन प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग एवं पूर्व कला संकायाध्यक्ष रहे।

 इस अवसर पर प्रोफेसर जयमाला ने कहा कि अनुशासन विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है। शासन ने टेबलेट वितरण आपको बहुत जिम्मेदारी और आशा के साथ किया है। यह योजना आपके भविष्य को तकनीक से जोड़ेगी। हिंदी को भी टेक्नोलॉजी से जोड़ने की जरूरत है। कंप्यूटर साइंस एवं हिंदी इंजीनियरिंग जैसे विषयों पर हिंदी और टेक्नोलॉजी में नए पाठ्यक्रम लाये सकते हैं, जिसमें रोजगार की भी पर्याप्त संभावनाएं हैं।

 प्रोफेसर वीरपाल सिंह ने कहा कि भले हिंदी कला का विषय है लेकिन टेक्नोलॉजी में भी इस विषय में पर्याप्त संभावनाएं हैं। टैबलेट नई तकनीकी डिवाइस है इस डिवाइस को अपने जीवन को आगे बढ़ाने में प्रयोग करें और इस डिवाइस के माध्यम से अपने ज्ञान को और अधिक अग्रगामी बनाने की कोशिश करें।

प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शासन की यह योजना विद्यार्थियों के भविष्य के संदर्भ में दूरगामी परिणाम देने वाली है अपने जीवन को अधिक सुविधाजनक और तकनीकी रूप में सुदृढ़ करने की दिशा में यह योजना महत्वपूर्ण है।

 प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने टैबलेट प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय और शासन को आपसे बहुत अपेक्षाएं हैं आप देश का भविष्य हैं। आपके द्वारा किए जाने वाले प्रयास ही भविष्य में भारत की सफलता के आधार बनेंगे। टेक्नोलॉजी भविष्य में भारत की नींव बनेगी। इसी आशा के साथ आपको नवीन टेक्नोलॉजी से जुड़ी यह डिवाइस उपलब्ध कराई गई है ताकि आप भविष्य के भारत में महत्वपूर्ण हिस्सा बन सको। 

टैबलेट प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अंजलि पाल, काजल, केशव, प्रियांश कुमार, शिवम कुमार, राधा, शिवानी और शिवानी रहे।

धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अंजु, सहायक आचार्य ने किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर आरती राणा ने किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक, शोधार्थी, प्रीo पीएचo डीo कोर्स वर्क के विद्यार्थी एमए द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी उपस्थित रहें।







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