हिन्दी विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ
9412207200, 0121-2772455 nclohani@gmail.com, nclohani@yahoo.co.in
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सूचना
दिनांक 27-28 मार्च 2009 को ‘समकालीन रचनाकार एवं रचनाएं’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है। ध्यातव्य है कि 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध के लगभग दो-तीन दशकों से अब तक का समय औद्योगिक क्रान्ति काल के रूप में जाना जाता है। इस काल में समाज, राजनीति, कला, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, संगीत, अर्थ व्यवस्था, इतिहास सहित समग्र मानव-चिन्तन में निरंतर परिवर्तन होता रहा है। यह परिवर्तन साहित्य की समकालीन गद्य-पद्यात्मक सभी विधाओं में भी परिलक्षित हुआ है। भूमण्डलीकरण तथा बाजारवाद का प्रभाव समकालीन रचनाकारों की रचनाओं में स्पष्ट देखा जा रहा है। परंपरागत साहित्यिक विमर्श के इतर भी जनजाति विमर्श, स्त्री विमर्श तथा दलित विमर्श जैसे मुद्दे आज सामने हैं। आधुनिक परिदृश्य में उपर्युक्त विमर्शों ने क्रान्ति की लहर पैदा की है। भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल जन समाज को साहित्य ने आज शब्द और कर्म के समाजशास्त्र की ओर प्रवृत्त किया है। इस संगोष्ठी में साहित्य की दुनिया के कई प्रखर आलोचक, बुद्धिजीवी तथा समकालीन साहित्यकार वक्ता के रूप में होंगे। यह संगोष्ठी छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों तथा शिक्षकों के लिए विशेष लाभकारी होगी। इसके माध्यम से साहित्य में कई विमर्शों से हम परिचित हो सकेंगे। इस संगोष्ठी में प्रतिभागिता हेतु कृपया आवागमन संबंधी व्यय अपने स्वयं संस्थान, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय से प्राप्त करने की कृपा करें। स्थानीय आवास आदि की व्यवस्था विश्वविद्यालय द्वारा वहन की जाएगी ।
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