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Tuesday, September 14, 2010

"जब हिन्दी बोले, गर्व से बोले........., हीन भावना से न बोलें "

‘‘देश को आजाद हुए वर्षो बीत गये, हिन्दी के भविष्य लेकर आज हम बहस करेें यह बेतुका लगता है। मुझे नहीं लगता कि हिन्दी का भविष्य खतरे मेें है’’ यह विचार हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग में आयोजित संगोष्ठी ‘‘हिन्दी का भविष्य और भविष्य की हिन्दी’’ में दिल्ली से आयी हिन्दी दुनियाँ की जानी मानी समीक्षक प्रो0 निर्मला जैन ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में 550 से भी अधिक केन्द्रों पर वर्तमान में हिन्दी पढाई जा रही है। इसका श्रेय बाजारवाद को है। विज्ञापन की भाषा, मीडिया की भाषा, फिल्मों की भाषा आज हिन्दी है। यह पंडितों की भाषा नहीं है, बल्कि गली-बाजार की भाषा है, समाचार पत्रों की भाषा है। आज हिन्दी के पत्रों में वृद्धि हुई है। वे ज्यादा पढ़े जा रहे हैं। उन्होनंे कहा जब हिन्दी बोले, गर्व से बोले हीन भावना से न बोलें।


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एन0 के0 तनेजा ने कहा कि भारत की प्राचीनतम भाषा हिन्दी की अभिवृद्धि में उसकी वैश्विक पहचान बनाने में योगदान करें। यह सौभाग्य का विषय होगा। वास्तव में पराधीनता के वर्षों में हिन्दी की जो वृद्धि होनी चाहिए थी वह अवरूद्ध हुई। परन्तु वैश्वीकण के युग में यह मानव पूंजी है और विश्व में मानव पूंजी का स्थान बढ़ रहा है। इससे हिन्दी के मान सम्मान और पहचान में वृद्धि होगी।


कला संकायाध्यक्ष प्रो0 अर्चना शर्मा ने हिन्दी विभाग के प्राध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि सतत् संघर्षशील रहें और हिन्दी को एक नई पहचान दिलाने का प्रयास करें। उन्होंने राष्ट्रमंण्डल खेलों में हिन्दी प्रयोग की पहल हिन्दी विभाग से होने के कारण विभाग कोे बधाई दी।


विभागाध्यक्ष प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि राजभाषा अधिनियमों के तहत हम क्या-क्या उन्नति कर पाये इस बात पर आज विचार किया जाना चाहिए। राष्ट्रमण्डल खेलों में हिन्दी के प्रयोग की बात की गई तो बुद्धिजीवी वर्ग ने इसका समर्थन किया है। हमारी इस शुरूआत से आज राष्ट्रमण्डल खेलों के सारे बैनर, होर्डिग आदि हिन्दी में लगाये गए हैं। ये हमारी उपलब्धि है। पाठ्यक्रम में भी इस वर्ष बदलाव किए गए और कौरवी साहित्य तथा प्रवासी साहित्य को पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। हिन्दी दुनियाँ में जो कुछ अच्छा होगा तो हमें खुशी होगी।


इससे पूर्व दिनांक 13 सितम्बर 2010 को हिन्दी विभाग में कविता प्रतियोगिता तथा आशु भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को आज पुरूस्कार प्रदान किए गए। पुरूस्कार प्राप्त छात्र-छात्राओं की सूची संलग्न हैं।


संगोष्ठी का संचालन आरती राणा ने किया। इस अवसर पर डॉ0 अशोक मिश्र, कु0 नेहा पालनी, कु0 सीमा शर्मा, ईश्वर चन्द गंभीर, डॉ0 रवीन्द्र कुमार, विवेक सिंह, अंजू, ममता, अंचल, अमित, मोनू, कौशल, शिवानी, रजनी, ललित सारस्वत, आदि प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


हिन्दी दिवस 2010 के अवसर पर हिन्दी विभाग में आयोजित आषु भाशण एवं कविता प्रतियोगिता में पुरूस्कार प्राप्त छात्र-छात्राएं:-






कु0 कौशल  प्रथम स्थान कविता प्रतियोगिता


कु0 रजनी द्वितीय स्थान कविता प्रतियोगिता


कु0 ज्योति तृतीय स्थान कविता प्रतियोगिता


श्री नवीन सांत्वना पुरस्कार कविता प्रतियोगिता


कु0 शिवानी  सांत्वना पुरस्कार कविता प्रतियोगिता

 
श्री विवेक ंिसह प्रथम स्थान आशुभाषण प्रतियोगिता


श्री ललित सारस्वत द्वितीय स्थान आशुभाषणप्रतियोगिता


कु0 अंजू तृतीय स्थान आशुभाषण  प्रतियोगिता


श्री मोनू सिंह सांत्वना पुरस्कार आशुभाषण प्रतियोगिता


कु0 निवेदिता सांत्वना पुरस्कार आशुभाषण प्रतियोगिता






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