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Wednesday, March 23, 2022

आजादी का अमृत महोत्सव मंथन सेमिनार " आजादी के 75 वर्ष और आगामी 25 वर्ष : यथार्थ और स्वप्न" संदर्भ आर्थिक पक्ष

 चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव  मंथन सेमिनार श्रृंखला के अंतर्गत " आजादी के 75 वर्ष और आगामी 25 वर्ष : यथार्थ और स्वप्न" संदर्भ  आर्थिक पक्ष विषय पर मंथन सेमिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, आचार्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा अनेक महाविद्यालय के शिक्षकों ने भी प्रतिभागिता की।


कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के मा०  कुलपति प्रो०  नरेंद्र कुमार तनेजा जी ने की। उन्होने कहा कि मेक इन इंडिया का मतलब है कि अपने स्वदेशी उद्योगों में निवेश कर के अपने देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाना भारतीय रणनीतिकारों का लगातार प्रयास है कि ऐसी योजनाओं को लाया जाय जो निचले तबके को लाभ पहुँचाए जैसे - जनधन और उज्ज्वला योजना। पिछले कुछ वर्षों में शासन का प्रयास है कि प्रत्येक क्षेत्र में विकास कार्य सुचारू रूप से होते रहें। बड़ी संख्या में  शोध के नए नए क्षेत्रों में कार्य किया गया । बैंकों का नीजिकरण और अन्य कार्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए गए। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण  कार्य है। प्रोफेसर एन.के. तनेजा ने भारत की आर्थिक स्थिति के उज्जवल पक्ष की चर्चा की और कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों में देश के आगे बढ़ने की ओर ध्यान आकर्षित किया।


विशिष्ट वक्ता  प्रो॰ नागेश कुमार, निदेशक, आई॰एस॰आई॰डी॰, नई दिल्ली ने कहा कि 1700 ई॰ पूर्व भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था थी और स्वतन्त्रता के समय भारत दुनिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था में तबदील हो गया था। विश्व में केवल 3 प्रतिशत हिस्ससेदारी ही अर्थव्यवस्थ में रह गई थी। पिछले कुछ वर्षों में 97 प्रतिशत व्यक्तियों तक बिजली की सुविधा प्राप्त हुई है। वर्ष 1995 में 50 प्रतिशत और 2010 में 76 प्रतिशत थी। स्वच्छ भारत मिशन भी सफल रहा। अधिकतर क्षेत्रों में भारत सर्वभौम नेतृत्व कर रहा है। जैसे आई॰सी॰टी॰, सॉफ्टवेयर उद्योग, जैविक दवाईयों एवं और वेक्सीन निर्माण में ऑटोमोबाइल दुपहिया वाहनों में, बड़े स्तर पर दूध उत्पादन में, बडे स्तर पर चावल, गेहँू, चीनी, मूंगफली, सब्जियों, सूत और फलों के उत्पादन में भी भारत अग्रणी है। बहुसंख्या में रोजगार उपलबध कराना हो अथवा कृषि के क्षेत्र  में निरंतर विकास हो भारतीय सरकारी नीतियों से निम्न स्तर तक के व्यक्ति को लाभ मिला है और कोराना महामारी में जहाँ विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं और बड़ी संख्या में रोजगार गए हैं ऐसे में भारतीय शासन व्यवस्था की नीतियाँ रोजगार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी सफल रही हैं। प्रो. नागेश ने लिंग अनुपात में कार्य बढ़ोतरी की चर्चा भी की,  उन्होंने कहा कि भारत ने गरीबी उन्मूलन, आर्थिक असमानता खत्म करने के लिए पहल की है और उसमें सफलता भी मिली है।

विशिष्ट वक्ता प्रो॰ डी॰ के॰ नौरियाल, मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग, आई॰आई॰टी॰, रूड़की ने कहा कि एक हजार वर्ष पूर्व चीन और भारत विश्व की लगभग 50  प्रतिशत जी॰डी॰पी॰ में सहभागी थे। कई उतार-चढ़ाव के पश्चात विश्व बैंक के अनुसार सन् 2020 में विश्व की कुल जी॰डी॰पी॰ में भारत की हिस्सेदारी लगभग 4 प्रतिशत रह गई। विश्व के कुल क्षेत्रफल में भारत की हिस्सेदारी 2.45 प्रतिशत, जनसंख्या में लगभग 16 प्रतिशत है। विश्व के कुल क्षेत्रफल में चीन की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत, जनसंख्या में 22 प्रतिशत है।  विनिमार्ण के क्षेत्र में भी भारत लगातार प्रगति कर रहा है। तमाम क्षेत्रों में भारत लगातार विकास कर रहा है। लेकिन तकनीक के क्षेत्र में चीन ने जो विकास किया है, वह भारत के लिए अनुकरणीय है। तकनीकी विकास देश के विकास की कुंजी है। उन्होंने कहा कि विश्व भर की आर्थिक प्रगति के अनेक विश्लेषण प्रस्तुत किए और भारत की वस्तु स्थिति से अवगत कराया तथा विश्व की आर्थिक विकास मैं भारत के तुलनात्मक आंकड़ों को प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के संयोजक प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, संकायाध्यक्ष कला एवं अयक्ष हिंदी विभाग ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की यह सातवीं श्रृंखला है।  इससे भारत के आर्थिक क्षेत्र के 100 वर्षों का लेखा जोखा ज्ञात होगा। 

कार्यक्रम में प्रो० अतवीर सिंह ने प्रो० नागेश कुमार का परिचय कराया और उनकी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों का जिक्र किया।  

अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रो०  रूप नारायण, कार्यक्रम सहसंयोजक एवं आचार्य  वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया।  प्रोफेसर रूपनारायण ने कहा कि भारत का आर्थिक पक्ष बताता है कि भविष्य उज्ज्वल है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के  प्रो० जयमाला, प्रो० एम०के० गुप्ता, प्रो० आलोक कुमार, प्रो० अशोक कुमार चौबे, प्रो० ए०वी० कौर, प्रो० बिंदु शर्मा, प्रो० जे०एस० भारद्वाज, प्रो० पवन कुमार शर्मा, प्रो० विजय जायसवाल, डॉ॰ अंजू, डॉ० प्रवीण कटारिया, डाॅ॰ विद्या सागर सिंह, डाॅ॰ यज्ञेश कुमार, निकुंज कुमार एवं  विश्वविद्यालय अधिकारी, शिक्षक, एवं संबद्ध महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक, छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की।

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