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Friday, September 15, 2023

हिंदी दिवस समारोह 2023 : आशुभाषण प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन

                                    

दिनांक 2023 को हिंदी दिवस 2023 के अवसर पर हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा आशुभाषण प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 

आशुभाषण प्रतियोगिता में कई विभागों से 12 छात्र-छात्राओं ने तथा निबंध लेखन प्रतियोगिता में 22 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की। आशुभाषण प्रतियोगिता में डॉ॰ गजेन्द्र सिंह, पूर्व प्राचार्य, डी॰ जे॰ कॉलिज, बडौत, डॉ॰ विवेक सिंह, सह आचार्य, आई॰आई॰एम॰टी॰ विश्वविद्यालय, मेरठ एवं श्री अशोक गौड़, पूर्व राजभाषा अधिकारी, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी रहे। आयोजन सचिव डॉ॰ प्रवीण कटारिया सहायक आचार्य (संविदा) रहे। 

कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो॰ नवीन चन्द्र लोहनी, अध्यक्ष हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने कहा कि हिंदी दिवस एक दिन का औपचारिक समारोह नहीं है। हमें दैनिक व्यवहार और व्यवसाय में हिंदी का प्रयोग करने पर जोर देना चाहिए। हिंदी वैश्विक भाषा बनें, इसके लिए हमें हिंदी को मजबूत करना होगा। हिंदी केवल साहित्य की भाषा न रहे बल्कि विज्ञान, वाणिज्य, तकनीक आदि विषयों में भी हिदी में काम होना चाहिए। हिंदी के प्रति सकारात्मक भाव भूमि ही विश्व गुरू का आधार बनेगी। विद्यार्थियों को ऐसी प्रतियोगिताओं में भागीदारी करनी चाहिए। इससे आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है साथ ही विश्लेषण क्षमता भी विकसित होती है। 

डॉ॰ गजेन्द्र सिंह, पूर्व प्राचार्य, डी॰ जे॰ कॉलिज, बड़ौत ने कहा कि हिंदी सरल और सहज भाषा है। भारत की अधिकांश भाषाओं पर हिंदी का प्रभाव है। हिंदी भाषियों को अपने उच्चारण और वर्तनी पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा है और हिंदी को पूर्ण रूप में राजभाषा बनाया जाना चाहिए। भारत हिंदी को आधार बनाकर ही विश्व में अपनी पहचान बना सकता है। 

डॉ॰ विवेक सिंह, सह आचार्य, आई॰आई॰एम॰टी॰ विश्वविद्यालय, मेरठ ने कहा कि हिंदी हमारे सपनों की भाषा है। हिंदी के विषय में हमें जागरूक होना चाहिए। रोजगार के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। भारत आज अपनी पहचान विश्व स्तर तक बना रहा है। नासा के वैज्ञानिक भी इसरो के साथ काम करना चाहते हैं। हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में विकसित करना आवश्यक है। अपनी बात कहने के लिए प्रत्येक विषय में एक अपना शब्द कोश होना चाहिए। जिससे हम अपनी बात प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत कर सकें।  

श्री अशोक गौड़, पूर्व राजभाषा अधिकारी, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ने कहा कि हिंदी पूरे भारत वर्ष में बोली जाती है। नवीन पीढ़ी पठन-पाठन से दूर होती जा रही है। हिंदी के प्रति एक विस्तृत दृष्टिकोण रखना चाहिए। पाठयक्रम से इतर भी अपना अध्ययन विस्तृत करो और गर्व के साथ हिंदी बोलिए।  कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत डॉ॰ अंजू, सहायक आचार्य (संविदा) तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ॰ आरती राणा, सहायक आचार्य (संविदा) ने किया। कार्यक्रम का संचालन कु॰ पूजा शोधार्थी, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने किया।

कार्यक्रम में डॉ॰ विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, प्रियंका कुशवाहा, आयुषी त्यागी, सचिन कुमार, उपेन्द्र कुमार, शिवा, गरिमा, धीरज, अंशिका, अंतरा शर्मा, कपिल, हिमांशी, ज्योति शर्मा, भानुप्रिया मलिक, शशि यादव, अल्बर्ट, प्रिंस, संजना, फरहत, नुजहत, गुलफिंशा, कहकशां, सिद्धार्थ, आदित्य शर्मा, मुकुंद, लायबा, कीर्ति, अरशी, मंयक, रजत आदि उपस्थित रहे।






















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