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Saturday, January 16, 2010

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिभागिता के संबंध में।

महोदय/महोदया,
भारत की भाषा हिन्दी आज दुनियाँ में एक बड़ी भाषा बन गई है। हिंदीदुनियाँ में यह सोचा जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा हिंदीभी होनी चाहिए। यह चाहत हिंदी को जहाँ आज तरह-तरह के प्रश्नों से दोचार करा रही है वहीं यह प्रश्न भी लगातार सामने आ रहे हैं कि पूरीदुनियाँ में आए बदलावों और भाषाई विकास के क्रम में हिंदी की स्थितिक्या है और उसमें कहाँ-कहाँ अवरोध है ? इन अवरोधों का परिहार किसप्रकार किया जाए ? और हम किस प्रकार हिंदी को उसके मुकाम तक पहुँचानेमें सहयोगी हो सकते हैं, इस पर लगातार चिंतन हो रहा है और वैश्विकपरिप्रेक्ष्य में हिंदी तथा हिंदी वालों की भूमिका पर भी लगातार विचारहो रहा है। भाषा एवं साहित्य के विभागों, शिक्षकों, विद्यार्थियों,शोधार्थियों का भी यह दायित्व है कि वह हिन्दी के विकास में अपनेविचारों से परस्पर अवगत कराएं ताकि भविष्य में विश्व के सन्दर्भ में हिन्दीकी वैश्विक नीति पर विचार किया जा सके। लगातार यह मांग रही है कि भारतीयभाषाओं के साहित्य तथा ऐसे राज्यों में जिनके नागरिकों कीमातृभाषा हिन्दी नहीं हैं, ऐसे राज्यों, क्षेत्रों में लिखे जा रहेहिन्दी साहित्य को हिन्दी के अनिवार्य पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।जिससे हिन्दी मातृ भाषा वाले प्रदेशों के लोग भी इससे परिचित होसकेंगे। इधर भारत के प्रवासियों द्वारा हिन्दी में लेखन तथा हिन्दी में विदेशोंमें हो रहे लेखन से भी हिन्दी के अध्येता, शोधार्थी अवगत हों, इसकीलगातार मांग हो रही है। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथहिन्दी के विकास के जो दरवाजे खुले हैं उनमें हम कहाँ पहुँचे हैं ? इसपर भी चर्चा जरूरी है। हिन्दी में विधाओं के विकास तथा अन्य भाषाओंतथा अनुशासनों में लिखे गए साहित्य के हिन्दी में हो रहे अनुवाद तथाउसकी आवश्यकता पर भी चर्चा होनी चाहिए।उपर्युक्त मुद्दों पर विचार करने के लिए हिन्दी विभाग, चैधरी चरण सिंहविश्वविद्यालय, मेरठ दिनांक 12 फरवरी 2010 से (तीन दिवसीय) ‘‘भूमण्डलीकरणके दौर में हिन्दी’’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है।
संगोष्ठी में संभावित सत्र इस प्रकार हैं:-



कार्यक्रम:
प्रथम दिन: उद्घाटन - १०:00 बजे प्रातः
प्रथम सत्र - ‘अहिन्दी भाषी क्षेत्र और हिन्दी’ - १२:00 बजे से ०२:00 बजे
द्वितीय सत्र - ‘भारतीय मूल के देशों में हिन्दी की स्थिति’ - ०३:00 बजेसे ०५:00 बजे
सांस्कृतिक कार्यक्रम - 06-00 बजे

द्वितीय दिन-
तृतीय सत्र - ‘दुनियाँ में हिन्दी’ - ०९:30 बजे से ११:30 बजे
चतुर्थ - ‘सूचना प्रौद्योगिकी और हिन्दी’ - ११:45 से ०१:30 बजे
पंचम सत्र - ‘अनुवाद और हिन्दी साहित्य’ - ०२:15 से ०४:15 बजे
सांय ४:30 बजे से मेरठ में स्थानीय भ्रमण

तृतीय दिन:
षष्ठ सत्र - ‘हिन्दी साहित्य में विधाओं का विकास’ - ०९:30 बजे से ११:30 बजे
समापन - १२:00 बजे से ०२:00 बजे



इस संगोष्ठी में अन्तरराष्ट्रीय स्तर के हिन्दी साहित्यकार, लेखक, विषयविशेषज्ञ एवं मीडिया से जुड़े लोग वक्ता के रूप में सम्मिलित होंगे।संगोष्ठी के माध्यम से अनेक प्राध्यापक, साहित्य प्रेमी पाठक, विद्यार्थी एवंशोधार्थी साहित्य एवं भाषा सम्बन्धी कई ज्वलन्त मुद्दों से परिचितहोंगे।संगोष्ठी में आप सादर आमन्त्रित हैं। इस हेतु आपकी प्रतिभागिता पूर्व मेंस्वीकृति के उपरांत ही होगी। अतः आप अपनी प्रतिभागिता हेतु सूचनाप्रेषित करने के अंतिम तिथि दिनांक 31 जनवरी 2010 तक सुनिश्चित करने का कष्ट करें। प्रतिभागिता शुल्क वित्त नियंत्रक, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय,मेरठ के नाम ड्राफ्ट द्वारा अथवा सीधे M/s bhomandlikaran ke daur mein A/C CCSU, CCS university meerut Account Numbar- 5002507178 -7 इस खाते में भी प्रेषित कर सकते हैं ।

शिक्षक प्रतिभागियों हेतु 700/- रूपये
शोधार्थियों हेतु 400/-
विद्यार्थियों हेतु 250/-

कृपया रूपये पंजीकरण संलग्न प्रपत्र पर प्रेषित करने का कष्ट करें जिससे की आपकी प्रतिभागिता का पंजीकरण हो सके।

आपके सहयोग के लिए आभार सहित ।

भवदीय
(प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी)
संयोजक संगोष्ठी/अध्यक्ष, हिन्दी विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ ।




पंजीकरण फार्म का प्रारूप -


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