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Thursday, April 8, 2010

हिंदी देश का हाईवे है।

हिन्दी इस देश का हाईवे है जो पूरे देश को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य करता है।यह बात आज गुरू नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं ख्यात आलोचक प्रो0 हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने चौ0 चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में व्याख्यान देते हुए कही।उन्होंने कहा कि हिन्दी केवल भाषा नहीं है, बल्कि हिन्दी का अर्थ है, भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन। प्रो0 हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने हिन्दी के अन्तरराष्ट्रीय सरोकार के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि दुनियाँ का हर तीसरा व्यक्ति हिन्दी भाषी है। यूएनओ के महासचिव ने न्यूयॉर्क में विश्व हिन्दी सम्मेलन के सन्दर्भ में कहा था कि हिन्दी प्राचीनतम लिखित भाषाओं में से एक है। हिन्दी सरल और संवाद की भाषा बनने के योग्य है और हिन्दी भाषा में वह भी क्षमताएं है। जिससे कोई भी भाषा भविष्य की भाषा बन सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा का उदाहरण देखते हुए उन्होंने कहा कि ओबामा ने हाल में अपने वक्तव्य में कहा कि मैं हिन्दी सीखना चाहता हूँ। उन्होंने बताया कि अमेरिका में 114 संस्थाओं में हिन्दी अध्ययन-अध्यापन का कार्य हो रहा है और दुनियाँ के प्रत्येक देश में ‘एशियन स्टडीज’ के अन्तर्गत हिन्दी के संस्थान है। प्रो0 बेदी ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में सार्क देशों की बैठकों की कार्यवाही की भाषा भी हिन्दी ही होगी। विदेशों में 120 से अधिक समाचार पत्र-पत्रिकाएं हिन्दी में प्रकाशित हो रही है। अब हिन्दी की वैश्विक पहुंच को देखते हुए न्छव् ने अकेले प्रेमचन्द के ‘गोदान’ का 300 भाषाओं में अनुवाद कराया है। प्रो0 बेदी ने हिन्दी के राष्ट्रीय सरोकारों के सन्दर्भ में कहा कि भारतीय साहित्य वह सब है जो 24 भारतीय भाषाओं में लिखा जाए और हिन्दी का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक अन्य भारतीय भाषाओं का विकास नहीं होगा। उन्होंने बताया आज लगभग हजारों समाचार पत्र-पत्रिकाएं निकल रहे हैं।हिन्दी के अन्तरराष्ट्रीय सन्दर्भ का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी बहुत तेजी से बढ़ी है। अकेले कनाडा से ही 7 अखबार हिन्दी में निकलते हैं, जिनमें लगभग 80 पृष्ठ होते हैं। हिन्दी भारत ही नहीं वरन् विश्व की संपर्क भाषा है। हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीयता के सन्दर्भ में उन्होंने आगे कहा कि विश्व के 60 करोड़ से अधिक लोग हिन्दी जानते, बोलते, पढ़ते और समझते हैं। हिन्दी का अन्तरराष्ट्रीय सन्दर्भ तुलनात्मक साहित्य को भी जन्म दे रहा है। इस प्रकार भारतीय भाषाओं को जोड़ने का काम हिन्दी कर रही है।इस अवसर पर उन्होंने पंजाब के लेखकों का हिन्दी साहित्य के विकास में योगदान भी रेखांकित किया। प्रो0 बेदी ने कहा कि हिन्दी के आदिकाल से लेकर अब तक के सैकड़ों लेखक हिन्दी में हुए है जिनमें चंदबरदाई, गुरू गोविन्द सिंह, अज्ञेय, भीष्म साहनी, मोहन राकेश सहित सैकड़ों रचनाकार है। जिनको हिन्दी दुनियाँ प्रमुख लेखकों के रूप में जानती है। उन्होंने बताया गुरू ग्रन्थ साहिब में हिन्दी कवियों का उल्लेख है। छात्र-छात्राओं के प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने कहा कि हिन्दी भविष्य में उत्तरोत्तर बढ़ेगी। इसका कारण है कि आज हिन्दी मण्डी की भाषा बन चुकी है और जो भी भाषा बाजार में कब्जा कर लेती है उसका भविष्य उज्ज्वल होता है।हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी ने प्रो0 बेदी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कु0 सीमा शर्मा, डॉ0 गजेन्द्र सिंह, नेहा पालनी, डॉ0 रवीन्द्र कुमार, विवेक सिंह तथा एम0ए तथा एम0फिल0 के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

1 comment:

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