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Friday, September 14, 2012

अब तो सपने में भी हिन्दी में बातें करने लगा हूँ : गेनाडी स्लाम्पोर

 हिन्दी विभाग, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में हिन्दी दिवस समारोह 2012 के दुसरे दिन आज विभाग में आशुभाषण प्रतियोगिता एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 
आशुभाषण प्रतियोगिता                                स्वरचित कविता प्रतियोगिता  


प्रथम पुरस्कार - मिलिन्द गौतम पवन भारती
द्वितीय पुरस्कार - विकास तोमर मिलिन्द गौतम
तृतीय पुरस्कार - पिन्टु         कु0 संध्या पोसवाल एवं वसीम
सांत्वना पुरस्कार - कु0 संध्या पोसवाल कु0 प्रगति
सांत्वना पुरस्कार - ब्रह्म सिंह सागर कु0 कविता
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इजराइल से आए गेनाडी स्लाम्पोर ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मैंने इतनी हिन्दी सुनी है जितनी हिन्दी मैं अपने देश में पूरे साल में नहीं सुन पाता। अब तो सपने में भी हिन्दी में बातें करने लगा हूँ। उन्होंने कहा कि विचारों को प्रकट करने की क्षमता हमें बुद्विजीवियों की श्रेणी में खड़ा करती है और हिन्दी विभाग में आयोजित प्रतियोगिताओं के संबंध में उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन वह अपने देश में भी जल्द ही शुरू करंेगे। अतः में उन्होंने अपनी रूसी कविता का हिन्दी अनुवाद हिन्दी विभाग के छात्र-छात्राओं से साझा किया -क्या सुहाना ये संसार है, इस संसार में सदा प्यार रहे।

ईश्वर ने बनाया यह संसार, और मनुष्य को मिला यह उपहार।
जो हुआ था उसकी जयकार, जो होने वाला है उसकी भी जयकार।
इस अवसर पर मेरठ के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि डाॅ0 किशन स्वरूप ने कहा कि कविता लय है संगीत है। भावों की अभिव्यक्ति यदि लयबद्ध हो तो वह कविता बन जाती है। शब्दों के भावों की कोई सीमा नहीं होती। आज के परिपेक्ष्य पर अपनी एक गज़ल सुनाई -
बड़ा वो है जो छोटे को बड़ा होने का मौका दे,
किसी सागर मंे जाकर कोई दरिया नहीं रहता,
सियासत में जिसे देखो वो सच ...... सच नहीं कहता
जिसे कुर्सी मिली फिर वो झूठा नहीं रहता
कार्यक्रम में उपस्थित कवियत्री सुश्री स्नेह लता गुप्ता जी ने कहा कि 
शब्द कोश मेरा विशाल है,
कद काठी में नहीं किसी से छोटी
साल के तीन सौ चैंसठ दिन 
अंग्रेजी का होता गुण गान
मुझे तो एक दिन 
14 सितम्बर को ही मिल पाता सम्मान
कनोहर लाल डिग्री काॅलेज की पूर्व प्राचार्या डाॅ0 अरूणा दुबलिश ने कहा कि हिन्दी का वर्चस्व न कम हुआ है न कभी कम होगा। इस समय विश्व में हिन्दी भाषीयों कि हिस्से दारी लगातार बढ़ी है और एक दिन वह अपना परचम सबसे ऊपर लहराएगी। 
इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो0 नवीन चन्द्र लोहनी ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपने लेखन, विचारों और व्यक्तित्व के स्तर से अपनी बात कहता है। आवश्यक है जितना समझे उतना बोले। प्रयास करना और निरंतर प्रयास करना महत्वपूर्ण है। 























कार्यक्रम का संचालन मोनू सिंह ने किया। प्रतियोगिताओं के लिए निर्णायक मण्डल में विवेक सिंह, डाॅ0 प्रियंका तथा डाॅ0 गजेन्द्र ंिसंह रहे। इस अवसर पर डाॅ0 सीमा शर्मा, ममता, अलूपी, आरती, अंजू, ललित कुमार सारस्वत, अमित कुमार, राहुल, कनिका, फिरोज, अनुज, नीलू धामा, मोहिनी, कपिल, संध्या, कविता, कौशल, शिवानी, इमरान, पूजा, प्रगति आदि छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। 

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