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Tuesday, December 20, 2022

मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण का हुआ भव्य आगाज़

 तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण का हुआ भव्य आगाज़ , समस्त भारत सहित नेपाल, ब्रिटेन, जापान, आष्ट्रीया, रूस की साहित्यिक विभूतियों की शिरक़त । 


संचालन डा रामगोपाल भारतीय ने किया। सरस्वती वंदना सुषमा सवेरा द्वारा की गई। 

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जापान की वरिष्ठ हिन्दी सेवी डा रमा पूर्णिमा शर्मा रहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, श्रीगोपाल नारसन, श्री मति जय वर्मा ब्रिटेन, हयग्रीव आचार्य नेपाल और रूस से श्वेता सिंह ऊमा रही। कार्यक्रम के अध्यक्ष  चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डा नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने पर जोर देना होगा और अपनी आनेवाली पीढी को भी अनिवार्य रूप से हिन्दी से जोडना चाहिए ।

तीन दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन के दूसरे सत्र में हिन्दी के वैश्विक स्थति विषय पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन हिन्दी विभाग की डा अंजु सिंह ने किया और वक्ता के रूप में डा विदूषी शर्मा, प्रदीप देवीशरण भट्ट, डा अशोक मैत्रेय, डा ईश्वर चंद गंभीर रहे , वरिष्ठ साहित्यकार डा अशोक मैत्रेय ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण के साथ साथ दीपक का भी काम करता है जो समाज को नई राह दिखाता है   । 

तृतीय सत्र डिजिटल क्रांति में पुस्तकों से दूरी विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें श्रीगोपाल नारसन, आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, डा विदूषी शर्मा, डा सुबोध कुमार गर्ग, मनीष शुक्ला वक्ता के रूप में शामिल रहे। 

चतुर्थ सत्र मे अंतरराष्ट्रीय मुशायरा हुआ जिसकी सदारत रियाज सागर ने की, मुशायरे मे अतिथि के रूप में विएना आस्ट्रीया से सुनीता चावला रहीं,  वरिष्ठ शायर किशन स्वरूप,  अनुराग मिश्र गैर, के. के भसीन, सुंदर लाल मेहरानीयां, डा रामगोपाल भारतीय, दिलदार देहलवी, डा एजाज़ पापूलर मेरठी, अनिमेष शर्मा, मनोज फगवाड़वी, फकरी मेरठी, मुकर्रर अदना, सपना अहसास, डा अमर पंकज, सुप्रिया सिंह वीणा, देवेंद्र शर्मा देव ने शिरकत की। 

प्रथम दिन के समापन पर आयोजक डा विजय पंडित ने कहा कि संस्थान के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक महोत्सव व पुस्तक प्रदर्शनी आदि आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य 'वसुधैव कुटुंबकम्' की भावना के साथ देश दुनियां में साहित्य, संस्कृति , आध्यात्म , योग के माध्यम से दिलो को दिलो से जोड़ना, एक दूसरे के लेखन व शोध से रूबरू कराना, अनुवाद , प्रकाशन , विचारों के आदान प्रदान, परस्पर सहयोग की भावना , पठन - पाठन व साहित्य के दायरे का विस्तार और नवोदित व गुमनाम कलमकार बन्धुओ को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना हैं और मेरठ की सकारात्मक छवि देश दुनिया के सामने लेकर आना है । 

                   






तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के दूसरे दिन भी समस्त भारत सहित नेपाल, ब्रिटेन, जापान, आष्ट्रीया, रूस की साहित्यिक विभूतियों की शिरक़त रही  । 

संचालन डा रामगोपाल भारतीय द्वारा किया गया । 
क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के दूसरे दिन सबसे पहले लघु कथा सत्र के संचालन डा सुधाकर आशावादी, अध्यक्ष डा बलराम अग्रवाल और वक्ता के रूप में डा पुष्कर राज भट्ट, शिखा कौशिक, अलका शर्मा, पूर्णिमा साहरण, अंजू खरबंदा, किशन पौडेल नेपाल से रहे। 
तीन दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में क्रांतिधरा मेरठ का ऐतिहासिक एंव सांस्कृतिक महत्व  विषय पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन इतिहासकार ऐ के गांधी ने किया और वक्ता के रूप में डा विध्नेश त्यागी, डा के.के. शर्मा, अनुपमा शर्मा , जी.के. शर्मा, डा आर.के. भटनागर जी रहे । 
तृतीय सत्र में भारतीय संस्कृति:नदियां व समाज की भूमिका विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें हरियाणा से रमेश गोयल, जल शक्ति मंत्रालय से चंद्रप्रकाश चौहान, अंकित गिरी वक्ता के रूप में शामिल रहे। 
चतुर्थ सत्र में पत्रकारिता, आमजन एक फासला विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें हिन्दुस्तान अखबार के संपादक सूर्यकांत द्विवेदी,  दैनिक जागरण के संपादक रवि तिवारी, अमर उजाला के संपादक राजेन्द्र सिंह  और जनवाणी से ज्ञान प्रकाश शामिल रहे और लखनऊ से आये वरिष्ठ पत्रकार मनीष शुक्ला की पुस्तक न्यूजरूम का चाट मसाला का विमोचन हुआ।

दूसरे दिन के समापन पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि रूस की श्वेता सिंह ऊमा रहीं, विशिष्ट अतिथि यशपाल कौत्सायन, सत्यपाल सत्यम,   नेपाल से हयग्रीव आचार्य, माधव पोखरेल, हेमंत ढुंगेल, किशन पौडेल रहे। 
आयोजक डा विजय पंडित ने कहा कि समाज में जब भी बदलाव की बयार चल रही होती है तो ऐसे में कलमकारों की भूमिका बढ़ जाती है और समाज के लिए एक दीपक का काम करते हैं । 




            

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